नवादा के रुस्तमपुर हत्याकांड में 11 वर्षों बाद दो हत्यारे गिरफ्तार, परिवार को मिली न्याय की उम्मीद
नवादा जिले के कौवाकोल थाना क्षेत्र के रुस्तमपुर गांव में 22 अप्रैल 2014 को हुई दर्दनाक हत्या के मामले में पुलिस ने बुधवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए उत्तर प्रदेश के अमरोहा से 11 वर्षों बाद हत्यारे वीरेंद्र मंडल और विजय मंडल को गिरफ्तार कर लिया। यह हत्याकांड तब चर्चा में आया था जब तारा देवी और उनके बड़े पुत्र गोपाल सिंह की सड़क किनारे गोली मारकर निर्मम हत्या कर दी गई थी।
हत्याकांड का इतिहास
पीड़ित परिवार के अनुसार, 22 अप्रैल 2014 को रामायण सिंह अपनी मां तारा देवी और बड़े भाई गोपाल सिंह के साथ शादी का सामान खरीदकर गांव लौट रहे थे। इसी दौरान करमाटांड़ गांव के पास कुछ अपराधियों ने उनके रास्ते में घात लगाकर उन पर फायरिंग की। इस हमले में उनकी मां और बड़े भाई की मौके पर ही मौत हो गई। इस मामले में कुल नौ लोगों को अभियुक्त बनाया गया था।
गिरफ्तारी और न्यायालय के आदेश
पुलिस ने मामले की जांच के दौरान सात अपराधियों को पकड़ कर जेल में बंद कर दिया था। लेकिन दो आरोपी लंबी अवधि तक फरार रहे। इस मामले में न्यायालय ने लाल वारंट जारी कर पुलिस को सख्त हिदायत दी थी कि अवश्य इन दो फरार अपराधियों को गिरफ्तार किया जाए।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, बिहार पुलिस महानिदेशक ने कई बार नवादा एसपी को आदेश दिया था कि अपराधियों को पकड़ने में तेजी लाई जाए। इसके बावजूद, वीरेंद्र मंडल और विजय मंडल उत्तर प्रदेश में रहकर खुलेआम व्यवसाय चला रहे थे और लगातार पीड़ित परिवार को धमकी देते रहे।
11 वर्षों बाद गिरफ्तारी
मंगलवार को विशेष अभियान के तहत पुलिस ने उत्तर प्रदेश के अमरोहा से वीरेंद्र मंडल और विजय मंडल को गिरफ्तार किया। पुलिस ने बताया कि दोनों आरोपी अब नवादा पुलिस की हिरासत में हैं और उन्हें जल्द ही न्यायालय में पेश किया जाएगा। इस गिरफ्तारी से पीड़ित परिवार को न्याय की उम्मीद जागी है और लंबे समय से चल रही मानसिक पीड़ा में कुछ राहत मिली है।
पुलिस की सराहनीय कार्यवाही
पुलिस अधिकारियों ने कहा कि इस कार्रवाई के पीछे लगातार मेहनत और कानूनी निर्देशों का पालन रहा। उन्होंने कहा कि 11 वर्षों के लंबे समय के बावजूद पुलिस ने हार नहीं मानी और अंततः सभी फरार अभियुक्तों को पकड़ने में सफलता हासिल की।
परिवार की प्रतिक्रिया
पीड़ित परिवार ने इस गिरफ्तारी पर राहत की सांस ली है। रामायण सिंह ने बताया कि वर्षों से वह और उनका परिवार लगातार डर और मानसिक तनाव में जी रहे थे, क्योंकि आरोपी समय-समय पर उन्हें धमकियां देते रहते थे। अब उम्मीद है कि न्याय की प्रक्रिया पूरी होगी और दोषियों को सजा दिलाई जाएगी।

