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नवादा जिला के नारदीगंज बाजार में जाम की समस्या: बीए पार्ट 3 के परीक्षार्थियों को हो रही कठिनाइयाँ।

 वादा जिला के नारदीगंज बाजार में जाम की समस्या: बीए पार्ट 3 के परीक्षार्थियों को हो रही कठिनाइयाँ।

नारदीगंज में जाम की समस्या

बिहार के नवादा जिले के नारदीगंज बाजार का चौक इन दिनों अतिक्रमण की समस्या से जूझ रहा है। इस अतिक्रमण ने स्थानीय निवासियों और व्यापारियों के लिए बड़ी परेशानी खड़ी कर दी है। दुकानदार अपनी दुकानों के आगे टू व्हीलर और ठेले खड़े कर देते हैं, जिससे बाजार जाने वाला मुख्य रास्ता अक्सर जाम रहता है। न केवल स्थानीय लोग बल्कि राहगीर और वाहन चालक भी इस समस्या से परेशान हैं। जाम की स्थिति कभी-कभी इतनी गंभीर हो जाती है कि घंटों तक लोग फंसे रहते हैं।नारदीगंज बाजार में बीए पार्ट 3 के परीक्षा के दौरान परीक्षार्थियों को जाम की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है। यह जाम सिर्फ उनके परीक्षा केंद्र तक पहुंचने में बाधा नहीं बना रहा है, बल्कि उनके मानसिक तनाव को भी बढ़ा रहा है, जिससे उनकी परीक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।


जाम की मुख्य वजहें

1. दुकानदारों का सामान सजा कर रखना: नारदीगंज बाजार के दुकानदार अपने दुकानों के सामने सामान सजा कर रखते हैं, जिससे सड़क की चौड़ाई कम हो जाती है। यह स्थिति न केवल पैदल चलने वालों के लिए मुश्किलें पैदा करती है, बल्कि वाहनों की आवाजाही को भी प्रभावित करती है।

2. ठेला वालों का सड़क पर ठेला लगाना: ठेला वाले सड़क पर ठेला लगाकर सामान बेचते हैं, जिससे सड़क पर जाम की स्थिति और भी गंभीर हो जाती है। ठेलों की वजह से सड़क की आधी से अधिक चौड़ाई घिर जाती है, जिससे वाहनों को निकलने में कठिनाई होती है।

3. अव्यवस्थित ट्रैफिक: बाजार में ट्रैफिक व्यवस्था भी बेहद अव्यवस्थित है। ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करने वाले वाहन चालकों की वजह से जाम की समस्या और भी बढ़ जाती है। कई बार तो ट्रैफिक पुलिस की मौजूदगी भी इस समस्या को हल नहीं कर पाती।

4. पार्किंग की समस्या: बाजार में पार्किंग की उचित व्यवस्था नहीं होने की वजह से लोग अपने वाहन कहीं भी खड़ा कर देते हैं, जिससे जाम की समस्या और गंभीर हो जाती है।

परीक्षार्थियों की परेशानीयाँ

बीए पार्ट 3 की परीक्षा देने वाले छात्रों एवं छात्राओं के लिए यह जाम बड़ी परेशानी का कारण बन गया है। उन्हें निम्नलिखित कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है:

1.परीक्षा केंद्र तक पहुंचने में देरी: जाम की वजह से छात्रों को परीक्षा केंद्र तक पहुंचने में देरी हो जाती है। कई बार तो वे समय पर परीक्षा हॉल में नहीं पहुंच पाते, जिससे उन्हें परीक्षा शुरू होने से पहले ही मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है।

2. मानसिक तनाव: जाम में फंसे रहने से छात्रों में तनाव और चिंता बढ़ जाती है, जो उनकी परीक्षा की तैयारी और प्रदर्शन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।

3. शारीरिक थकान: लंबे समय तक जाम में फंसे रहने से छात्रों को शारीरिक थकान होती है, जिससे उनकी मानसिक और शारीरिक स्थिति प्रभावित होती है।

4. असुरक्षा की भावना: जाम की स्थिति में छात्रों को असुरक्षा की भावना भी सताने लगती है, खासकर जब वे समय पर परीक्षा केंद्र नहीं पहुंच पाते।

नारदीगंज बाजार में अतिक्रमण की समस्या कोई नई नहीं है। यह समस्या वर्षों से बनी हुई है और हर दिन और गंभीर होती जा रही है। दुकानदार अपनी दुकानों के सामने ज्यादा से ज्यादा सामान प्रदर्शित करने के चक्कर में फुटपाथ और सड़क का हिस्सा भी घेर लेते हैं। वहीं, कई दुकानदार अपनी दुकानों के सामने टू व्हीलर और ठेले खड़े कर देते हैं। इससे रास्ता संकरा हो जाता है और वाहनों के आने-जाने में कठिनाई होती है। 

बाजार के चौक से अंदर की ओर जाने वाला यह रास्ता नारदीगंज का मुख्य बाजार क्षेत्र है, जहां पर कई महत्वपूर्ण दुकानें इसी रास्ते में कॉलेज भी  स्थित हैं। जो परीक्षार्थियों को आने-जाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यह रास्ता व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र है, लेकिन अतिक्रमण के कारण यहां पर वाहनों और पैदल यात्रियों के लिए मार्ग अवरुद्ध हो जाता है।

स्थानीय निवासियों की परेशानी

स्थानीय निवासियों के लिए यह समस्या एक बड़ी सिरदर्दी बन चुकी है। हर रोज़ उन्हें इस जाम की समस्या से जूझना पड़ता है। कई बार स्कूल जाने वाले बच्चे, काम पर जाने वाले लोग, और आपातकालीन सेवाओं के वाहन इस जाम में फंस जाते हैं। एक स्थानीय निवासी, रामेश्वर सिंह ने बताया, "यहां पर हर रोज़ जाम लगता है। बच्चे स्कूल जाने में देर हो जाते हैं और कभी-कभी मरीजों को अस्पताल ले जाने में भी कठिनाई होती है। प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए।"

बाजार क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के लिए समय-समय पर अभियान चलाए जाते हैं, लेकिन इन अभियानों का कोई स्थायी समाधान नहीं निकल पाता। अतिक्रमण हटाने के कुछ दिनों बाद ही दुकानदार फिर से सड़क पर सामान रखना शुरू कर देते हैं। 

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