समस्तीपुर जिले में शनिवार को एक चौंकाने वाला मामला सामने आया, जब एक महिला ने पुलिस अधीक्षक (SP) कार्यालय के बरामदे में अपनी बाईं कलाई की नस काटकर आत्महत्या का प्रयास
किया। महिला ने बताया कि वह सहायक जेल अधीक्षक आदित्य कुमार की पत्नी हैं, लेकिन पति द्वारा उन्हें मान्यता न देने और घर से बेदखल करने का आरोप लगाया।
महिला का नाम और आरोप
पीड़िता का नाम अमृता कुमारी है, जो नवादा जिले की रहने वाली हैं और दो बच्चों की मां हैं। अमृता कुमारी का आरोप है कि 2022 में गया स्थित विष्णुपद मंदिर में सहायक जेल अधीक्षक आदित्य कुमार से उनकी शादी हुई थी और दोनों पति-पत्नी की तरह साथ रहते थे। लेकिन आदित्य कुमार के समस्तीपुर ट्रांसफर के बाद उनका व्यवहार अचानक बदल गया और उन्होंने अमृता को पत्नी के रूप में स्वीकार नहीं किया।
घटना का विवरण
अमृता कुमारी पिछले तीन दिनों से एसपी कार्यालय के जनता दरबार में न्याय की गुहार लगाती रही थीं। उन्हें रात में वन स्टेप गृह में ठहराया जा रहा था। शनिवार को भी उन्होंने अपने दोनों बच्चों के साथ एसपी कार्यालय पहुंच कर मदद की मांग की, लेकिन अधिकारियों से मिलने का अवसर नहीं मिला।
आहत और मानसिक तनाव में आकर अमृता ने ब्लेड से अपनी बाईं कलाई की नस काट ली। तुरंत महिला पुलिस ने हस्तक्षेप कर उन्हें सदर अस्पताल में भर्ती कराया, जहां डॉक्टरों ने उनका उपचार शुरू कर दिया। अस्पताल के अनुसार, अमृता की कलाई में टांके लगाए गए हैं और उनकी स्थिति स्थिर है।
घटना के पीछे का कारण
अमृता ने बताया कि वह और उनके दोनों बच्चे आदित्य कुमार के सरकारी आवास में पिछले दो दिनों से रह रहे थे। लेकिन 1 दिसंबर को उनके ससुर दिलीप सिंह ने पुलिस बुलाकर उन्हें मारपीट कर आवास से बाहर निकाल दिया। इसके बाद से अमृता लगातार न्याय की गुहार लगाती रही हैं।
अमृता कुमारी का कहना है कि वह केवल अपने बच्चों और अपने हक के लिए न्याय की मांग कर रही थीं। उन्होंने अपने पति पर कई आरोप लगाए हैं, जिसमें घर से बेदखल करना और पत्नी मानने से इंकार करना शामिल है।
पुलिस का बयान दलसिंहसराय थानाध्यक्ष इरशाद अहमद ने कहा कि अमृता कुमारी के आवेदन पर थाने में मामला दर्ज कर लिया गया है। पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है और पीड़िता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी कदम उठाए जा रहे हैं।
स्थानीय लोगों और अधिकारियों की प्रतिक्रिया
स्थानीय लोग और सामाजिक कार्यकर्ता इस घटना से काफी आहत हैं। कई लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि महिला और बच्चों के लिए सरकारी संरचनाओं द्वारा बेहतर सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित क्यों नहीं किया गया। इसके अलावा, प्रशासन को महिला की सुरक्षा और बच्चों की देखभाल के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है
मामले की संवेदनशीलत
यह घटना इस बात की ओर संकेत करती है कि समाज में महिला और बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा कितनी जरूरी है। इस प्रकार की घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि महिलाओं को अपने हक और सुरक्षा के लिए आवाज उठानी पड़ती है। प्रशासन और समाज दोनों को मिलकर ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए।
अधिकारियों की भूमिका
समस्तीपुर के एसपी अरविंद प्रताप सिंह ने जनता दरबार में इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी संबंधित अधिकारियों को तुरंत जांच के आदेश दिए हैं। महिला की सुरक्षा और उनके बच्चों की देखभाल सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन ने कदम उठाना शुरू कर दिया है।
अमृता कुमारी का मामला न केवल एक व्यक्तिगत संघर्ष है, बल्कि यह समाज में महिलाओं की सुरक्षा, उनके अधिकार और न्याय की उपलब्धता पर भी सवाल उठाता है। यह घटना प्रशासन के लिए एक चेतावनी है कि महिला और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना प्राथमिक जिम्मेदारी है। न्याय की मांग और महिलाओं के हक की रक्षा के लिए समाज और प्रशासन को मिलकर काम करना होगा।
अंततः, यह घटना यह याद दिलाती है कि मानसिक और भावनात्मक सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी कि शारीरिक सुरक्षा। यदि उचित समय पर सहायता मिल जाए तो कई ऐसी जीवन-धमकी वाली घटनाओं को रोका जा सकता है।

