बिहार में साइबर अपराधियों के बढ़ते मामलों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने महत्वपूर्ण फैसला लिया गया है। अब राज्य के हर जिले में एक-एक (रेल जिला सहित) कुल 44 साइबर पुलिस थाने खोले जाएंगे। इन थानों के बेहतर संचालन के लिए 44 डीएसपी समेत कुल 660 पदों पर नियुक्ति होगी। मुख्य सचिव आमिर सुबहानी की अध्यक्षता में प्रशासी पदवर्ग समिति की बैठक में इस पर सहमति दी गई। फैसले के मुताबिक एक थाने के लिए कुल 15 पद यानी एक डीएसपी, चार पुलिस निरीक्षक, तीन पुलिस अवर निरीक्षक, एक प्रोग्रामर, दो सिपाही, तीन डाटा सहायक और एक चालक सिपाही के पद सृजित किए गए हैं।
राज्य में अभी साइबर थानों की व्यवस्था नहीं है। इसकी जगह आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) के अधीन सभी जिलों में 74 साइबर क्राइम एवं सोशल मीडिया यूनिट (सीसीएसएमयू) की स्थापना की गई है। बड़े जिलों में तीन से चार जबकि छोटे जिलों में एक-दो सीसीएसएमयू कार्यरत हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार, इन सीसीएसएमयू को ही साइबर थानों में बदला जाएगा। राज्य में 44 साइबर थाने खुल जाने के बाद करीब 30 सीसीएसएमयू रह जाएंगे। (एससीआरबी) के अनुसार, 2018 में बिहार में साइबर फ्रॉड के महज 357 मामले दर्ज हुए थे और अब बिहार के हर जिले में साइबर फ्रॉड का केस दर्ज हो रहा है। साल 2021 में साइबर फ्रॉड के 1413 मामले दर्ज हुए हैं। तीन साल के आंकड़ों को देखें तो बिहार में साइबर क्राइम की घटनाओं में 300 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। अकेले जनवरी से मई 22 तक पांच महीने में ही बिहार में 8003 मामले आए। इसमें अकेले पटना में ही साइबर क्राइम के 1632 केस थे। साइबर थाने खुल जाने के बाद हर जिले में साइबर अपराध से जुड़ी प्राथमिकी सीधे इन थानों में दर्ज की जाएगी। मामले का अनुसंधान भी साइबर थाने के ही पुलिस पदाधिकारी करेंगे। इसकी कमान इंस्पेक्टर रैंक के पदाधिकारी के पास होगी जबकि एसपी मािनटरिंग करेंगे। इससे दूसरे थानों में दर्ज होने वाले साइबर फ्रॉड के केसों की संख्या घटेगी। उन पर बोझ कम होगा। 17 अप्रैल को प्रशासी पदवर्ग समिति की बैठक हुई थी, जिसकी कार्यवाही में इस नए पुलिस तंत्र की जानकारी दी गई है। इसमें यह साफ किया गया है कि राज्य में साइबर क्राइम एवं सोशल मीडिया यूनिट की 74 यूनिट में से 44 को ही साइबर पुलिस थाना के रूप में पुनर्गठित किया जाएगा।