बिहार जमीन सर्वे: जरूरी दस्तावेज और प्रक्रिया की पूरी जानकारी।
बिहार सरकार ने जमीनों के रिकॉर्ड को अपडेट करने और पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से राज्यभर में जमीन सर्वेक्षण (Bihar Land Survey) की प्रक्रिया शुरू की है। बिहार में जमीन के रिकॉर्ड 100 साल से भी पुराने हैं, जिससे समय के साथ उनमें त्रुटियां और अनियमितताएं हो गई हैं। सरकार का यह प्रयास उन रिकॉर्ड्स को अपडेट कर जनता को उनकी जमीन पर पुख्ता मालिकाना हक दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस प्रक्रिया को लेकर आम जनता के मन में कई तरह की शंकाएं और सवाल हैं, जैसे कि कौन-कौन से दस्तावेज आवश्यक हैं, आवेदन कैसे करें, और ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन करने की प्रक्रिया क्या है। इस लेख में हम इन्हीं सवालों के जवाब विस्तार से देंगे।
1. सर्वेक्षण का उद्देश्य:
बिहार सरकार के इस जमीन सर्वेक्षण का उद्देश्य जनता की जमीन को छीनना नहीं है, बल्कि उन्हें उनके जमीन पर पुख्ता मालिकाना हक दिलाना है। पुराने रिकॉर्ड्स के कारण समय के साथ भूमि विवादों और समस्याओं में वृद्धि हुई है। सरकार का यह सर्वेक्षण उन सभी रिकॉर्ड्स को अपडेट कर सही जानकारी को स्थापित करने का एक प्रयास है। इससे जमीन से संबंधित विवादों का समाधान भी हो सकेगा और लोगों को उनके अधिकारों की सुरक्षा मिलेगी।
2. जमीन सर्वे के लिए आवश्यक दस्तावेज:
जमीन सर्वेक्षण के लिए निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता होगी:
खातिहान (Khatiyan): यदि जमीन आपकी खानदानी है, तो आपको उस जमीन का खातिहान प्रस्तुत करना होगा, जिससे यह स्थापित हो सके कि जमीन पर आपका पुश्तैनी हक बनता है।
वंशावली (Family Tree): वंशावली प्रस्तुत करना आवश्यक है, जिससे यह साबित हो सके कि जमीन आपके पूर्वजों से आपके पास आई है। वंशावली को स्थानीय सरपंच, वार्ड पार्षद, पंचायत सचिव या अंचलाधिकारी से सत्यापित करवाना होगा।
मृत्यु प्रमाण पत्र (Death Certificate): यदि जमीन आपके पूर्वजों के नाम पर थी और वे अब नहीं हैं, तो उनका मृत्यु प्रमाण पत्र और जमीन से जुड़े अन्य दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे, जिससे यह स्थापित हो सके कि जमीन का मालिकाना हक उनके पास था।
खरीदी गई जमीन के दस्तावेज: यदि जमीन खरीदी गई है, तो रजिस्ट्री की रसीद, केवाला (Kabala), और बैनामा (Sale Deed) जैसे दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे।
कोर्ट केस के आदेश (Court Order): यदि जमीन पर किसी प्रकार का कोर्ट केस हुआ है या कोई पारिवारिक विवाद है, तो संबंधित कोर्ट के आदेश की कॉपी भी जमा करनी होगी।
हालिया लगान की रसीद: जमीन के हालिया लगान की रसीद भी जमा करनी होगी, जिससे यह सिद्ध हो सके कि जमीन के करों का भुगतान नियमित रूप से किया जा रहा है।
3. ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया:
बिहार सरकार ने ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया को प्राथमिकता दी है ताकि डिजिटल रिकॉर्ड्स बनाए जा सकें और आवेदन को ट्रैक करना आसान हो। ऑनलाइन आवेदन करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की वेबसाइट पर जाएं: सबसे पहले, बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की आधिकारिक वेबसाइट (https://dlrs.bihar.gov.in/) पर जाएं।
