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बिहार के बेतिया में बाघ के हमले से 50 वर्षीय व्यक्ति की मौत, शव को 200 मीटर तक घसीटकर गन्ने के खेत में छोड़ा।

 बिहार के बेतिया में बाघ के हमले से 50 वर्षीय व्यक्ति की मौत, शव को 200 मीटर तक घसीटकर गन्ने के खेत में छोड़ा।

बेतिया, बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में मंगलवार को एक भयावह घटना सामने आई, जहां एक 50 वर्षीय व्यक्ति इनरदेव महतो की बाघ के हमले में मौत हो गई। घटना सहोदरा थाना क्षेत्र के बनबैरीया गांव के पास की है, जहां इनरदेव महतो सुबह 5 बजे बकरी चराने के लिए निकले थे। परिवार वालों ने बताया कि कुछ समय बाद उनकी बकरियां तो वापस घर आ गईं, लेकिन इनरदेव महतो नहीं लौटे। इससे परिवार को चिंता हुई और उन्होंने तुरंत खोजबीन शुरू की।
जब ग्रामीणों ने तलाश शुरू की, तब पता चला कि जंगल से निकले एक बाघ ने इनरदेव महतो पर हमला कर दिया और उन्हें 200 मीटर तक घसीटते हुए गन्ने के खेत में ले जाकर छोड़ दिया। यह खबर मिलते ही पूरे इलाके में दहशत फैल गई। ग्रामीणों ने बताया कि इनरदेव महतो को बाघ ने संतोष विक्रम साह के गन्ने के खेत में हमला किया था। घटना के बाद बाघ जंगल की ओर भाग गया।

घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू कर दी। वहीं, पश्चिम चंपारण के वन संरक्षक डॉ. नेशामणि ने बताया कि यह इलाका वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के पास स्थित है, जहां बाघों की उपस्थिति आम बात है। वाल्मीकि टाइगर रिजर्व बिहार का एकमात्र ऐसा स्थान है जहां लोग जंगलों में बाघों को देख सकते हैं। यह रिजर्व लगभग 900 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है और यहां फिलहाल 54 बाघ हैं।

पिछले वर्षों में बाघ के हमले की घटनाएं बढ़ी:

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व से सटे इलाकों में पिछले कुछ सालों में बाघ के हमले बढ़ गए हैं। पिछले तीन सालों में बाघ द्वारा लोगों पर हमले की चार घटनाएं हो चुकी हैं। साल 2022 में सबसे गंभीर घटना हुई थी, जब बाघ ने 10 लोगों पर हमला किया, जिसमें से 9 की मौत हो गई थी। इसके बाद 2023 में भी बाघ ने दो बार हमला किया। पहली घटना में बाघ को रेस्क्यू कर लिया गया, लेकिन दूसरी घटना में एक महिला की मौत हो गई थी।

2024 में भी जारी बाघ का आतंक:

जुलाई 2024 में चनपटिया इलाके में बाघ ने करीब 10 दिनों तक आतंक मचाया और कई लोगों पर हमला करने की कोशिश की। हालांकि, बाद में वह खुद ही अपने जंगल में वापस लौट गया था। अब ताजा घटना में इनरदेव महतो की मौत से इलाके में फिर से भय का माहौल है। ग्रामीणों ने प्रशासन से बाघों को नियंत्रित करने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।

इस घटना ने फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि जंगल से सटे गांवों में लोगों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए। प्रशासन और वन विभाग के अधिकारियों ने ग्रामीणों को सतर्क रहने की सलाह दी है और कहा है कि वे जंगल के करीब न जाएं और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तुरंत दें।

प्रशासन और वन विभाग की चुनौतियां:

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व जैसे क्षेत्रों में बाघों का संरक्षण जहां एक बड़ी उपलब्धि है, वहीं इसके आसपास रहने वाले ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित करना भी वन विभाग और प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। प्रशासन ने इस घटना के बाद जंगलों के पास रहने वाले लोगों को अतिरिक्त सतर्कता बरतने की सलाह दी है और बाघों की गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखने की बात कही है।

सरकार और वन विभाग द्वारा बाघों को ट्रैक करने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करने और उनके संरक्षण के साथ ही मानव-बाघ संघर्ष को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है।

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