बिहार मे जाति जनगणना को लेकर कही ये बात, सुप्रीम कोर्ट ने सुना दिया बड़ा फैसला।
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार के जातीय गणना के आंकड़ों पर रोक लगाने के आदान-प्रदान को इनकार कर दिया है, कहते हुए कि उन्हें किसी राज्य सरकार के किसी काम पर रोक लगाने का अधिकार नहीं है। बिहार सरकार को नोटिस जारी कर अगले साल जनवरी तक जवाब देने को कहा गया है, और इस मामले में विस्तृत सुनवाई करने की स्वीकृति दी गई है।
पिछले 2 अक्टूबर को बिहार सरकार ने जातीय गणना के आंकड़ों की रिलीज की थी, और केंद्र सरकार ने इस पर विरोध किया था, कहकर कि जनगणना पर सभी फैसले केंद्र के पास होते हैं और राज्य सरकारें इस संबंध में कोई फैसला नहीं ले सकतीं। जस्टिस संजीव खन्ना ने बताया कि बिहार सरकार ने डेटा एकत्र कर लिया और डेटा को जारी भी कर दिया है। हाईकोर्ट ने मामले में विस्तृत आदेश जारी किया था, और याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि मामले पेंडिंग थे और इस बीच सरकार ने डेटा जारी किया है। इससे पहले बिहार सरकार पटना हाईकोर्ट में कह चुकी है कि यह जनगणना नहीं बल्कि सर्वे है, और पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को सर्वे कराने को हरी झंडी दी थी।
सुनवाई के दौरान बिहार सरकार ने बताया कि सर्वे का काम पूरा हो चुका है और आंकड़े भी ऑनलाइन अपलोड कर दिए गए हैं। इसके बाद याचिकाकर्ता के वकील ने बिहार में हो रही जातीय गणना का ब्योरा रिलीज कराने की मांग की, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा कि बिहार सरकार का पक्ष सुने बिना कोई रोक नहीं लगाई जा सकती।