नवादा में 500 रुपए से शुरू होता था ठगी का खेल: 'ऑल इंडिया प्रेग्नेंट जॉब' और 'बेबी बर्थ सर्विस' के नाम पर बड़ा साइबर फ्रॉड
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गिरफ्तार तीनों आरोपी। |
कैसे चलता था ठगी का खेल
गिरोह का संचालन नारदीगंज प्रखंड के कहुआरा गांव से हो रहा था। सोशल मीडिया पर 'ऑल इंडिया प्रेग्नेंट जॉब' और 'प्ले ब्वाय सर्विस' जैसे नामों से विज्ञापन चलाए जाते थे। इन विज्ञापनों के जरिए लोगों से संपर्क साधा जाता और उन्हें गर्भवती कराने के नाम पर ठगा जाता। गिरोह की कार्यप्रणाली बेहद संगठित थी। आरोपी पीड़ितों को आकर्षित करने के लिए वॉट्सऐप और फेसबुक का इस्तेमाल करते थे। उन्हें झांसा दिया जाता कि वे निःसंतान महिलाओं को गर्भवती कर सकते हैं। इतना ही नहीं, अगर प्रक्रिया असफल होती, तो पीड़ितों को 5 लाख रुपए तक लौटाने का वादा किया जाता। वहीं, अगर महिला गर्भवती हो जाती, तो 20 लाख रुपए देने की पेशकश की जाती थी।
500 रुपए से लाखों की ठगी तक का सफर
गिरोह का खेल 500 रुपए की रजिस्ट्रेशन फीस से शुरू होता था। आरोपी पीड़ितों से आधार कार्ड, पैन नंबर और बैंक अकाउंट नंबर जैसे दस्तावेज मांगते थे। फिर पीड़ितों को खूबसूरत महिलाओं के ऑडियो और वीडियो भेजे जाते, ताकि उन्हें झांसे में लिया जा सके। धीरे-धीरे यह ठगी लाखों रुपए तक पहुंच जाती थी।
पुलिस का छापेमारी अभियान
7 जनवरी को नवादा पुलिस की एसआईटी और साइबर थाने की टीम ने कहुआरा गांव में छापेमारी की। इसमें छह मोबाइल फोन बरामद किए गए। इन मोबाइलों में ठगी के विस्तृत सबूत मिले, जिनमें वॉट्सऐप चैट, ऑडियो-वीडियो और बैंक लेनदेन का पूरा डेटा शामिल था। मुख्यालय डीएसपी इमरान परवेज के अनुसार, गिरफ्तार अपराधियों से पूछताछ में गिरोह के अन्य सदस्यों और उनके काम करने के तरीके की जानकारी मिली है।
पिछले मामले से समानता
यह पहली बार नहीं है कि नवादा में इस तरह का मामला सामने आया है। दिसंबर 2023 में भी पुलिस ने इसी तरह के गिरोह का भंडाफोड़ किया था। उस समय 'बेबी बर्थ सर्विस' और 'प्ले ब्वाय सर्विस' के नाम पर लोगों को ठगा गया था। पुलिस ने 29 दिसंबर को मुफस्सिल थाना क्षेत्र के गुरम्हा गांव में छापा मारकर आठ अपराधियों को गिरफ्तार किया था। उस गिरोह में 25 से 30 लोग शामिल थे, जिनमें एक ट्रक ड्राइवर और एक गोलगप्पा बेचने वाला भी था। उस मामले में मास्टरमाइंड दिल्ली से गिरोह को ऑपरेट कर रहा था।
गिरोह के जाल में फंसे लोग
पीड़ितों को खूबसूरत महिलाओं की तस्वीरें और वीडियो भेजकर फंसाया जाता था। इन्हें यह विश्वास दिलाया जाता कि सेवा सफल होगी और असफलता की स्थिति में पैसे लौटाए जाएंगे। लेकिन हकीकत में, लोग ठगी का शिकार बन जाते।
पुलिस की सख्ती और आगे की कार्रवाई
पुलिस ने गिरफ्तार अपराधियों से पूछताछ के आधार पर गिरोह के अन्य सदस्यों का पता लगाने की योजना बनाई है। इस गिरोह के तार दिल्ली समेत अन्य शहरों से जुड़े हो सकते हैं।नवादा एसपी अभिनव धीमान ने बताया कि साइबर अपराध के खिलाफ पुलिस लगातार सक्रिय है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे इस तरह के झूठे वादों और प्रलोभनों से सावधान रहें।इस घटना ने न केवल साइबर अपराध के बढ़ते खतरे को उजागर किया है, बल्कि यह भी बताया है कि ठगी के तरीके कितने आधुनिक और तकनीकी हो गए हैं। पुलिस की सक्रियता से गिरोह का भंडाफोड़ तो हुआ है, लेकिन यह लोगों के लिए एक चेतावनी है कि वे इंटरनेट पर किसी भी सेवा का इस्तेमाल करने से पहले सावधानी बरतें।