बिहार की महिला अंचल अधिकारी शोभा कुमारी पर लगे गंभीर आरोप: दाखिल खारिज में गड़बड़ी का हुआ खुलासा।
बिहार में इन दिनों जमीन सर्वेक्षण का काम तेजी से चल रहा है, लेकिन इसी दौरान जमीन के दाखिल-खारिज मामलों में भारी अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। बिहार के औरंगाबाद जिले के हसपुरा अंचल की तत्कालीन अंचल अधिकारी शोभा कुमारी पर आरोप है कि उन्होंने अपने निजी स्वार्थ और आर्थिक लाभ के लिए दाखिल-खारिज की प्रक्रिया में भारी गड़बड़ी की है। यह गड़बड़ी तब सामने आई जब राज्य के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने इस मामले की जांच की और पाया कि शोभा कुमारी अवैध तरीके से दाखिल-खारिज के मामलों को स्वीकृत कर रही थीं।
क्या है दाखिल-खारिज और इसका महत्व?
दाखिल-खारिज एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसके तहत जमीन के मालिकाना हक में बदलाव होता है। जब कोई व्यक्ति जमीन खरीदता है या उसे विरासत में प्राप्त करता है, तो उस जमीन का नाम रिकॉर्ड (जमाबंदी) में दर्ज कराना जरूरी होता है। इस प्रक्रिया को ही दाखिल-खारिज कहा जाता है। यह प्रक्रिया जमीन के लेन-देन में पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित करती है। लेकिन जब इस प्रक्रिया में गड़बड़ी हो, तो इससे न केवल कानूनी जटिलताएं पैदा होती हैं, बल्कि भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा मिलता है।
अंचल अधिकारी शोभा कुमारी पर लगे आरोप
औरंगाबाद के हसपुरा अंचल की तत्कालीन अंचल अधिकारी शोभा कुमारी पर आरोप है कि उन्होंने वर्ष 2023-24 में दाखिल-खारिज के कई मामलों को पहले अस्वीकृत किया और फिर अवैध पैसा लेकर उन्हीं दस्तावेजों को पुनः स्वीकृत किया। इस मामले की जानकारी तब सामने आई जब विभागीय जांच के दौरान पाया गया कि जिन आवेदनों को पहले खारिज कर दिया गया था, उन्हें बिना किसी ठोस कारण पुनः स्वीकृति दी गई।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने इस गड़बड़ी को गंभीरता से लेते हुए शोभा कुमारी के खिलाफ कार्रवाई की है। जांच में यह पाया गया कि उन्होंने जानबूझकर अपने निजी स्वार्थ में दाखिल-खारिज की प्रक्रिया में हेरफेर की और किसी व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने की कोशिश की। इस कृत्य के चलते सरकार को भारी नुकसान हुआ और आम लोगों का सरकारी प्रक्रिया पर से विश्वास उठने लगा।
कैसे हुआ गड़बड़ी का खुलासा?
