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पटना में 1 सितंबर से डीजल बसों पर प्रतिबंध: प्रदूषण नियंत्रण के लिए उठाया गया अहम कदम।

 पटना में 1 सितंबर से डीजल बसों पर प्रतिबंध: प्रदूषण नियंत्रण के लिए उठाया गया अहम कदम

पटना, 21 अगस्त 2024 - बिहार की राजधानी पटना में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन की दिशा में कदम बढ़ाया गया है। सरकार ने शहर के बढ़ते प्रदूषण और नागरिकों के स्वास्थ्य पर इसके प्रतिकूल प्रभाव को देखते हुए एक बड़ा निर्णय लिया है। 1 सितंबर 2024 से पटना नगर निगम क्षेत्र, दानापुर, खगौल और फुलवारी शरीफ नगर परिषद क्षेत्र में डीजल चालित बसों, मिनी बसों, और स्कूल बसों का परिचालन पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा। यह आदेश मंगलवार को जिलाधिकारी (DM) डॉ. चंद्रशेखर सिंह की अध्यक्षता में आयोजित परिवहन से जुड़ी एक बैठक के बाद जारी किया गया। 

प्रदूषण पर नियंत्रण: सरकार की प्राथमिकता

पटना में बढ़ते प्रदूषण के खतरे को देखते हुए सरकार ने इस सख्त कदम को उठाया है। DM डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि मोटर यान अधिनियम के तहत राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया है कि डीजल चालित वाहनों से निकलने वाले प्रदूषित गैसों का उत्सर्जन, खासकर बच्चों और नागरिकों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल रहा है। विशेष रूप से, डीजल चालित स्कूल बसें बच्चों की सेहत के लिए अधिक हानिकारक साबित हो रही हैं, जिसके मद्देनजर इन वाहनों पर प्रतिबंध लगाना आवश्यक हो गया है।

बैठक में उठाए गए मुद्दे और बस संघों की प्रतिक्रिया

इस फैसले को लेकर समाहरणालय में बुधवार को आयोजित बैठक में बस संघों के प्रतिनिधियों ने अपनी समस्याओं और चिंताओं को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने बताया कि इस फैसले से उन्हें भारी वित्तीय नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, DM ने आश्वासन दिया कि उनकी समस्याओं को सरकार तक पहुंचाया जाएगा और सभी संबंधित पक्षों के हितों का ध्यान रखा जाएगा। उन्होंने जिला परिवहन पदाधिकारी (DTO) को निर्देश दिया कि वह इस फैसले को अक्षरश: लागू करने के लिए सभी आवश्यक कार्रवाई करें।

सरकार की अधिसूचना और निर्देश

सरकार ने साफ तौर पर निर्देश दिया है कि 1 सितंबर से पटना नगर निगम क्षेत्र और इसके आसपास के क्षेत्रों में डीजल चालित बसों का परिचालन पूरी तरह से बंद किया जाएगा। हालांकि, यह प्रतिबंध उन वाहनों पर लागू नहीं होगा जो वैध परमिट पर पटना नगर निगम, दानापुर, खगौल, और फुलवारी शरीफ नगर परिषद क्षेत्र के अधिसूचित मार्गों को छोड़कर अन्य अधिसूचित मार्गों पर संचालित होते हैं और शहरी क्षेत्रों से केवल गुजरते हैं। ऐसे वाहन जिनका उपयोग केवल यात्रियों को बस स्टैंड पर उतारने और बैठाने के लिए किया जाता है, उन्हें भी इस प्रतिबंध से छूट दी गई है।

सीएनजी और इलेक्ट्रिक बसों का विकल्प

सरकार ने स्पष्ट किया है कि अधिसूचना के प्रकाशन की तिथि से इन क्षेत्रों में उपयोग किए जा रहे डीजल चालित वाहनों को सीएनजी (CNG) या इलेक्ट्रिक वाहनों से 31 अगस्त तक हर हाल में बदलना होगा। इस दिशा में सरकार द्वारा कई उपाय भी किए जा रहे हैं, जिससे बस ऑपरेटर्स को सीएनजी या इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद में मदद मिल सके। सरकार इस बात का भी प्रयास कर रही है कि सीएनजी और इलेक्ट्रिक बसों की संख्या को बढ़ाया जाए, ताकि डीजल वाहनों पर निर्भरता कम हो सके।

पर्यावरणीय प्रभाव और स्वास्थ्य सुरक्षा

DM ने बताया कि पटना शहर में वायु प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ रहा है, जो नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा बनता जा रहा है। डीजल चालित वाहनों से निकलने वाले धुएं में नाइट्रोजन ऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर (PM) जैसे हानिकारक तत्व होते हैं, जो सांस की बीमारियों, हृदय रोगों और कैंसर जैसी घातक बीमारियों का कारण बन सकते हैं। ऐसे में इन वाहनों का संचालन बंद करना आवश्यक हो गया है। 

डीजल वाहनों के विकल्प की तलाश

सरकार द्वारा डीजल चालित वाहनों के विकल्प के रूप में सीएनजी और इलेक्ट्रिक बसों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस बदलाव के लिए बस ऑपरेटरों को भी समय दिया गया है, ताकि वे अपनी बसों को बदल सकें। यह कदम न केवल पर्यावरण के लिए बेहतर साबित होगा, बल्कि शहर के स्वास्थ्य मानकों में भी सुधार करेगा।

बैठक में अधिकारियों की उपस्थिति

इस अहम बैठक में DM के अलावा, डीडीसी तनय सुलतानिया, ट्रैफिक एसपी अशोक कुमार चौधरी, डीटीओ, जिला शिक्षा पदाधिकारी, संबंधित नगर कार्यपालक पदाधिकारी, विद्यालयों के प्राचार्य, और बस संघों के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। बैठक के दौरान, सभी संबंधित पक्षों को निर्देश दिए गए कि वे इस फैसले को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।

समाज के विभिन्न वर्गों की प्रतिक्रिया

सरकार के इस फैसले पर समाज के विभिन्न वर्गों की मिली-जुली प्रतिक्रिया सामने आई है। पर्यावरणविदों ने इस कदम का स्वागत किया है और इसे पर्यावरणीय सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम बताया है। वहीं, बस ऑपरेटरों ने इसे अपने लिए आर्थिक रूप से हानिकारक बताया है और सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है। 

आगे का रास्ता

सरकार ने यह भी साफ किया है कि पटना जैसे बड़े शहरों में बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए इस तरह के सख्त कदम उठाना जरूरी है। आने वाले समय में, इस तरह के अन्य फैसलों की भी संभावना है, जिससे प्रदूषण को कम किया जा सके और नागरिकों के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखा जा सके।

पटना में 1 सितंबर से डीजल चालित बसों पर प्रतिबंध लगाना एक महत्वपूर्ण और साहसिक निर्णय है, जो पर्यावरण की सुरक्षा और नागरिकों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देता है। हालांकि, इस फैसले के लागू होने से बस ऑपरेटर्स और संबंधित पक्षों को कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन लंबे समय में यह निर्णय पटना के शहरी जीवन को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। अब यह देखना होगा कि इस फैसले के क्रियान्वयन में क्या चुनौतियाँ आती हैं और सरकार कैसे इनका समाधान करती है।

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