जिले में अभी तक 200 से अधिक स्कूल बिना सरकारी रजिस्ट्रेशन प्राप्त किए संचालित हो रहे हैं। बिहार सरकार ने निजी स्कूलों को ई-संबंधन पोर्टल के माध्यम से रजिस्ट्रेशन कराने का प्रावधान किया है। 2 साल पहले सरकार की ओर से ई संबंधन पोर्टल लॉन्च किया गया था। इसके माध्यम से निजी स्कूलों को रजिस्ट्रेशन कराने के लिए 31 दिसंबर 2021 तक का समय दिया गया था। इसके बाद इसकी समय सीमा बढ़ाई गई थी। जिले में ई संबंधन पोर्टल के माध्यम से 200 से अधिक स्कूलों ने ऑनलाइन आवेदन किया था। जिसकी जांच संबंधित प्रखंड यानि जिस प्रखंड में स्कूल स्थित है, वहां के बीईओ ने की थी। स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षकों व छात्रों की संख्या, खेलक मैदान, पुस्तकालय, प्रयोगशाला आदि की जांच की गई थी। जांच के बाद संबंधित स्कूल को ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन देने की व्यवस्था की गई थी। जिले में अभी तक मानकों पर 139 स्कूल ही खरे उतर सके हैं। लिहाजा इन स्कूलों को बिहार सरकार की ओर से आठवीं कक्षा तक का रजिस्ट्रेशन दिया गया है।बिना सरकारी प्रस्वीकृति के निजी स्कूलों के संचालन पर सरकार रोक लगाने की बात कही है। इसके बाद भी जिले में दो सौ से अधिक स्कूल बिना प्रस्वीकृति के चलाए जा रहे हैं। बिना अनुमति • बिना निजी स्कूलों का संचालन नहीं किए जाने से संबंधित विभागीय पत्र भी पिछले साल जारी किया गया था। जिसमें कहा गया था कि मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत सभी निजी प्रारंभिक स्कूलों को अनिवार्य रूप से प्रस्वीकृति प्राप्त करना है। प्रारंभिक निजी स्कूलों की प्रस्वीकृति जिला स्तर पर गठित तीन स्तरीय समिति की ओर से निर्धारित मापदंड के तहत दी जाएगी । इस प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से इ-संबंधन पोर्टल विकसित किया गया है। नई व्यवस्था के तहत पूर्व स्वीकृत 319 निजी प्रारंभिक स्कूलों का ऑनलाइन कागजात अपलोड कराए गए। उसके बाद निजी स्कूलों के निर्धारित मापदंड की जांच की गई। इसके तहत अभी तक दो चरणों में 139 निजी स्कूलों को सरकारी मान्यता मिल सकी है।जिन निजी स्कूलों को प्रस्वीकृति मिली है। उन्हें स्कूल में जितनी सीटें निर्धारित हैं, उसका 25 फीसदी सीट गरीब व निसहाय बच्चों के लिए आरक्षित रखना है। गरीब बच्चों का नामांकन पहली कक्षा मुफ्त लेकर उन्हें शिक्षा उपलब्ध करानी है। पहले प्रशासन व जिला शिक्षा विभाग की ओर से निजी स्कूलों में गरीब बच्चों के नामांकन को लेकर पहल की जाती है। फिलहाल गरीब बच्चों का नामांकन स्कूल अपनी सुविधा के अनुसार ले रहे हैं।