चित्रगुप्त पूजा 2023 का महत्व और पूजा विधि:
चित्रगुप्त पूजा की कहानी हिंदू पौराणिक ग्रंथों में उपलब्ध है. यम संहिता और अन्य पुराणों के अनुसार, चित्रगुप्त पूजा का मूल उत्पत्ति इस प्रकार है:
**कथा:**
कई हजार वर्ष पहले, धर्मराज यम अपने कार्यों को बढ़ाने और न्यायपूर्ण फैसले करने के लिए परेशान थे। उन्होंने ब्रह्मा जी से इस समस्या का समाधान पूछा।
ब्रह्मा जी ने ध्यान में चले गए और उनके द्वारा रखे गए सभी कर्मों का संग्रह देखा। उन्होंने एक अद्वितीय आत्मा को देखा जो उनके साथ था और जिसने धर्मराज के कार्यों को रिकॉर्ड कर रखा था।
इस आत्मा को देखकर ब्रह्मा जी चौंके और ध्यान से विचार किया कि यह आत्मा अदृश्य रूप से उनके शरीर में विद्यमान है। इस अद्भूत परिस्थिति के कारण उन्होंने इस आत्मा को चित्रगुप्त कहा और इसे मनुष्यों के कर्मों का रिकॉर्ड रखने का कार्य सौंपा।
चित्रगुप्त के हाथ में एक कलम और स्याही भरा दवात था, जो उन्हें मनुष्यों के सभी कर्मों को लिखने की शक्ति प्रदान करता था। धर्मराज ने इस दिव्य प्रकटि को अपना अपना साहसी ब्राह्मण पुत्र बनाया और इसे यमलोक में अपने साथ रहने का आदान-प्रदान किया।
चित्रगुप्त ने अपनी पत्नी इरावती से विवाह किया और उनके साथ धरतीलोक में आधिकारिकता स्थापित की। इस प्रकार, चित्रगुप्त महाराज मनुष्यों के कर्मों का रिकॉर्ड रखने वाले दिव्य सचिव बने और उन्हें चित्रगुप्त कहा गया।
इस पौराणिक कथा के आधार पर हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को चित्रगुप्त पूजा का आयोजन किया जाता है, जिसमें लोग चित्रगुप्त महाराज की पूजा करते हैं और उन्हें बलियाँ अर्पित करते हैं।
**महत्व:**
चित्रगुप्त पूजा, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो मृत्यु के पश्चात चित्रगुप्त महाराज के द्वारा मनुष्यों के कर्मों का रिकॉर्ड रखने का कार्य करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन कलम-दवात की पूजा करने से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
**मूल तिथि और मुहूर्त:**
- चित्रगुप्त पूजा 2023 का आयोजन 14 नवंबर को होगा।
- पूजा के लिए शुभ मुहूर्त: 10:48 AM से 12:13 PM तक।
- अमृतकाल का मुहूर्त: 05:48 PM से 06:36 PM तक।
- राहुकाल: 03:03 PM से 04:28 PM (पूजा के लिए अशुभ मुहूर्त)।
**पूजा विधि:**
1. पूजा की शुरुआत करने से पहले सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान करें।
2. ईशान कोण में एक स्वच्छ चौकी रखें, जिस पर लाल आसन बिछाएं।
3. भगवान गणेश जी और चित्रगुप्त की तस्वीर स्थापित करें।
4. अपनी एवं बच्चों की पाठ्य पुस्तकें रखें।
5. जातकों की संख्या अनुसार सादा कागज, कलम, पुष्प, हल्दी का घोल रखें।
6. धूप दीप प्रज्वलित कर सर्वप्रथम गणेश जी का मंत्र पढ़ें।
7. चित्रगुप्त जी का मंत्र "ॐ श्री चित्रगुप्ताय नमः" का उच्चारण करें।
8. रोली और अक्षत से तिलक लगाएं, पुष्प, फल, और मिष्ठान चढ़ाएं।
9. चित्रगुप्त जी की आरती उतारें और प्रसाद वितरित करें।
भगवान श्री चित्रगुप्त जी की आरती
ॐ जय चित्रगुप्त हरे,
स्वामीजय चित्रगुप्त हरे ।
भक्तजनों के इच्छित,
फलको पूर्ण करे॥विघ्न विनाशक मंगलकर्ता,
सन्तनसुखदायी ।
भक्तों के प्रतिपालक,
त्रिभुवनयश छायी ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
रूप चतुर्भुज, श्यामल मूरत,
पीताम्बरराजै ।
मातु इरावती, दक्षिणा,
वामअंग साजै ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
कष्ट निवारक, दुष्ट संहारक,
प्रभुअंतर्यामी ।
सृष्टि सम्हारन, जन दु:ख हारन,
प्रकटभये स्वामी ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
कलम, दवात, शंख, पत्रिका,
करमें अति सोहै ।
वैजयन्ती वनमाला,
त्रिभुवनमन मोहै ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
विश्व न्याय का कार्य सम्भाला,
ब्रम्हाहर्षाये ।
कोटि कोटि देवता तुम्हारे,
चरणनमें धाये ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
नृप सुदास अरू भीष्म पितामह,
यादतुम्हें कीन्हा ।
वेग, विलम्ब न कीन्हौं,
इच्छितफल दीन्हा ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
दारा, सुत, भगिनी,
सबअपने स्वास्थ के कर्ता ।
जाऊँ कहाँ शरण में किसकी,
तुमतज मैं भर्ता ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
बन्धु, पिता तुम स्वामी,
शरणगहूँ किसकी ।
तुम बिन और न दूजा,
आसकरूँ जिसकी ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
जो जन चित्रगुप्त जी की आरती,
प्रेम सहित गावैं ।
चौरासी से निश्चित छूटैं,
इच्छित फल पावैं ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे...॥
न्यायाधीश बैंकुंठ निवासी,
पापपुण्य लिखते ।
'नानक' शरण तिहारे,
आसन दूजी करते ॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे,
स्वामीजय चित्रगुप्त हरे ।
भक्तजनों के इच्छित,
फलको पूर्ण करे ॥
पूजा के बाद, कायस्थ समाज कलम-दवात का उपयोग पूरे दिन नहीं करता है। इस दिन को समर्पित करके वे चित्रगुप्त महाराज की उपासना में लगे रहते हैं।