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सूर्य और शनि का पाएं आशीर्वाद मकर संक्रांति पर

S Bihar News 12

सूर्य और शनि का पाएं आशीर्वाद मकर संक्रांति पर ऐश्वर्य जीवन भर बना रहता है।

मकर संक्रांति के अतिरिक्त हिन्दुओं का कोई दूसरा त्यौहार ऐसा नहीं है जिसके लिए कोई एक तारीख (अंग्रेजी कैलेण्डर की) निश्चित हो। हिन्दुओं के ही क्यों मुसलमानों, सिधियों, पंजाबियों, बंगालियों आदि के भी त्यौहार किसी निश्चित तारीख पर नहीं पड़ते। कभी दीपावली अक्टूबर में आती है, तो कभी नवंबर में। लेकिन मकर संक्रांति का दिन प्रायः 14 जनवरी ही रहता है। संयोग से इस बार मकर संक्रान्ति 15 जनवरी को है।

पुराणों के अनुसार मकर संक्रांति सुख, शांति, वैभव, प्रगति सूचक, जीवों प्राणदाता, स्वास्थ्यवर्धक औषधियों के लिए गुणकारी, सिद्धिदायक और आयुर्वेद के लिए विशेष महत्व की है। वैसे भी व्यवहार में यह प्रसिद्ध है कि मकर संक्रांति पर शत्रु दमन करने के लिए सैन्य संचार करना चाहिए।

मकर संक्रांति के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नानकर दूर्वा, शहद, मक्खन, गोवर, जलपूर्ण कलश, बछड़े सहित गाय, मृतिका, स्वास्तिक, अष्ट धान्य, तेल, लाल फूल, लाल चंदन को पीपल के वृक्ष से स्पर्श कराके दोनों हाथों से आकाश मंडल की ओर मुंह करके सूर्य को नमस्कार करें, सूर्य को होती है। अर्घ्य दें।

सूर्य को अर्घ्य एक तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें कुंकुम का छिटा दें. लाल रंग के पुष्प भी लोटे में डाल दे। अब सूर्य की ओर मुंह कर सूर्य का दर्शन करते हुए वह जल का अर्घ्य सूर्य देव को अर्पित करें जल अर्पण करते समय अपने दोनों हाथों को पूरे ऊपर उठा दें और ताम्र पात्र से जल धीरे धीरे गिराते रहें। आखे सूर्य को देखती रहे। निम्न मंत्र बोलते रहे।

सूर्य मंत्र ॐ घृणि सूर्याय नमः ।।

अंत में प्रार्थना करें-हे आदित्य! आप सिन्दूर वर्गीय तेजस्वी मुख मण्डल, कमल नेत्र स्वरूप वाले ब्रह्मा, विष्णु तथा रूद्र सहित सृष्टि के मूल कारक है. आपको इस सापक का प्रणाम! आप मेरे द्वारा अर्पित कुंकुंम, पुष्प, सिन्दूर एवं रक्त चन्दनयुक्त जल का अर्घ्य ग्रहण करें। 

छः कार्य जो हर व्यक्ति को मकर संक्रान्ति के दिन करने चाहिये-

1. तिल के तैल की शरीर पर मालिश- तिल के तेल से अपने शरीर पर मालिश करें। इस तेल से मालिश करने से शरीर में एक गजब की स्फूर्ति आती है।

2. तिल का उबटन- तिल का उबटन लगायें तिल के बने पदार्थों से बदन पर लेप करने से सुंदरता बढ़ती है तथा
व्यक्तित्व में निखार आता है। 

3. तिलयुक्त जल से स्नान- प्रातः काल स्नान के जल में तिल मिलाकर स्नान करें।

4.  तिल का हवन- इस दिन तिल का हवन करें हवन अमग्री में भी सबसे अधिक मात्रा में तिलों को ही शामिल
किया जाता है। विष्णु ही सूर्य है तथा लक्ष्मी पृथ्वी है और इन दोनों के संयोग से तिल वायु ग्रहण करके अर्थात् शनि 
के विशेष तेज को ही ग्रहण करके परिपाक को प्राप्त होता है, जिससे घर में सुख-संपदा तथा श्री की प्राप्ति होती है और

