उत्तर प्रदेश के संभल में 46 साल से बंद पड़े प्राचीन मंदिर की पुनर्खोज: अतिक्रमण अभियान के दौरान ऐतिहासिक धरोहर की पहचान
400 साल पुराना मंदिर और कार्बन डेटिंग की योजना
संभल प्रशासन के अनुसार, हाल ही में मिले मंदिर को करीब 400 साल पुराना माना जा रहा है। जिला प्रशासन ने मंदिर, शिवलिंग और कुएं की प्राचीनता जानने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को पत्र लिखा है, जिससे इसकी कार्बन डेटिंग की जा सके। यह प्रक्रिया इस ऐतिहासिक धरोहर की सही आयु और महत्व को उजागर करने में मदद करेगी।
अतिक्रमण अभियान में उजागर हुई धरोहर
यह मंदिर घनी आबादी वाले इलाके में स्थित है। मंदिर मिलने के बाद इसकी सफाई और पूजा-अर्चना शुरू कराई गई है। प्रशासन द्वारा मंदिर के आस-पास किए गए अवैध निर्माण को भी चिह्नित किया गया है। देर रात प्रशासनिक टीम ने नाप-जोख के बाद अवैध निर्माणों पर निशान लगाए। सुबह होते ही स्थानीय लोगों ने खुद ही अपने अवैध निर्माण को हटाना शुरू कर दिया।
मंदिर और अमृत कूप की खोज
जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसिया ने बताया कि यह मंदिर कार्तिक महादेव को समर्पित है। मंदिर परिसर में एक कुआं भी मिला है, जिसे "अमृत कूप" कहा जा रहा है। इस कुएं की खुदाई के दौरान तीन खंडित मूर्तियां भी बरामद हुईं। मंदिर परिसर की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए वहां 24 घंटे के लिए एक सुरक्षा टीम तैनात कर दी गई है और सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।
1978 से बंद था मंदिर
इस मंदिर को 1978 में हुए दंगों के दौरान बंद कर दिया गया था। तब से यह मंदिर उपेक्षित पड़ा हुआ था और घनी आबादी और अवैध निर्माणों के कारण इसकी पहचान खो गई थी। बिजली चोरी के खिलाफ चलाए जा रहे एक अभियान के दौरान इस मंदिर को खोजा गया। इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई कराई गई और मंत्रोच्चार के साथ पूजा-अर्चना शुरू की गई।
स्थानीय समुदाय की प्रतिक्रिया
मंदिर के पुनर्खोज के बाद स्थानीय लोगों में उत्साह है। लोगों ने स्वेच्छा से अपने अवैध निर्माण को हटाकर प्रशासन का सहयोग किया। कुछ लोगों के पास अपने निर्माणों के नक्शे तक मौजूद नहीं थे, जिससे उनके अवैध होने की पुष्टि हुई।
संभल की ऐतिहासिक धरोहरों को पुनर्जीवित करने की पहल
संभल में हाल ही में मिले यह मंदिर न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रशासन की इस पहल से पुरानी धरोहरों को पुनर्जीवित करने का कार्य हो रहा है।