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पटना में हुए प्रदर्शन के बाद, आंगनवाड़ी सेविकाओं को पुलिस ने वाटर कैनन और लाठीचार्ज से

 पटना में हुए प्रदर्शन के बाद, आंगनवाड़ी सेविकाओं को पुलिस ने वाटर कैनन और लाठीचार्ज से

पिछले कुछ दिनों से बिहार में चल रहे प्रदर्शनों ने साफ़ कर दिया है कि आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं की मांगों को लेकर सरकार को गंभीरता से निबटना होगा। इन महिलाओं की मुख्य मांगें  उच्चतम वेतन के साथ सरकारी कर्मचारी का दर्जा हैं। सेविकाओं का आरोप है कि वे अपनी मुख्य जिम्मेदारियों के लिए शौचालय बनाने की बात करती हैं, लेकिन स्वयं सड़कों पर पानी से नहाना पड़ रहा है और इस पर सरकार का ध्यान नहीं है। इसके परिणामस्वरूप, हजारों सेविकाएं और सहायिकाएं गुस्से में प्रदर्शन कर रही हैं। पटना में हुए प्रदर्शन के बाद, सेविकाओं को पुलिस ने वाटर कैनन और लाठीचार्ज से निर्वस्त्र करके उनकी आंदोलन को दबाया गया। यहां तक कि कई सेविकाएं बेहोश हो गईं और कई चोटिल हो गईं। इसके बाद भी सेविकाएं अपनी मांगों पर दृढ़ रही हैं और उन्होंने घेरा डालो अभियान की धमकी दी है। इन महिलाओं का कहना है कि वे अपनी मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से मिलने गई थीं और उनसे अपनी मांगों की पूर्ति के लिए आश्वासन प्राप्त करने का उम्मीद कर रही थीं, लेकिन इसका नतीजा निराशाजनक रहा। उनका कहना है कि तेजस्वी यादव ने अपने जन्मदिन के मौके पर ,  पुलिस ने उन्हें वाटर कैनन से भींगा कर प्रदर्शन खत्म करने का प्रयास किया।सेविकाओं की मुख्य मांगों में से एक यह भी है कि सरकारी कर्मचारी का दर्जा उन्हें तत्काल मिलना चाहिए और अगर ऐसा नहीं हुआ तो उन्हें महीने के 25 हजार रुपये और रसोईया को 18 हजार रुपये का वेतन मिलना चाहिए। इस समस्या का समाधान ढूंढने के लिए सरकार को तत्परता से काम करना चाहिए ताकि इन महिलाओं को उच्चतम स्तर का स्वास्थ्य सुरक्षा मिल सके और वे भविष्य में भी इस क्षेत्र में सकारात्मक योगदान देने में सक्षम रहें।

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