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होली 8 मार्च 2023 |
हिरण्यकश्यप और प्रहलाद की अत्यधिक प्रचलित कहानी
हर त्योहार के पीछे कोई न कोई कहानी या किस्सा प्रचलित होता है। ‘होली’ मनाए जाने के पीछे भी एक कहानी है। कहते हैं कि प्राचीनकाल में हिरण्यकश्यप नामक राजा बड़ा ही अत्याचारी तथा अत्यंत बलशाली असुर राजा था। अपनी शक्ति के मद में चूर होकर वह स्वयं को भगवान मानने लगा। जो अपने को ही भगवान समझता था। उसने सारी प्रजा को आदेश दिया कि सब लोग ईश्वर की आराधना छोड़कर केवल उसी की आराधना किया करें, प्रजा भगवान के स्थान पर उसकी पूजा करती थी,पर उसका बेटा प्रहलाद ईश्वर का अनन्य भक्त था।
उसने अपने पिता की बात न मानी। उसने ईश्वर की भक्ति में ही खुदको लीन रखा। पिता के क्रोध की सीमा न रही। हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मरवाने के बहुत उपाय किए, पर ईश्वर की कृपा से कोई भी उपाय सफल न हो सका।हिरण्यकश्यप की एक बहन थी, जिसका नाम था, होलिका। उसे यह वरदान प्राप्त था कि आग उसे जला नहीं सकती। हिरण्यकश्यप की आज्ञा से प्रहलाद को होलिका की गोद में बिठाकर आग लगा दी गई, पर ईश्वर की महिमा अपरंपार होती है। प्रहलाद तो बच गया, पर होलिका जल गई। इसी घटना की याद में हर साल रात को होलीका जलाई जाती है और अगले दिन रंगों का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।