बिहार में कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर लंबे समय से सवाल उठते रहे हैं। चुनाव के दौरान जिस तरह अपराध दर बढ़ती गई, उससे जनता की नाराज़गी और सरकार की चिंता दोनों बढ़ी। ऐसे माहौल में नई सरकार बनने के बाद गृह विभाग की कमान जब उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को सौंपी गई, तो राजनीतिक रूप से यह एक बड़ा संकेत माना गया। लेकिन असली संदेश तब मिला, जब उन्होंने अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में ही अपराधियों और माफियाओं को खुली चेतावनी दे डाली।
यह बयान न सिर्फ सख्ती का संकेत है, बल्कि यह साफ संदेश भी देता है कि बिहार अब ‘योगी मॉडल’ की तर्ज पर कानून-व्यवस्था सुधारने की कोशिश करेगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2017 में सत्ता संभालते ही अपराधियों को राज्य छोड़ने का अल्टीमेटम दिया था। अब वही अंदाज बिहार में दिखाई दे रहा है।
बिहार में बदलते हालात — क्यों उठानी पड़ी इतनी सख्ती?
बिहार में पिछले कई महीनों में हत्या, लूट, रंगदारी और अवैध खनन जैसे अपराधों में तेजी देखने को मिली। खासकर बालू और शराब माफियाओं का नेटवर्क इतना मजबूत हो गया था कि कई क्षेत्रों में शासन-प्रशासन की पकड़ कमजोर पड़ने लगी थी।
विपक्ष लगातार आरोप लगा रहा था कि सरकार अपराध नियंत्रण में असफल साबित हो रही है। जनता में भी असुरक्षा की भावना बढ़ रही थी। इसी स्थिति को देखते हुए नई सरकार के गठन के साथ ही कठोर निर्णयों की उम्मीद की जा रही थी।
पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में ही आक्रामक रुख
सम्राट चौधरी ने विभाग संभालते ही जिस अंदाज में बात की वह साफ दर्शाता है कि वे किसी भी तरह की ढिलाई या भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि —
उन्होंने आगे कहा कि आवश्यकता पड़ने पर ‘बुलडोजर नीति’ भी अपनाई जाएगी। यानी अवैध संपत्तियों और अवैध खनन पर सीधी कार्रवाई होगी।
क्या सच में लागू होगा ‘योगी मॉडल’?
राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि बिहार में कानून-व्यवस्था सुधारने के लिए यूपी जैसी सख़्त नीति की ज़रूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी। सम्राट चौधरी के बयानों और प्रशासन को दिए निर्देशों से यह साफ होता है कि बिहार में कुछ बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
- एंटी रोमियो स्क्वाड की तर्ज पर विशेष सुरक्षा टीम
- जमीन, बालू और शराब माफियाओं पर बड़े ऑपरेशन
- अवैध संपत्तियों की कुर्की और ध्वस्तीकरण
- पुलिस गश्ती और चौकसी में भारी वृद्धि
- भ्रष्ट अधिकारियों पर सीधी कार्रवाई
विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि ये कदम जमीन पर उतरते हैं तो बिहार की छवि पर बड़ा सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्ष ने सम्राट चौधरी के बयान को “लोकप्रियता पाने की कोशिश” बताया, लेकिन यह भी माना कि यदि सरकार सच में यूपी जैसे मॉडल को लागू करती है तो अपराध नियंत्रण में सुधार संभव है।
वहीं, एनडीए नेताओं का दावा है कि आने वाले महीनों में बिहार प्रशासन काफी मजबूत स्थिति में दिखेगा और अपराधियों पर सख़्ती हर स्तर पर साफ दिखाई देगी।
जनता की उम्मीदें — क्या सच में बदलेगा बिहार?
बिहार की जनता लंबे समय से बेहतर कानून-व्यवस्था चाहती है। सम्राट चौधरी के कड़े बयान और सख्त निर्देशों ने लोगों में नई उम्मीद पैदा की है। लोग चाहते हैं कि इस बार कार्रवाई सिर्फ कागजों तक ना रहे, बल्कि सड़क और गांव तक इसका असर पहुंचे।
अगर सरकार ईमानदारी से इन नीतियों को लागू करती है, तो बिहार आने वाले वर्षों में एक नए रूप में उभर सकता है। सुरक्षा और विकास दोनों मोर्चों पर बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
क्या शुरू हो चुका है नया बिहार?
गृह मंत्री सम्राट चौधरी का आक्रामक रुख और ‘मिट्टी में मिला देंगे’ जैसा बयान स्पष्ट संकेत देता है कि बिहार अब अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेन्स नीति अपनाने जा रहा है। प्रशासन को मिली आज़ादी और कार्रवाई की चेतावनी से ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले महीनों में राज्य में बड़े ऑपरेशन देखने को मिल सकते हैं।
अब देखना यह होगा कि क्या यह सिर्फ राजनीतिक संदेश है या बिहार में वाकई ‘योगी मॉडल’ की शुरुआत हो चुकी है। आने वाला समय इसका जवाब देगा, लेकिन फिलहाल जनता में उम्मीदें जाग चुकी हैं।

