सुप्रीम कोर्ट की सख्ती से राज्य सरकारों की लापरवाही पर कड़ी फटकार, ई-श्रम पोर्टल पर प्रवासी मजदूरों के सत्यापन में देरी पर गुस्सा।
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सुप्रीम कोर्ट |
सत्यापन में देरी पर अदालत की नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने प्रवासी मजदूरों के सत्यापन में हो रही देरी को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। अदालत ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, “सत्यापन चार महीने में क्यों पूरा नहीं हो सका? यह तो हद हो गई। चार महीने बाद भी आप यह कर रहे हैं और यह कहने की हिम्मत कर रहे हैं कि इसके लिए और दो महीने चाहिए। हम निर्देश देते हैं कि पूरा सत्यापन चार हफ्ते में पूरा किया जाए। अगर इसके बाद भी तय समय सीमा के अंदर सत्यापन पूरा नहीं होता है, तो सभी सचिवों को तलब करेंगे।”
बिहार और तेलंगाना की तारीफ
सुप्रीम कोर्ट ने इस मौके पर बिहार और तेलंगाना की तारीफ भी की। पीठ ने कहा, “बिहार और तेलंगाना ही ऐसे राज्य हैं जिन्होंने प्रवासी मजदूरों का 100 प्रतिशत सत्यापन पूरा कर लिया है।” शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को इन राज्यों को खाद्यान्न जारी करने का निर्देश भी दिया। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि कुछ राज्यों ने सत्यापन की प्रक्रिया पूरी कर ली है, लेकिन ज्यादातर राज्य यह काम नहीं कर पाए हैं। इससे लोगों को राशन नहीं मिल पा रहा है।
राशन वितरण में देरी पर प्रशांत भूषण की चिंता
प्रशांत भूषण ने कहा, “राशन कार्ड जारी होने के बाद भी ये राज्य इन श्रमिकों को राशन जारी नहीं कर रहे हैं। इन राज्यों का कहना है कि केंद्र सरकार अतिरिक्त राशन ही नहीं दे रही है, तो हम इन्हें राशन कहां से बांट दें।” इस पर सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार को आदेश दिया कि जो भी राज्य सत्यापन का काम पूरा कर लें, उन्हें तुरंत राशन मुहैया कराया जाए।
ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत प्रवासी मजदूरों को राशन कार्ड देने का आदेश
अदालत ने इससे पहले सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि वे सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाने के लिए ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत लगभग आठ करोड़ प्रवासी मजदूरों को दो महीने के भीतर राशन कार्ड उपलब्ध कराएं। अदालत ने इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा था कि यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी प्रवासी मजदूरों को समय पर राशन कार्ड मिले, ताकि उन्हें उचित राशन और अन्य सरकारी सुविधाओं का लाभ मिल सके।
अगली सुनवाई की तारीख
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 27 अगस्त के लिए सूचीबद्ध कर दी है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर राज्य सरकारें इस बार भी समय पर सत्यापन का काम पूरा नहीं करती हैं, तो उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला एक बार फिर यह साबित करता है कि सरकारी आदेशों का समय पर पालन नहीं होने से आम लोगों को कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती से उम्मीद है कि अब राज्य सरकारें अपने कार्यों में तेजी लाएंगी और प्रवासी मजदूरों को उनका हक जल्द मिलेगा। ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत प्रवासी मजदूरों का सत्यापन और उन्हें राशन कार्ड जारी करना एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे वे सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे और उनके जीवन स्तर में सुधार होगा।
इस प्रकार, सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार ने राज्य सरकारों को चेतावनी दी है कि वे अपने कार्यों में लापरवाही न बरतें और जनता की समस्याओं का समय पर समाधान करें। अब देखना होगा कि आने वाले समय में राज्य सरकारें इस आदेश का कितना पालन करती हैं और प्रवासी मजदूरों को उनका हक दिलाने में कितनी सफल होती हैं।