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बिहटा एयरपोर्ट का नाम कर्पूरी ठाकुर के नाम पर हो – उपेंद्र कुशवाहा की मांग

 बिहटा एयरपोर्ट का नाम कर्पूरी ठाकुर के नाम पर हो – उपेंद्र कुशवाहा की मांग

पटना: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने के बाद अब उनके सम्मान में पटना के बिहटा में बन रहे अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का नामकरण उनके नाम पर करने की मांग उठी है। यह मांग राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) के प्रमुख और राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने संसद में रखी।

राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि बिहार की जनता की भावनाओं को देखते हुए इस एयरपोर्ट का नाम "जननायक कर्पूरी ठाकुर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा" रखा जाए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कर्पूरी ठाकुर को जो सम्मान मिलना चाहिए था, वह अब जाकर पूरा हुआ है।

कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न मिलने पर आभार

सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने सदन में कहा,

"हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का धन्यवाद करते हैं कि उन्होंने जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनका नाम स्थापित किया। अब हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि बिहटा में बन रहे अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का नाम भी उनके नाम पर रखा जाए, ताकि आने वाली पीढ़ियां उनके विचारों और संघर्षों से प्रेरणा ले सकें।"

न्यायपालिका में कॉलेजियम सिस्टम पर सवाल

अपने भाषण के दौरान उपेंद्र कुशवाहा ने न्यायपालिका में कॉलेजियम सिस्टम पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि कार्यपालिका और व्यवस्थापिका में चयन की खुली प्रक्रिया है, जिससे आम लोग भी शीर्ष पदों तक पहुंच सकते हैं। लेकिन न्यायपालिका में ऐसा नहीं है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि

"यूपीएससी परीक्षा का रिजल्ट आने पर हम सुनते हैं कि कोई झाड़ू-पोछा करने वाली महिला का बेटा या बेटी आईएएस बन गया। कोई बर्तन धोने वाली का बेटा कलेक्टर बन गया। एक अखबार बेचने वाला बच्चा देश का राष्ट्रपति बन सकता है, चाय बेचने वाला प्रधानमंत्री बन सकता है। लेकिन न्यायपालिका में ऐसा क्यों नहीं हो सकता?"

गरीबों के लिए न्यायपालिका के दरवाजे बंद?

कुशवाहा ने आगे कहा कि न्यायपालिका में सिर्फ एससी, एसटी, ओबीसी या महिलाओं की ही बात नहीं है, बल्कि गरीब तबके के ब्राह्मण, राजपूत, भूमिहार और अन्य जातियों के लोगों के लिए भी जज बनने का रास्ता कठिन है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि न्यायपालिका में चयन प्रक्रिया को और लोकतांत्रिक और पारदर्शी बनाया जाए, जिससे सभी वर्गों के लोग न्यायाधीश बन सकें।

कर्पूरी ठाकुर को और सम्मान देने की मांग

कुशवाहा ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर सिर्फ एक जाति या वर्ग के नेता नहीं थे, बल्कि उन्होंने समाज के सभी दबे-कुचले तबकों के हक के लिए संघर्ष किया। उनके विचारों को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी है कि देशभर में उनके नाम पर संस्थानों और सार्वजनिक स्थानों का नामकरण किया जाए।

राजनीतिक समीकरण और बिहार की राजनीति पर असर

उपेंद्र कुशवाहा की यह मांग ऐसे समय आई है जब बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण अहम भूमिका निभा रहे हैं। बिहार में 2025 में विधानसभा चुनाव होने हैं और राजनीतिक दल ओबीसी और दलित मतदाताओं को रिझाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। कर्पूरी ठाकुर का नाम ओबीसी समाज के लिए सम्मान और संघर्ष का प्रतीक माना जाता है। ऐसे में अगर बिहटा एयरपोर्ट का नाम उनके नाम पर रखा जाता है, तो यह बिहार की राजनीति में बड़ा संदेश होगा।

सरकार का क्या होगा रुख?

फिलहाल केंद्र सरकार ने इस मांग पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन बिहार की राजनीति में इसे बड़ी मांग के रूप में देखा जा रहा है। अब यह देखना होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार इस पर क्या निर्णय लेते हैं।


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