Type Here to Get Search Results !

Comments

Comments

बिहार विधानसभा चुनाव 2025: नीतीश कुमार के लिए LWS फैक्टर कितना चुनौतीपूर्ण?

 बिहार विधानसभा चुनाव 2025: नीतीश कुमार के लिए LWS फैक्टर कितना चुनौतीपूर्ण?

फाइल फोटो

बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 में होने वाला है, और राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार पर विपक्ष लगातार हमलावर है, और कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे चुनाव में प्रमुख भूमिका निभाने वाले हैं। इन मुद्दों में प्रमुख रूप से जमीन सर्वेक्षण (लैंड), शराबबंदी (वाइन), और स्मार्ट मीटर शामिल हैं, जिन्हें संक्षेप में "LWS" फैक्टर कहा जा रहा है। इन मुद्दों पर नीतीश सरकार को घेरने की तैयारी में विपक्ष पूरी तरह से जुटा हुआ है। आइए इन मुद्दों का विस्तार से विश्लेषण करते हैं और यह समझते हैं कि 2025 के चुनाव में यह नीतीश कुमार के लिए कितनी बड़ी चुनौती बन सकते हैं।

 1.**जमीन सर्वेक्षण (लैंड)**

बिहार में 20 अगस्त से राज्य भर में जमीन सर्वेक्षण का काम शुरू हो गया है। यह सर्वे 1950 के बाद पहली बार हो रहा है और इसे राज्य की जनता के लिए एक बड़ा मुद्दा माना जा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने इसे एक ऐतिहासिक पहल के रूप में प्रस्तुत किया है, जिसका उद्देश्य सभी जमीनों के रिकॉर्ड को दुरुस्त और पारदर्शी बनाना है। लेकिन इस अभियान के साथ कई समस्याएं और विरोध की आवाजें भी उठ रही हैं।

**विपक्ष की आलोचना:** नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने जमीन सर्वेक्षण में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए सरकार को निशाने पर लिया है। उनका कहना है कि इस प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है और कई लोग इससे परेशान हो रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि सर्वेक्षण के दौरान जमीनों का हेरफेर किया जा रहा है और कई लोगों की जमीनें गलत तरीके से किसी और के नाम दर्ज की जा रही हैं।

**जनता का गुस्सा:** वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक संतोष कुमार के अनुसार, जमीन सर्वेक्षण का काम जिस तरह से हो रहा है, उससे लोगों में भारी आक्रोश है। विशेष रूप से वे लोग जो राज्य से बाहर रहते हैं, इस सर्वेक्षण के चलते काफी परेशानी का सामना कर रहे हैं। कई लोगों के पास जमीन के सही दस्तावेज़ नहीं हैं, और अधिकारियों पर भ्रष्टाचार और मनमानी के आरोप भी लग रहे हैं। यदि नीतीश सरकार इस पर जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाती है, तो इसका प्रभाव चुनावों में दिखाई दे सकता है।

**आंध्र प्रदेश का उदाहरण:** संतोष कुमार ने आंध्र प्रदेश का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां की सरकार ने चुनाव से पहले इसी तरह के एक सर्वेक्षण का काम शुरू किया था, जिसके चलते उसे सत्ता से हाथ धोना पड़ा। अगर बिहार में भी यही स्थिति रही, तो नीतीश कुमार की सरकार को आने वाले चुनाव में इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

 2.**शराबबंदी (वाइन)**

बिहार में 2016 से शराबबंदी लागू है। यह नीतीश कुमार की सबसे बड़ी और विवादित नीतियों में से एक रही है। हालांकि शराबबंदी को लेकर सरकार की मंशा साफ है—राज्य में शराब के सेवन को पूरी तरह से रोकना—लेकिन इसके क्रियान्वयन और इसके सामाजिक-आर्थिक प्रभावों को लेकर सवाल उठते रहे हैं।

**प्रशांत किशोर का दावा:** चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर, जो इन दिनों अपनी स्वतंत्र राजनीतिक यात्रा पर हैं, ने ऐलान किया है कि अगर उनकी सरकार बनती है तो वह शराबबंदी को एक घंटे के भीतर खत्म कर देंगे। उनके इस बयान ने चुनावी चर्चा में एक नई बहस को जन्म दिया है।