5. तिल युक्त भोजन- तिल के व्यजंन खायें जैसे तिल के लड्डू, गजग, रेवड़ी खिचड़ी बनाकर खायें। इन पदार्थों को खाने से भगवान सूर्य बड़े प्रसन्न होते हैं।

संक्रान्ति पर तिल, गुड़ से बनी खाद्य सामग्री के सेवन का विशेष इन दिनों हमारी पाचन शक्ति अधिक उद्दीप्त एवं तीव्र हो जाती है, अतः तिल-गुड़ संबंधी पदार्थों का सेवन शारीरिक पुष्टि एवं शक्ति से मनोरंजन की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है।

6. तिल मिश्रित जल का पान- पीने के पानी में तिल डाल कर रखें और सारा दिन इसी पानी को पीते रहें। अन्य महत्वपूर्ण कार्य-

तीर्थ स्थानों पर स्नान- श्रम-सौन्दर्य, तन-सौन्दर्य के साथ भारत में मन-सौन्दर्य की संगति भी बिठाई जाती है तीर्थस्थानों में स्नान के लिए मेले लगते हैं। सामान्य व्यक्ति भी इतनी समझ रखता है कि तीथों में केवल शरीर को ही नहीं, मन को भी प्रक्षालित करना पड़ता है भारत में 'पद-पद पर प्रयाग की भावना विकसित हुई है। संक्रान्ति पर्व पर छोटे-बड़े तीथों में करोड़ों व्यक्ति स्नान का पुण्य लूटते है गंगासागर पर आज के दिन भारी भीड़

विशेष पूजा- चंदन से अष्ट दल कमल बनाकर उसमें सूर्यदेव की स्थापना कर विधिपूर्वक पूजन करना श्रेयस्कर होता है।

इसी दिन दान का विशेष महत्त्व होता है। गौशाला में चारा डलवाना, गरीबों को भोजन करवाना पुण्यप्रद माना जाता है। महिलाएं, हल्दी- कुंकुम की रस्म करती है। अपने दीर्घ सौभाग्य के लिए माथे पर हल्दी- कुंकुम की बिंदी लगाकर 13 पात्रों में चावल और मूंग की दाल मिश्रित करके और तिल से बने लड्डू दान करती है। तिल को पापनाशक माना जाता है इसीलिए वैदिक ग्रंथों में इसके दान की महिमा का बखान हुआ है। कहा जाता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर सूर्य को अर्घ्य दिए जाने से पाप नष्ट होते हैं। इस दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाता है। शास्त्रों में दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि तथा उत्तरायण को दिन कहा गया है। दक्षिणायन काल में कोई भी शुभ कार्य करना अच्छा नहीं माना जाता है और उत्तरायण में सभी शुभ कार्य किए जा सकते हैं।

मकर सक्रान्ति का पर्व और कालगणना का सबसे बड़ा पर्व है। संक्रान्ति शब्द का अर्थ है सम्यक् क्रमण करने का आगे बढ़ने का भाव वेद में उत्तरोत्तर आगे बढ़ने या उठने की प्रेरणा दी गई है। प्रकृति के अनुकल आचरण करने पर उत्तरोत्तर उन्नति का उल्लास सक्रान्ति पर्व के रूप में प्रकट होता है।

सूर्य के प्रकाश को श्रम में ढालकर जीवन में भरने की भावना का प्रत्यक्ष रूप है संक्रान्ति पर्व तन-मन को संवार कर संजोकर आत्मसाक्षात्कार करने का पर्व है संक्रान्ति दिवस 'पर्व' का अर्थ ही 'पूर्ण करने वाला होता है। पंजाब में लोहड़ी और दक्षिण भारत में पोंगल संक्रान्ति पर्व के ही अंग है।

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