जहानाबाद: सावन की चौथी सोमवारी पर बाबा सिद्धेश्वर नाथ मंदिर में भगदड़, आठ श्रद्धालुओं की दर्दनाक मौत, प्रशासन ने सात की पुष्टि की
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बाबा सिद्धेश्वर नाथ मंदिर |
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हादसे के बाद रोते बिलखते परिवार |
घटना का विवरण:
घटना रविवार रात की है जब सावन की चौथी सोमवारी के अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ बाबा सिद्धेश्वर नाथ मंदिर में जल चढ़ाने के लिए एकत्रित हुई थी। सावन के महीने में इस मंदिर में जलाभिषेक के लिए दूर-दूर से भक्त पहुंचते हैं, और सोमवारी के दिन भीड़ अपने चरम पर होती है। इस बार भी सोमवारी की रात से ही भक्तों की भीड़ मंदिर की ओर बढ़ने लगी थी। बाबा सिद्धेश्वर नाथ का मंदिर पहाड़ के ऊपर स्थित है, और वहां पहुंचने के लिए लोगों को चढ़ाई करनी पड़ती है।
भगदड़ का कारण और प्रशासन की प्रतिक्रिया:
भगदड़ के पीछे की वजह पर चर्चा करते हुए, एसडीओ विकास कुमार ने कहा कि इस हादसे पर आधिकारिक बयान थोड़ी देर बाद दिया जाएगा। जब उनसे पूछा गया कि क्या सुरक्षा में कोई कमी थी, तो उन्होंने बताया कि चौथी सोमवारी के मद्देनजर प्रशासन ने पूरी सतर्कता बरती थी। उन्होंने कहा, "हमने सिविल, मजिस्ट्रेट और मेडिकल टीम की तैनाती की थी। बावजूद इसके, यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटित हो गई। आगे की प्रक्रिया हम कर रहे हैं।"
वहीं, कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने प्रशासन पर लाठीचार्ज करने का आरोप लगाया, जिसके कारण भगदड़ मची। एक प्रत्यक्षदर्शी ने कहा, "एनसीसी के जवानों द्वारा लाठीचार्ज करने से भगदड़ मच गई। बिहार पुलिस की कोई तैनाती नहीं थी। पहाड़ पर चढ़ाई के दौरान पुलिस और लोगों के बीच बहस हो गई थी, जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज किया, और लोग घबराकर पीछे की ओर भागने लगे। इस दौरान कई लोग गिर पड़े और दम घुटने लगा।"
प्रशासन की कार्यवाही:
घटना की जानकारी मिलते ही प्रशासनिक टीम तुरंत मौके पर पहुंची और राहत एवं बचाव कार्य शुरू कर दिया। घायलों को तत्काल नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है। अधिकारियों ने बताया कि घटनास्थल पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने कड़ी व्यवस्था की थी, लेकिन भारी भीड़ के कारण यह हादसा हुआ। एसडीओ विकास कुमार ने बताया कि सुरक्षा के तमाम इंतजाम किए गए थे, लेकिन भीड़ की अप्रत्याशित संख्या के कारण यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटित हो गई।
मंदिर के महत्व और सावन की सोमवारी का विशेष महत्व:
बाबा सिद्धेश्वर नाथ मंदिर बिहार के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। सावन के महीने में यहाँ श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। सावन के महीने में चार सोमवारी का विशेष महत्व होता है और इस अवसर पर भक्त बड़ी संख्या में भगवान शिव की पूजा-अर्चना और जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं। इस दिन भक्तों का मानना है कि भगवान शिव उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इस विश्वास के कारण ही यहाँ हर सोमवारी को भीड़ उमड़ती है, और इस बार चौथी सोमवारी पर भक्तों का सैलाब देखने को मिला।
घायलों की स्थिति और परिवारों की प्रतिक्रिया:
अस्पताल में भर्ती घायलों में से कई की हालत गंभीर बताई जा रही है। मृतकों के परिवारों में मातम छा गया है। प्रशासन ने मृतकों के परिजनों को हर संभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया है। एक घायल व्यक्ति के परिजन ने बताया, "हम यहाँ भगवान शिव का जलाभिषेक करने आए थे, लेकिन हमें नहीं पता था कि यह पूजा हमें इस तरह के दुख में डुबो देगी।"
यह घटना बिहार के धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा के मुद्दे पर सवाल उठाती है। सावन के महीने में बाबा सिद्धेश्वर नाथ मंदिर जैसे धार्मिक स्थलों पर भारी भीड़ जुटना आम बात है। ऐसे में प्रशासन की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि वह भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त और प्रभावी इंतजाम करे। इस घटना ने न केवल प्रशासन की तैयारियों पर सवाल उठाए हैं, बल्कि यह भी दिखाया है कि धार्मिक आयोजनों में भीड़ प्रबंधन कितना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए प्रशासन को और सतर्कता बरतने और उचित योजना बनाकर कार्य करने की आवश्यकता है, ताकि श्रद्धालु सुरक्षित रूप से अपनी धार्मिक आस्था का पालन कर सकें। इस दुखद घटना ने पूरे इलाके को शोक में डूबो दिया है और इससे जुड़े हर व्यक्ति के मन में गहरे घाव छोड़े हैं।
जहानाबाद के मखदुमपुर में बाबा सिद्धेश्वर नाथ मंदिर में हुई इस दुखद घटना ने सावन के महीने की पवित्रता को काले धब्बे में बदल दिया। श्रद्धालुओं के बीच हाहाकार मच गया और प्रशासन की तैयारियों पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। अब देखना यह है कि आगे ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं और प्रशासन कैसे सुनिश्चित करता है कि धार्मिक आयोजनों में श्रद्धालुओं की सुरक्षा प्राथमिकता में रहे