**जनता का रुख:** हालांकि प्रशांत किशोर इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन संतोष कुमार का मानना है कि शराबबंदी का मुद्दा चुनावी नतीजों पर ज्यादा असर नहीं डालेगा। उन्होंने कहा कि बिहार में शराबबंदी को आठ साल हो चुके हैं और इस दौरान दो लोकसभा और एक विधानसभा चुनाव भी हुए हैं, लेकिन इसका कोई विशेष असर नहीं देखा गया। इसके बावजूद बिहार के लोग अभी भी शराबबंदी के पक्ष में हैं, और यही कारण है कि नीतीश कुमार को इस मुद्दे पर कोई बड़ी चुनौती नहीं मिलने वाली है।

 3.**स्मार्ट मीटर**

बिहार में हाल ही में लगाए गए स्मार्ट मीटर भी एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनते जा रहे हैं। इन स्मार्ट मीटरों के कारण लोगों को अधिक बिजली बिल का सामना करना पड़ रहा है, और इसको लेकर जनता में असंतोष बढ़ रहा है।


**विपक्ष का हमला:** तेजस्वी यादव ने अपनी सरकार बनने पर 200 यूनिट बिजली मुफ्त देने का ऐलान किया है। उन्होंने स्मार्ट मीटरों में हो रहे भ्रष्टाचार का भी आरोप लगाया है और कहा है कि इससे बिजली के बिल बढ़ रहे हैं और जनता परेशान हो रही है। विपक्ष इस मुद्दे को लेकर पूरी तरह से हमलावर है और चुनावी रैलियों में इसे जोर-शोर से उठा रहा है।


**सरकार की स्थिति:** राजनीतिक विश्लेषक संतोष कुमार ने इस मुद्दे को नीतीश कुमार के लिए एक बड़ी चुनौती माना है। उन्होंने कहा कि स्मार्ट मीटर का मुद्दा चुनाव में बड़ा साबित हो सकता है, खासकर तब जब सरकार ने इस पर कोई कदम नहीं उठाया। यदि सरकार इस मुद्दे को जल्द ही हल नहीं करती है, तो तेजस्वी यादव का 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा सरकार के लिए चुनावी संकट खड़ा कर सकता है।


 4.**नीतीश कुमार की चुनौतियाँ और संभावनाएँ**


नीतीश कुमार, जो बिहार की राजनीति के सबसे अनुभवी नेताओं में से एक हैं, 2025 के विधानसभा चुनावों में एक कठिन परीक्षा का सामना कर रहे हैं। जमीन सर्वेक्षण, शराबबंदी और स्मार्ट मीटर जैसे मुद्दों पर विपक्ष की आलोचना के बीच, यह देखना दिलचस्प होगा कि वह इन चुनौतियों का सामना कैसे करते हैं।

**नीतीश कुमार की रणनीति:** नीतीश कुमार की राजनीति में जो सबसे महत्वपूर्ण पहलू है, वह है उनकी प्रशासनिक दक्षता और जनसंपर्क। हालांकि इन मुद्दों पर सरकार पर सवाल उठ रहे हैं, लेकिन नीतीश कुमार के पास अभी भी समय है कि वह इन समस्याओं को हल कर जनता का विश्वास जीत सकें। उनका सबसे बड़ा हथियार उनकी शराबबंदी नीति हो सकती है, जिसे वह समाज में सुधार के रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं।

 5.**चुनावी नतीजों पर संभावित असर**

आने वाले विधानसभा चुनाव में LWS फैक्टर कितना महत्वपूर्ण साबित होगा, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि सरकार इन मुद्दों पर कैसे प्रतिक्रिया देती है। यदि नीतीश कुमार इन मुद्दों पर तेजी से कार्रवाई करते हैं और जनता के असंतोष को दूर करते हैं, तो वह एक बार फिर से सत्ता में वापसी कर सकते हैं। हालांकि, अगर समय रहते इन मुद्दों पर ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो विपक्ष इन मुद्दों को भुनाकर नीतीश सरकार को चुनौती दे सकता है।

 बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में जमीन सर्वेक्षण, शराबबंदी और स्मार्ट मीटर जैसे मुद्दे नीतीश कुमार के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकते हैं। जनता के असंतोष और विपक्ष के हमले के बीच, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि नीतीश कुमार इन मुद्दों को किस तरह से संभालते हैं। यदि वे इन मुद्दों पर सही कदम उठाते हैं, तो उनकी सरकार एक बार फिर से सत्ता में आ सकती है, लेकिन यदि इन मुद्दों को नजरअंदाज किया गया, तो यह चुनाव उनके लिए एक कठिन परीक्षा साबित हो सकता है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.