महादलितों के घर फूंकने का मामला: नवादा में नंदू पासवान समेत 15 गिरफ्तार, पुलिस कर रही पूछताछ।
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नवादा के कृष्णा नगर में गरीबों का जला हुआ घर। |
बिहार के नवादा जिले में महादलितों के घरों को फूंकने की भयावह घटना ने पूरे इलाके में दहशत फैला दी है। यह घटना मुफस्सिल थाना क्षेत्र के भदोखरा पंचायत के देदौरा गांव स्थित कृष्णा नगर टोले में हुई, जहां 100-150 हमलावरों ने महादलित परिवारों के घरों पर हमला किया और उन्हें आग के हवाले कर दिया। इस घटना में प्रमुख आरोपी नंदू पासवान समेत 15 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। नंदू पासवान बिहार पुलिस का रिटायर्ड सिपाही है, जिसने 10 साल पहले यानी 2014 में सेवा से निवृत्ति प्राप्त की थी।
घटना का पूरा विवरण:
बुधवार रात को करीब 100-150 लोगों का एक उग्र समूह अचानक कृष्णा नगर टोले में पहुंचा और फायरिंग शुरू कर दी। ग्रामीणों का कहना है कि उस समय महादलित परिवार के लोग अपने घरों के बाहर बैठकर खाना खा रहे थे। अचानक हुए हमले से इलाके में हड़कंप मच गया। हमलावरों ने बिना किसी चेतावनी के एक-एक कर महादलितों के घरों में आग लगाना शुरू कर दिया। भयभीत महिलाएं, पुरुष और बच्चे अपने घर छोड़कर जान बचाने के लिए भागने लगे।
आगजनी और हिंसा का असर:
आग की लपटों ने न केवल घरों को निगल लिया, बल्कि अंदर बंधी बकरियां और मुर्गियां भी जलकर राख हो गईं। कई घरों में हमलावरों ने तोड़फोड़ भी की। इस हिंसक घटना के पीछे जमीनी विवाद को मुख्य कारण बताया जा रहा है। पुलिस द्वारा जारी की गई जानकारी के अनुसार, जिस जमीन पर यह विवाद हुआ, वह कोर्ट में लंबित है। नवादा कोर्ट में इस जमीन पर टाइटल सूट संख्या 22/1995 के तहत मामला चल रहा है।
मुख्य आरोपी नंदू पासवान और उसका परिवार:
इस पूरे कांड का मास्टरमाइंड 70 वर्षीय नंदू पासवान बताया जा रहा है, जो बिहार पुलिस में सिपाही के पद पर था और 2014 में रिटायर्ड हुआ था। नंदू का बेटा नागेश्वर पासवान, जो भदोखरा पंचायत के वार्ड नंबर 16 (कृष्णा नगर) का वार्ड सदस्य है, भी इस घटना में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। नागेश्वर के साथ ही नंदू की बहू सरिता भारती, जो आंगनबाड़ी सेविका के रूप में काम करती है, भी इस विवाद से अप्रभावित नहीं रही।
पुलिस की कार्रवाई और जांच:
घटना के तुरंत बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया और हमलावरों की गिरफ्तारी के लिए तेजी से छापेमारी शुरू की। पुलिस ने 28 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की है, जिसमें नंदू पासवान और उसके बेटे को मुख्य आरोपी बनाया गया है। पुलिस ने अब तक 15 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है और उनसे पूछताछ की जा रही है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि बाकी आरोपियों की तलाश जारी है और उन्हें भी जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
जमीन विवाद का कारण:
घटना की जांच में सामने आया है कि यह हमला जमीनी विवाद का नतीजा है। इस विवादित जमीन पर महादलित समुदाय के कुछ लोग रह रहे थे, जबकि दबंग समुदाय के लोग उस जमीन पर अपना दावा कर रहे थे। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि विवादित जमीन को लेकर काफी समय से तनाव चल रहा था। घटना के दिन भी इस विवाद को लेकर कहासुनी हुई थी, जिसके बाद अचानक यह हमला किया गया।
प्रशासन की प्रतिक्रिया:
घटना की गंभीरता को देखते हुए नवादा के डीएम और एसपी ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। डीएम ने बताया कि यह घटना अत्यंत निंदनीय है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। एसपी ने कहा कि पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की जांच तेज कर दी गई है। उन्होंने आश्वासन दिया कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा और उन्हें कड़ी सजा दिलाई जाएगी।
महादलित परिवारों की स्थिति:
इस घटना ने महादलित परिवारों को गहरे सदमे में डाल दिया है। जिनके घर जलकर राख हो गए, वे अब खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। प्रभावित परिवारों का कहना है कि उनकी सारी संपत्ति आग में जल गई और अब उनके पास कुछ भी नहीं बचा है। घर के पुरुष अपने बच्चों और महिलाओं को सुरक्षित जगह पर पहुंचाने में जुटे हुए हैं, जबकि महिलाएं और बुजुर्ग इस घटना से बुरी तरह आहत हैं।
घटना के बाद का माहौल:
इस घटना के बाद से गांव में तनाव का माहौल है। पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है ताकि किसी भी तरह की हिंसा को रोका जा सके। पुलिस गांव के चारों ओर पहरा दे रही है और सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। प्रभावित परिवारों को तत्काल राहत देने के लिए प्रशासन ने सहायता की प्रक्रिया शुरू कर दी है। हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि इस घटना से गांव में भय और असुरक्षा का माहौल बन गया है और उन्हें डर है कि भविष्य में फिर से इस तरह की हिंसा हो सकती है।
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया:
इस घटना की निंदा करते हुए कई सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। महादलित समुदाय के नेताओं ने प्रशासन से गुहार लगाई है कि उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाए और दोषियों को कड़ी सजा मिले। वहीं, कुछ राजनीतिक दलों ने इसे प्रशासन की विफलता बताया है और कहा है कि अगर समय रहते पुलिस ने कदम उठाए होते, तो इस तरह की घटना नहीं होती।
नवादा में महादलितों के घरों को फूंकने की यह घटना न केवल जमीनी विवाद का नतीजा है, बल्कि यह समाज में व्याप्त असमानता और जातिगत तनाव को भी उजागर करती है। नंदू पासवान और उसके परिवार के सदस्यों की गिरफ्तारी ने मामले को और भी गंभीर बना दिया है, क्योंकि इसमें शामिल लोग प्रशासनिक और सामाजिक जिम्मेदारियों से जुड़े हुए हैं। अब यह देखना होगा कि पुलिस और प्रशासन किस प्रकार इस मामले को सुलझाते हैं और पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाते हैं।