फॉर्म भरें: वेबसाइट पर उपलब्ध फॉर्म में अपने परिवार और जमीन की पूरी जानकारी दर्ज करें। यह जानकारी सही और सटीक होनी चाहिए, क्योंकि इससे आपकी जमीन पर मालिकाना हक की पुष्टि होगी।
दस्तावेज अपलोड करें: फॉर्म भरने के बाद, जमीन से जुड़े सभी दस्तावेज जैसे खातिहान, वंशावली, रजिस्ट्री की रसीद, आदि को स्कैन करके अपलोड करें।
आवेदन जमा करें: सभी जानकारी भरने और दस्तावेज अपलोड करने के बाद, अपना आवेदन ऑनलाइन जमा करें। वेबसाइट आपको एक टोकन नंबर देगी, जिसका उपयोग आप अपने आवेदन की स्थिति को ट्रैक करने के लिए कर सकते हैं।
4. ऑफलाइन आवेदन की प्रक्रिया:
जिन लोगों के पास इंटरनेट की सुविधा नहीं है, वे ऑफलाइन आवेदन भी कर सकते हैं। इसके लिए बिहार सरकार ने हर जिले की हर पंचायत और गांव में शिविर (Camp) आयोजित किए हैं। इन शिविरों में जाकर आप अपने जमीन से जुड़े दस्तावेजों को जमा कर सकते हैं। ऑफलाइन आवेदन के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जा सकती है:
शिविर में जाएं: अपने गांव या पंचायत में आयोजित शिविर में जाएं और अपने जमीन से संबंधित सभी दस्तावेजों को साथ लेकर जाएं।
फॉर्म प्राप्त करें: शिविर में उपस्थित पदाधिकारियों से फॉर्म प्राप्त करें और उसमें सभी आवश्यक जानकारी दर्ज करें। इस फॉर्म में आपको अपनी जमीन का पता, खसरा नंबर, क्षेत्रफल, आदि की जानकारी देनी होगी।
दस्तावेज जमा करें: फॉर्म के साथ अपने जमीन से जुड़े सभी दस्तावेज जमा करें। इन दस्तावेजों की जांच करने के बाद ही आपका आवेदन स्वीकार किया जाएगा।
सेल्फ एफिडेविट (Self Affidavit): फॉर्म के साथ एक सेल्फ एफिडेविट भी भरें, जिसमें आप यह सत्यापित करेंगे कि आपने सभी जानकारी सही-सही दी है और कोई जानकारी छुपाई नहीं है।
5. दस्तावेजों की सत्यापन प्रक्रिया:
आपके द्वारा जमा किए गए दस्तावेजों की सत्यापन प्रक्रिया भी इस सर्वे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि सभी दस्तावेजों की जांच पूरी तरह से की जाएगी ताकि कोई भी गलत या धोखाधड़ी से जुड़ी जानकारी स्वीकार न की जाए। सत्यापन के बाद ही अंतिम रिकॉर्ड्स को अपडेट किया जाएगा।
6. सर्वे के बाद के लाभ:
इस सर्वे के बाद बिहार के लोगों को निम्नलिखित लाभ होंगे:
जमीन पर पुख्ता मालिकाना हक: इस सर्वे के माध्यम से लोग अपनी जमीन पर पुख्ता मालिकाना हक प्राप्त कर सकेंगे। इससे भूमि विवादों में कमी आएगी और जनता के अधिकारों की सुरक्षा होगी।
सटीक और अद्यतन रिकॉर्ड्स: सरकार के पास सटीक और अद्यतन भूमि रिकॉर्ड्स उपलब्ध होंगे, जिससे भविष्य में भूमि से जुड़े कार्यों में पारदर्शिता आएगी।
निवेश में वृद्धि: सही और स्पष्ट भूमि रिकॉर्ड्स होने से बिहार में निवेश की संभावनाएं बढ़ेंगी, जिससे राज्य के विकास में भी मदद मिलेगी।
बिहार में जमीन सर्वेक्षण प्रक्रिया राज्य के भूमि रिकॉर्ड्स को अद्यतन और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह प्रक्रिया जनता के लिए बेहद लाभकारी साबित हो सकती है, बशर्ते वे समय पर आवश्यक दस्तावेज जमा करें और सरकार की ओर से जारी निर्देशों का पालन करें। सरकार ने ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही तरीके से आवेदन की सुविधा प्रदान की है, जिससे सभी वर्ग के लोग इस प्रक्रिया का लाभ उठा सकें। यह सर्वे प्रक्रिया राज्य में भूमि विवादों को कम करने और सही मालिकाना हक सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।