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| बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस |
रिपोर्ट – हिसुआ प्रखंड, नवादा (छतिहर पंचायत, मटुक बिगहा)
तारीख – 6 दिसंबर 2025
6 दिसंबर—भारतीय इतिहास का वह दिन, जो हर वर्ष एक दर्द और एक प्रेरणा दोनों लेकर आता है। इसी दिन संविधान निर्माता और सामाजिक न्याय के पुरोधा बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने इस दुनिया को अलविदा कहा था। उनके महापरिनिर्वाण दिवस पर नवादा जिले के हिसुआ प्रखंड के छतिहर पंचायत के मटुक बिगहा में एक श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई।
गांव में सुबह से दिखा भावनात्मक माहौल
मटुक बिगहा के अरविन्द कुमार के घर के पास आयोजन स्थल पर सुबह से ही लोग जुटने लगे। नीले झंडों और अम्बेडकरी नारों के बीच लोगों ने बाबा साहेब को श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम की शुरुआत दो मिनट के मौन के साथ हुई, जिसमें वातावरण मानो शांत हो गया था।
लोगों ने याद किया कि बाबा साहेब का निधन सिर्फ एक घटना नहीं था—वह क्षण था जब प्रकृति भी शोक में डूब गई थी। समुद्र की लहरें भी मानो पूछ रही थीं—“ऐसे मसीहा को हमने कैसे खो दिया?”
“उनकी वजह से हम आज अधिकारों के साथ जीते हैं” — ग्रामीण
कार्यक्रम में गांव के लोगों ने कहा कि बाबा साहेब ने जो संघर्ष किया, उसकी वजह से आज देश में समानता और अधिकारों की नींव मजबूत है।
अरविन्द कुमार ने कहा—“उनके कारण हम आज सम्मान के साथ जीवन जी पाते हैं।”
सनोज रविदास ने कहा—“बाबा साहेब की सोच ने समाज को नई दिशा दी।”
इन लोगों की उपस्थिति रही
कार्यक्रम में मौजूद प्रमुख लोग — अरविन्द कुमार, मुंद्रिका रविदास, सनोज रविदास, नुनु रविदास, उपेन्द्र चौधरी, मंटु चौधरी, मुकेश चौधरी, पवन पासवान, विक्की पासवान, विपिन रविदास, प्रिंस कुमार, विक्कू कुमार, शिव कुमार, नीरज कुमार, मोहित कुमार, रोहित कुमार, चन्दन कुमार, कुन्दन कुमार, राजेन्द्र रविदास, अनूप रविदास, फिरिज कुमार और कई अन्य ग्रामीण शामिल रहे।
बाबा साहेब के जीवन पर विस्तृत चर्चा
सभा में वक्ताओं ने उनके योगदान को याद किया—
- शिक्षा के लिए संघर्ष और दुनिया का महान विद्वान बनना
- भारतीय संविधान का निर्माण
- सामाजिक न्याय और समानता के लिए संघर्ष
- कमजोर वर्गों को अधिकार दिलाना
- बौद्ध धम्म के माध्यम से शांति और मानवता का संदेश
भावनात्मक माहौल, कई लोगों की आंखें नम
कार्यक्रम के दौरान एक बुजुर्ग महिला ने कहा— “बाबा साहेब हमारे लिए भगवान से कम नहीं। उनका जाना आज भी दिल को चीर देता है।”
युवाओं ने “जय भीम” और “भीम अमर रहें” के नारे लगाए, जिससे पूरा माहौल गूंज उठा।
समानता और भाईचारे की प्रतिज्ञा
कार्यक्रम के अंतिम चरण में सभी ने प्रतिज्ञा ली कि—
- बाबा साहेब के विचारों को आगे बढ़ाएंगे
- शिक्षित, संगठित और संघर्षशील बने रहेंगे
- समानता और सामाजिक न्याय की स्थापना करेंगे
अंत में…
बाबा साहेब का जाना मानवता की सबसे बड़ी क्षति थी।
आज भी उनका महापरिनिर्वाण दिवस दिलों में दर्द और गर्व दोनों साथ लाता है।
ऐसी महात्मा आत्मा को कोटि-कोटि नमन।
जय भीम 🙏

