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हिन्दी दिवस पर नवादा समाहरणालय में पदाधिकारियों और कर्मियों को दिलाई गयी शपथ।

 हिन्दी दिवस पर नवादा समाहरणालय में पदाधिकारियों और कर्मियों को दिलाई गयी शपथ।

नवादा, 14 सितम्बर: हिन्दी दिवस के अवसर पर नवादा समाहरणालय सभागार में जिला पदाधिकारी (डीएम) आशुतोष वर्मा की अध्यक्षता में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें सभी पदाधिकारियों और कर्मियों को राजभाषा हिन्दी के प्रयोग और प्रसार को बढ़ावा देने की शपथ दिलाई गयी। इस अवसर पर डीएम ने संविधान के अनुच्छेद 343 और 351 के साथ राजभाषा संकल्प 1968 का उल्लेख करते हुए सभी उपस्थितों को हिन्दी के महत्व और इसके प्रयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया।

हिन्दी के प्रति प्रतिबद्धता का संकल्प

डीएम आशुतोष वर्मा ने उपस्थित अधिकारियों और कर्मचारियों को राजभाषा प्रतिज्ञा दिलाते हुए कहा, "हम यह प्रतिज्ञा करते हैं कि अपने उदाहरणमय नेतृत्व और निरंतर निगरानी से अपनी प्रतिबद्धता और प्रयासों से प्रशिक्षण और प्रोत्साहन के माध्यम से अपने साथियों में राजभाषा प्रेम की ज्योति जलाए रखेंगे।" उन्होंने कहा कि हिन्दी न केवल हमारी राजभाषा है, बल्कि यह हमारी संस्कृति और धरोहर का प्रतीक भी है। इसे सशक्त बनाना हम सभी का कर्तव्य है। 

उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि सरकारी कार्यों में हिन्दी का अधिक से अधिक उपयोग करें। शपथ के दौरान उन्होंने यह भी कहा कि कार्यालय के सभी कार्यों और संवाद का माध्यम भी हिन्दी होना चाहिए ताकि इस भाषा के प्रति लोगों की रुचि और प्रगाढ़ हो सके। 

समारोह में अधिकारियों की उपस्थिति

इस समारोह में अनुमंडल पदाधिकारी (एसडीओ) नवादा सदर रजौली, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी नवादा सदर रजौली, नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी, डीपीएम जीविका, कारा अधीक्षक, गोपनीय प्रभारी, जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, प्रभारी पदाधिकारी जिला स्थापना, अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारी समेत समाहरणालय के अन्य अधिकारी और कर्मी मौजूद थे। सभी ने एक स्वर में राजभाषा हिन्दी के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त की और इसे सरकारी कार्यों में प्राथमिकता देने का संकल्प लिया।

राजभाषा हिन्दी के प्रयोग को लेकर विशेष निर्देश

इस अवसर पर जिला पदाधिकारी ने सभी विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों को विशेष निर्देश दिए कि वे हिन्दी भाषा में अपने कार्यों को पूरा करें। उन्होंने कहा कि सरकारी पत्राचार, फाइलों का निपटारा, योजनाओं का दस्तावेजीकरण, और जनसंपर्क सम्बन्धी सभी कार्य हिन्दी में करने की परंपरा को आगे बढ़ाया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि अंग्रेजी भाषा का प्रयोग केवल अनिवार्यता के अनुसार किया जाना चाहिए, और अधिकतर कार्यों को हिन्दी में ही निपटाया जाए।

डीएम ने कहा, "हिन्दी दिवस का यह अवसर हमें अपनी भाषा के प्रति आत्ममंथन करने का अवसर देता है। यह देखना जरूरी है कि सरकारी तंत्र में कितने प्रतिशत कार्य हिन्दी में हो रहे हैं और कहां सुधार की आवश्यकता है।" उन्होंने अधिकारियों से अपील की कि वे अपनी टीमों को इस दिशा में प्रेरित करें और आवश्यकतानुसार प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराएं ताकि सभी कर्मचारी हिन्दी में दक्ष हो सकें और इसके प्रचार-प्रसार में योगदान दे सकें। 

राजभाषा के प्रयोग के महत्व पर जोर

समारोह के दौरान वक्ताओं ने राजभाषा हिन्दी के महत्व पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से ही हिन्दी को राजभाषा का दर्जा मिला है, लेकिन आज भी इसके प्रयोग में अपेक्षित सुधार नहीं हुआ है। सरकारी तंत्र में हिन्दी का प्रयोग तेजी से बढ़ाना जरूरी है, ताकि आम जनता को इससे लाभ हो सके। वक्ताओं ने यह भी कहा कि हिन्दी न केवल कार्यालयीन कार्यों में बल्कि सामाजिक जीवन में भी आपसी संवाद का माध्यम होनी चाहिए।

प्रशासनिक कार्यों में हिन्दी के उपयोग की चुनौतियाँ

वक्ताओं ने अपने संबोधन में प्रशासनिक कार्यों में हिन्दी के उपयोग में आ रही चुनौतियों का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि कई बार तकनीकी शब्दावली और अन्य कारणों से हिन्दी का प्रयोग कठिन हो जाता है, लेकिन इसके बावजूद प्रयास किए जा रहे हैं कि अधिक से अधिक कार्य हिन्दी में ही किए जाएं। इसके लिए आवश्यक है कि सभी अधिकारी और कर्मचारी हिन्दी में दक्षता प्राप्त करें और इसका नियमित प्रयोग करें।

हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के उपाय

समारोह के अंत में डीएम वर्मा ने हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए। उन्होंने कहा कि सरकारी दफ्तरों में हिन्दी कार्यशालाओं का आयोजन किया जाना चाहिए, जहां कर्मचारियों को हिन्दी में पत्राचार, रिपोर्ट लेखन और अन्य प्रशासनिक कार्यों के लिए प्रशिक्षित किया जाए। इसके अलावा, हिन्दी भाषा में उपलब्ध विभिन्न सरकारी पोर्टल्स और सॉफ्टवेयर का अधिक से अधिक उपयोग करने के लिए भी प्रेरित किया जाना चाहिए।

अधिकारियों की भूमिका और जिम्मेदारी

डीएम ने इस अवसर पर अधिकारियों की भूमिका और जिम्मेदारी पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि उच्च पदों पर आसीन अधिकारियों का दायित्व है कि वे अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को हिन्दी के प्रति जागरूक करें और उन्हें इसके प्रयोग के लिए प्रोत्साहित करें। "हमें यह समझना होगा कि यदि शीर्ष स्तर के अधिकारी हिन्दी का प्रयोग करेंगे तो नीचे तक इसका प्रभाव होगा," ।

समारोह के समापन पर सभी अधिकारियों और कर्मचारियों ने हिन्दी दिवस की शपथ को दोहराया और यह संकल्प लिया कि वे अपने कार्यों में हिन्दी को प्राथमिकता देंगे। कार्यक्रम के अंत में डीएम ने सभी उपस्थितों का आभार व्यक्त किया और कहा कि हिन्दी भाषा को उसकी सही पहचान दिलाने का काम हम सबकी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि हिन्दी हमारी मातृभाषा के साथ-साथ राजभाषा भी है और इसके प्रति हमारी जिम्मेदारी केवल आज के दिन तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह हर दिन की प्राथमिकता होनी चाहिए। 

इस प्रकार नवादा समाहरणालय में हिन्दी दिवस का यह आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ, जिसमें हिन्दी के प्रति सभी ने अपने कर्तव्यों का पालन करने का संकल्प लिया और इसे जन-जन तक पहुंचाने का वादा किया।  

**जय हिन्दी, जय भारत।**

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