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सॉफ्टवेयर में मार्च 2023 से दाखिल-खारिज के सभी मामलों का रिकॉर्ड रखा जा रहा है। जब विभाग ने इन मामलों की जांच की तो पाया कि कुछ मामलों में एक ही खेसरा (जमीन का टुकड़ा) पर दो बार दाखिल-खारिज की प्रक्रिया की गई है। पहले आवेदनों को अस्वीकृत किया गया, लेकिन फिर उन्हीं दस्तावेजों को स्वीकृति दी गई।
जांच के दौरान यह भी पाया गया कि शोभा कुमारी ने इन मामलों को अवैध तरीके से स्वीकृत किया था, और इसके पीछे उनका निजी स्वार्थ और भ्रष्टाचार था। इसके बाद विभाग ने उनके खिलाफ आरोप पत्र जारी किया और स्पष्टीकरण मांगा।
अंचल अधिकारी शोभा कुमारी का जवाब और विभाग का रुख
आरोपों का सामना करने पर शोभा कुमारी ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि पहले अस्वीकृत किए गए आवेदन पुनः प्रस्तुत किए जा रहे थे। उन्होंने इस बात से पल्ला झाड़ने की कोशिश की कि यह उनकी गलती नहीं थी, बल्कि सॉफ्टवेयर या अन्य तकनीकी कारणों से ऐसा हो सकता है।
हालांकि, विभाग ने उनके इस स्पष्टीकरण को सिरे से खारिज कर दिया। विभाग का तर्क था कि मार्च 2023 से सॉफ्टवेयर में साफ-साफ रिकॉर्ड दर्ज है कि कौन-कौन से आवेदन दाखिल-खारिज के लिए दिए गए और उनका क्या स्टेटस रहा। ऐसे में शोभा कुमारी का यह दावा कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं थी, पूरी तरह बेमानी है। विभाग ने स्पष्ट किया कि उन्होंने जानबूझकर यह गड़बड़ी की थी और इसके पीछे उनका उद्देश्य किसी व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाना और अवैध तरीके से पैसा कमाना था।
दंड और कार्रवाई
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए शोभा कुमारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। उन्हें बिना संचयी प्रभाव के तीन वेतन वृद्धि रोकने का दंड दिया गया है। इसका मतलब यह है कि उनकी वेतन वृद्धि तीन वर्षों तक रुकी रहेगी, लेकिन इसका प्रभाव उनके भविष्य के वेतन पर नहीं पड़ेगा। वर्तमान में शोभा कुमारी बक्सर जिले के राजपुर अंचल की अंचल अधिकारी हैं, लेकिन उनके खिलाफ की गई यह कार्रवाई उनके करियर पर गहरा असर डाल सकती है।
बिहार में जमीन सर्वेक्षण के दौरान भ्रष्टाचार की बढ़ती घटनाएं
बिहार में इन दिनों राज्यव्यापी जमीन सर्वेक्षण का काम चल रहा है। सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए सर्वेक्षण की प्रक्रिया को शुरू किया कि राज्य में जमीन की सही तरीके से नाप-जोख हो और किसी प्रकार की धोखाधड़ी न हो। लेकिन इस प्रक्रिया के दौरान लगातार भ्रष्टाचार की घटनाएं सामने आ रही हैं। खासकर दाखिल-खारिज की प्रक्रिया में भारी अनियमितताएं देखने को मिल रही हैं।
शोभा कुमारी का मामला भी इसी कड़ी का एक हिस्सा है, जहां अंचल स्तर पर भ्रष्टाचार हो रहा था और सरकारी अधिकारियों द्वारा अवैध तरीके से पैसा कमाने की कोशिश की जा रही थी। सरकार ने हालांकि इस मामले को गंभीरता से लिया है और दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है, लेकिन यह सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
सार्वजनिक प्रतिक्रिया और सरकार की जिम्मेदारी
शोभा कुमारी के मामले का खुलासा होने के बाद जनता में आक्रोश फैल गया है। लोग मांग कर रहे हैं कि ऐसे अधिकारियों के खिलाफ और सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में कोई भी अधिकारी इस प्रकार की गड़बड़ी करने से बचे। जनता का कहना है कि जमीन से जुड़े मामलों में पहले से ही बहुत जटिलताएं हैं और यदि अधिकारी भी इसमें भ्रष्टाचार करेंगे तो आम लोगों को न्याय मिलना और भी कठिन हो जाएगा।
सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इस प्रकार की गड़बड़ियों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए। डिजिटल प्रक्रिया और ऑनलाइन रिकॉर्ड की व्यवस्था एक सकारात्मक कदम है, लेकिन इसके बावजूद यदि अधिकारी भ्रष्टाचार में लिप्त होते हैं तो इससे लोगों का सरकारी व्यवस्था पर से भरोसा उठ सकता है।
शोभा कुमारी का यह मामला बिहार में सरकारी अधिकारियों के भ्रष्टाचार की एक और कड़ी है। दाखिल-खारिज जैसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया में गड़बड़ी करना न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह जनता के अधिकारों पर भी कुठाराघात है। सरकार को ऐसे मामलों को गंभीरता से लेना चाहिए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि सरकारी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित हो सके।