रामायण युग का साधना केंद्र है। बिहार के नवादा जिला के रजौली में लोमस ऋषि पर्वत
रजौली प्रखंड के लोमस ऋषि पर्वत का महत्वपूर्ण स्थान है, जो रामायण काल के सप्तऋषियों की साधनास्थली मानी जाती है। इस पर्वत के विकास के प्रयासों के कारण, रजौली को पर्यटक स्थल के रूप में बढ़ावा मिल रहा है। हाल ही में शुरू की गई पहल के माध्यम से, लोमस ऋषि पर्वत नवादा के रामायण सर्किट से जुड़ने की संभावना है। पटना हाईकोर्ट ने सितम्बर महीने में इस क्षेत्र के विकास के लिए प्रधान सचिव के पत्र के आलोक में कार्रवाई शुरू की है, जिससे यहां के पौराणिक धरोहर को संरक्षित करने का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। इसका परिणामस्वरूप, लोमस ऋषि और याग्वल्क्य ऋषि की पर्वत गुफाएं सुरक्षित रह सकती हैं, जो नवादा के लिए युगांतकारी साबित हो सकती हैं। रजौली स्थित लोमस ऋषि पर्वत के विकास के साथ-साथ यह क्षेत्र याग्वल्क्य ऋषि के आश्रम के लिए भी प्रसिद्ध है। इस प्राचीन स्थल पर लगभग सवा सौ सीढ़ियां चढ़ कर श्रद्धालु लोग आते हैं और अपनी इच्छित मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए माथा टेकते हैं। फोरलेन सड़क पर सिमरकोल से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित सरमसपुर गांव के पास यह क्षेत्र स्थित है और लोमस ऋषि के अलावा याग्वल्क्य ऋषि के आश्रम के लिए भी जाना जाता है। यहां की प्राकृतिक सौंदर्य की गोद में बसे रजौली की धरती पर रजौली पूर्वी पंचायत में स्थित है, जो पौराणिक और पुरातात्विक धरोहर के साथ-साथ लोगों के आस्थाओं का केंद्र भी है।पवित्र श्रावण मास की पूर्णिमा पर लोमस ऋषि और याग्वल्क्य ऋषि की पूजा-अर्चना को लेकर हर वर्ष लोमस ऋषि पहाड़ पर मेला आयोजित होता है। इस मेले में रजौली प्रखंड क्षेत्र के अलावा नवादा जिले के कई क्षेत्रों से हजारों श्रद्धालु भक्त भी शामिल होते हैं, जो पूरे दिन तक चलने वाले इस महोत्सव का आनंद लेते हैं।
इस साधना केंद्र के विकास से जुड़कर रामायण सर्किट के साथ जुड़ने की संभावना बढ़ गई है,