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कहुआरा गांव में अतिक्रमण और बदहाल सड़क-नालियों से त्रस्त ग्रामीण, अतिक्रमण हटाओ अभियान की उठी मांग

 कहुआरा गांव में अतिक्रमण और बदहाल सड़क-नालियों से त्रस्त ग्रामीण, अतिक्रमण हटाओ अभियान की उठी मांग


नवादा (नारदीगंज)।

नवादा ज़िले के नारदीगंज प्रखंड अंतर्गत कहुआरा गांव इन दिनों गंभीर बुनियादी समस्याओं से जूझ रहा है। गांव की शुरुआत से लेकर लाला टोली तक का मुख्य रास्ता वर्षों से अतिक्रमण, टूटी हुई नालियों, ऊंचे ठोकर और गड्ढों से भरा पड़ा है। हालात ऐसे हैं कि पैदल चलना भी जोखिम भरा हो गया है, वहीं दोपहिया और चारपहिया वाहन लेकर निकलना ग्रामीणों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं रहा। रास्ते में जगह-जगह गड्ढों में जमा गंदा पानी न केवल आवाजाही में बाधा बन रहा है, बल्कि बीमारियों को भी खुला निमंत्रण दे रहा है।


गांव की मुख्य सड़क बनी मुसीबत का कारण

कहुआरा गांव की यह सड़क गांव की जीवनरेखा मानी जाती है। इसी रास्ते से ग्रामीण रोज़मर्रा के काम, बच्चों की स्कूल यात्रा, बुजुर्गों का अस्पताल आना-जाना और किसानों का कृषि कार्य जुड़ा हुआ है। लेकिन दुर्भाग्यवश यही सड़क अब ग्रामीणों के लिए सबसे बड़ी परेशानी बन गई है। सड़क के दोनों ओर अवैध रूप से किए गए अतिक्रमण के कारण रास्ता बेहद संकरा हो गया है। कई स्थानों पर दुकानदारों और स्थानीय लोगों द्वारा स्थायी और अस्थायी निर्माण कर लिया गया है, जिससे सड़क की चौड़ाई घटती चली गई।

टूटी नालियों से बहता गंदा पानी

सड़क के किनारे बनी नालियां वर्षों से टूट-फूट का शिकार हैं। कहीं नालियां पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी हैं तो कहीं पर अतिक्रमण के कारण उनका अस्तित्व ही समाप्त हो गया है। नतीजा यह है कि नाली का गंदा पानी सड़क पर बहता रहता है। बरसात के मौसम में हालात और भी बदतर हो जाते हैं, जब सड़क तालाब में तब्दील हो जाती है। जमा पानी में कीचड़ और गंदगी के कारण फिसलन बढ़ जाती है, जिससे आए दिन लोग गिरकर चोटिल हो रहे हैं।

ऊंचे ठोकर और गड्ढों से बढ़ रहा खतरा

ग्रामीणों का कहना है कि सड़क पर जगह-जगह ऊंचे ठोकर बने हुए हैं, जिन्हें किसी योजना के तहत नहीं बल्कि मनमाने तरीके से बनाया गया है। ये ठोकर वाहन चालकों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं। रात के समय जब पर्याप्त रोशनी नहीं होती, तब दुर्घटना की आशंका और बढ़ जाती है। इसके अलावा सड़क पर बने गड्ढे और उनमें भरा पानी वाहन खराब होने और हादसों का कारण बन रहा है।

पैदल चलना भी हुआ मुश्किल

कहुआरा गांव में बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। स्कूल जाने वाले बच्चों को कीचड़ और गंदे पानी से होकर गुजरना पड़ता है। बुजुर्गों और बीमार लोगों के लिए अस्पताल पहुंचना एक बड़ी समस्या बन गई है। ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि बरसात में तो हालात इतने खराब हो जाते हैं कि घर से निकलना भी मुश्किल हो जाता है।

चारपहिया और दोपहिया वाहन चालकों की परेशानी

ग्रामीणों के अनुसार, अगर कोई एंबुलेंस, ट्रैक्टर या अन्य चारपहिया वाहन गांव में प्रवेश करता है तो कई बार उसे रास्ते में ही रुकना पड़ता है। संकरी सड़क और अतिक्रमण के कारण वाहन मोड़ना या निकालना बेहद कठिन हो जाता है। दोपहिया वाहन चालक अक्सर फिसलकर गिर जाते हैं, जिससे चोट लगने की घटनाएं आम हो गई हैं।

जलजमाव से बढ़ रहा बीमारी का खतरा

सड़क पर जमा पानी केवल आवाजाही की समस्या नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा बन चुका है। गंदे पानी में मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है, जिससे डेंगू, मलेरिया और अन्य संक्रामक बीमारियों का डर बना रहता है। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार इसकी शिकायत की गई, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

प्रशासनिक उदासीनता पर सवाल

ग्रामीणों का आरोप है कि उन्होंने कई बार पंचायत, प्रखंड और जिला स्तर के अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। चुनाव के समय सड़क और नाली निर्माण के बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं, लेकिन चुनाव बीतते ही सब भूल जाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जाता और नालियों की मरम्मत की जाती, तो आज यह स्थिति नहीं होती।

अतिक्रमण हटाओ अभियान की मांग तेज

कहुआरा गांव के ग्रामीणों ने एक स्वर में मांग की है कि गांव में भी अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जाए। उनका कहना है कि जब तक सड़क से अतिक्रमण नहीं हटेगा, तब तक किसी भी विकास कार्य का कोई मतलब नहीं है। ग्रामीण चाहते हैं कि प्रशासन निष्पक्ष तरीके से अवैध कब्जों को हटाए और सड़क को उसकी मूल चौड़ाई में बहाल करे।

विकास कार्यों की जरूरत

ग्रामीणों की मांग है कि अतिक्रमण हटाने के बाद सड़क का पक्कीकरण कराया जाए, मजबूत नालियों का निर्माण हो और जल निकासी की समुचित व्यवस्था की जाए। साथ ही, सड़क पर बने अवैध ठोकरों को हटाकर वैज्ञानिक तरीके से स्पीड ब्रेकर बनाए जाएं, ताकि दुर्घटनाओं से बचा जा सके।

प्रशासन से उम्मीद

ग्रामीणों को उम्मीद है कि जिला प्रशासन इस गंभीर समस्या को समझेगा और जल्द से जल्द कार्रवाई करेगा। कहुआरा गांव के लोग विकास चाहते हैं, लेकिन विकास तभी संभव है जब बुनियादी सुविधाएं दुरुस्त हों। सड़क, नाली और स्वच्छता किसी भी गांव की पहचान होती है।

कहुआरा गांव की यह समस्या केवल एक गांव तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण विकास की जमीनी हकीकत को उजागर करती है। अगर समय रहते अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जाए और सड़क-नाली की व्यवस्था दुरुस्त की जाए, तो न केवल ग्रामीणों की परेशानी कम होगी, बल्कि गांव विकास की मुख्यधारा से भी जुड़ सकेगा। अब देखना यह है कि प्रशासन कब तक इस ओर ध्यान देता है और कब कहुआरा गांव के लोगों को इस बदहाली से राहत मिलती है।

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