बिहार के बेतिया जिले के बगहा में गंडक नदी के रौद्र रूप से बदलते नजर आने वाले कटाव के कारण ग्रामीण भयभीत हो रहे हैं।
नदी के इस असामान्य व्यापक प्रभाव के कारण लोग अब गंगा मइया की शरण में नदी के तट पर पूजा-अर्चना और हवन कर रहे हैं। नारायणी नदी के कहर से निजात पाने का प्रयास करते हुए लोग ईश्वर की शरण में आए हैं, क्योंकि इसे दैविक प्रकोप और कुदरत का कहर माना जा रहा है। इसलिए लोगों ने नदी के किनारे ही पूजा-पाठ और हवन शुरू किया है।
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गंडक नदी |
गंडक नदी की बदलती धारा ने इस बार दियारावर्ती इलाके में नई मुसीबतें खड़ी कर दी हैं। यूपी सीमा पर स्थित ठकराहा प्रखंड के कई क्षेत्रों में नदी ने अब यहां इसी मानसून सत्र में दूसरी बार यू-टर्न ले लिया है। इसके अलावा, मधुबनी प्रखंड के रंगललही गदियानी में नदी कटोरे की शक्ल में तेज बहाव के साथ पिपरा पिपरासी तटबंध के पास कटाव कर रही है। जल संसाधन विभाग की टीमें पिछले करीब एक महीने से सुरक्षात्मक कार्य कर रही हैं, लेकिन नदी की विकरालता इतनी है कि तेज कटाव के बावजूद गंडक की धारा पीपी तटबंध के करीब आ गई है। इसके कारण कई किसानों की सैकड़ों एकड़ जमीन और खेतों में लगी फसल नदी की धारा में समा चुकी है। इसलिए, ग्रामीणों और जल संसाधन विभाग के कर्मी और अभियंता नदी तट पर भगवान की शरण में जा पहुंचे हैं। नदी से हो रहे कटाव को रोकने के लिए पूजा-अर्चना और हवन किया जा रहा है।
इस मामले में गंडक नदी के कटाव का बढ़ता हुआ रोपण लोगों के लिए अत्यंत चिंताजनक साबित हो रहा है। नदी की विकराल धारा ने दियारावर्ती इलाके में नई मुसीबतें खड़ी कर दी हैं और कई क्षेत्रों में भयंकर कटाव का शिकार हुए लोग अब ईश्वर की शरण में आ रहे हैं। नदी की विकरालता के बावजूद लोगों का आदर्श और विश्वास अद्वितीय है, जिसके चलते वे नदी किनारे जाकर पूजा-पाठ और हवन कर रहे हैं। इस विधि से लोग नदी के कटाव से बचने का प्रयास कर रहे हैं।
मधुबनी प्रखंड के गदियानी में गंडक नदी के कटाव की बढ़ती हुई धारा ने अनेक स्थानों पर भयानक परिस्थितियों का सामना करवाया है। नदी का तेज बहाव पिपरा पिपरासी तटबंध के पास कटाव कर रहा है, जिससे स्थानीय लोग और किसान प्रभावित हो रहे हैं। इससे बचाव के लिए जल संसाधन विभाग की टीमें संबंधित क्षेत्रों में सुरक्षात्मक कार्य कर रही हैं। नदी के कटाव को रोकने के लिए लोग नदी के किनारे पूजा-पाठ और हवन कर रहे हैं, जो इस स्थिति का समाधान ढूंढने की कोशिश है।
इस मामले में गंडक नदी के कटाव से बचने के लिए लोग नदी के किनारे पूजा-पाठ और हवन कर रहे हैं, जो उनके निश्चित आस्थानों और विश्वास को दर्शाता है। यह नदी के असामान्य व्यापक प्रभाव और बदलते मौसम के लिए लोगों की आत्मनिर्भरता और ईश्वर में विश्वास का परिचय करता है। नदी से हो रहे कटाव को रोकने के लिए यह एक वैचारिक और भावनात्मक उत्तर है, जो लोगों के लिए उम्मीद और सामृद्धि की प्राप्ति में सहारा बन सकता है।