पूर्व आईपीएस अधिकारी और सामाजिक कार्यकर्ता आचार्य किशोर कुणाल का निधन
आज, 29 दिसंबर 2024, बिहार ने अपने एक प्रतिष्ठित व्यक्तित्व, पूर्व आईपीएस अधिकारी और बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष आचार्य किशोर कुणाल को खो दिया। सुबह कार्डियेक अरेस्ट के कारण उन्हें पटना के महावीर वात्सल्य अस्पताल लाया गया, जहां उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली। उनके निधन से बिहार समेत पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है।आचार्य किशोर कुणाल का फाइल फोटो
आचार्य किशोर कुणाल का परिचय
आचार्य किशोर कुणाल का जन्म 10 अगस्त 1950 को बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बरुराज गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव में पूरी की और बाद में पटना यूनिवर्सिटी से इतिहास और संस्कृत में स्नातक किया।
आईपीएस अधिकारी के रूप में अद्वितीय करियर
किशोर कुणाल 1972 में गुजरात कैडर से आईपीएस अधिकारी बने। उन्होंने अहमदाबाद में पुलिस अधीक्षक और 1978 में पुलिस आयुक्त के रूप में सेवा दी। 1983 में उन्हें प्रमोशन के बाद पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के पद पर नियुक्त किया गया। उनके नेतृत्व और कार्यक्षमता के कारण उन्हें 1990 से 1994 तक गृह मंत्रालय में विशेष ड्यूटी अधिकारी (ओएसडी) के रूप में नियुक्त किया गया।
धार्मिक कार्यों में योगदान
एक आईपीएस अधिकारी के रूप में भी किशोर कुणाल धार्मिक और सामाजिक कार्यों में सक्रिय थे। वी.पी. सिंह की सरकार के दौरान उन्हें बाबरी मस्जिद और राम जन्मभूमि विवाद के समाधान के लिए विश्व हिंदू परिषद और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के बीच मध्यस्थता की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। यह उनकी निपुणता और संतुलित दृष्टिकोण का प्रमाण था।
सेवानिवृत्ति के बाद समाज सेवा
2000 में आईपीएस सेवा से रिटायर होने के बाद, किशोर कुणाल ने शिक्षा और धर्म के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया। उन्हें केएसडी संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा का कुलपति नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने 2004 तक कार्य किया। इसके बाद वे बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के प्रशासक बने और मंदिरों के संरक्षण व प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।आचार्य किशोर कुणाल ने पटना में ज्ञान निकेतन स्कूल की स्थापना की, जो आज शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित संस्थान है। वे अयोध्या मंदिर ट्रस्ट के संस्थापक सदस्य भी थे, जो उनके धार्मिक दृष्टिकोण और समाज सेवा की भावना को दर्शाता है।
व्यक्तिगत जीवन
आचार्य किशोर कुणाल जेडीयू नेता अशोक चौधरी के समधी और समस्तीपुर की सांसद शांभवी चौधरी के ससुर थे। उनका परिवार राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय है, और उनके निधन से परिवार को गहरी क्षति हुई है।
शोक की लहर
उनके निधन की खबर से बिहार समेत पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, और कई बड़े नेताओं ने उनके योगदान को याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। सामाजिक संगठनों और धार्मिक संस्थानों ने उनके कार्यों की सराहना करते हुए उनके निधन को अपूरणीय क्षति बताया।
किशोर कुणाल की विरासत
आचार्य किशोर कुणाल का जीवन समाज सेवा, धर्म, और प्रशासनिक कार्यों में उत्कृष्टता का उदाहरण है। उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेगी। बिहार और देश ने एक महान व्यक्तित्व खो दिया है, जो न केवल एक अधिकारी थे, बल्कि एक समाजसेवी और आदर्श नागरिक भी थे।
उनके अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पटना में उनके आवास पर शुरू हो चुकी है, जहां उनके चाहने वाले और विभिन्न क्षेत्रों के लोग अंतिम विदाई देने पहुंच रहे हैं।