पटना: बिहार में बालू खनन पर अगले 4 महीने की रोक
पटना: बिहार में बालू खनन पर रोक लगा दी गई है जो अगले 4 महीने तक, अर्थात 15 अक्टूबर तक, प्रभावी रहेगी। यह जानकारी खान एवं भूतत्व विभाग के सचिव धर्मेंद्र सिंह ने दी है। यह रोक हर साल मानसून के समय में लगाई जाती है, और इस बार भी 16 जून से इसे लागू कर दिया गया है।
मानसून के दौरान खनन पर रोक के कारण
बिहार सरकार हर साल मानसून के दौरान बालू खनन पर रोक लगाती है। इसका मुख्य कारण पर्यावरण की सुरक्षा और नदियों की स्वाभाविक प्रवाह की बहाली है। मानसून के दौरान नदियों में पानी का स्तर बढ़ जाता है, जिससे बालू खनन करना खतरनाक हो जाता है और इससे नदी के किनारे और आसपास की जमीन के कटाव का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, बालू खनन के दौरान होने वाली गतिविधियों से जल जीवों और पारिस्थितिकी तंत्र पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) के निर्देशानुसार, यह रोक हर साल 16 जून से 15 अक्टूबर तक लगाई जाती है।
बड़े भंडारण पर कड़ी कार्रवाई
इस दौरान बालू के बड़े भंडारण करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए गए हैं। खान भूतत्व विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बालू के अवैध भंडारण और खनन पर सख्त नजर रखी जाएगी। अगर कोई इस अवधि में बालू का बड़े पैमाने पर भंडारण करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस अधीक्षकों को निर्देश
खान भूतत्व विभाग ने सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को बालू माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए हैं। इसके तहत पुलिस अधीक्षकों को बालू खनन रोकने और अवैध भंडारण पर निगरानी रखने के लिए सख्त कदम उठाने के लिए कहा गया है। बालू माफिया द्वारा अवैध रूप से खनन करने पर तुरंत कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं।
विभाग और जिला प्रशासन का समन्वय
खान भूतत्व विभाग ने जिला प्रशासन के साथ मिलकर निगरानी करने की योजना बनाई है। इस समन्वय का उद्देश्य यह है कि बालू खनन पर पूरी तरह से रोक लगाई जा सके और किसी भी तरह की अवैध गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। विभाग ने सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों के साथ मिलकर एक रणनीति तैयार की है, जिसके तहत बालू खनन और भंडारण पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी।
रोक के प्रभाव और चुनौतियाँ
बालू खनन पर रोक लगाने से कई तरह की चुनौतियाँ भी सामने आती हैं। इस रोक का सीधा असर निर्माण कार्यों पर पड़ता है, क्योंकि बालू निर्माण कार्यों के लिए एक महत्वपूर्ण सामग्री है। इसके चलते निर्माण कार्यों की गति धीमी हो सकती है। इसके अलावा, इस अवधि में बालू की कीमतों में वृद्धि होने की संभावना भी रहती है, जिससे आम जनता और बिल्डरों को परेशानी हो सकती है।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
बालू खनन पर रोक लगाना पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह कदम नदियों की प्राकृतिक धारा को बनाए रखने और उनके आसपास की भूमि को कटाव से बचाने के लिए उठाया जाता है। मानसून के दौरान नदियों में पानी का स्तर बढ़ जाता है और अगर इस समय खनन जारी रहता है तो नदियों के किनारे की भूमि के कटाव का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, जल जीवों के लिए भी यह समय संवेदनशील होता है, ऐसे में बालू खनन उनके जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
बालू माफिया की गतिविधियों पर नकेल
बालू माफिया की गतिविधियों पर नकेल कसने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है। अवैध खनन और भंडारण करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश से उम्मीद है कि बालू माफिया की गतिविधियों पर अंकुश लगेगा। इसके साथ ही, जिला प्रशासन और पुलिस के समन्वय से इन गतिविधियों पर नजर रखना और अवैध खनन को रोकना संभव हो सकेगा।
बिहार सरकार की इस पहल की सराहना की जा रही है। पर्यावरणविदों का मानना है कि यह कदम न केवल नदियों और भूमि के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह बालू माफिया की अवैध गतिविधियों को रोकने में भी प्रभावी साबित होगा। सरकार का यह निर्णय पर्यावरण संरक्षण और कानून व्यवस्था को बनाए रखने की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।
बिहार में बालू खनन पर अगले 4 महीने की रोक एक महत्वपूर्ण निर्णय है। यह कदम पर्यावरण संरक्षण, नदियों की स्वाभाविक धारा को बनाए रखने, भूमि कटाव को रोकने और बालू माफिया की अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए उठाया गया है। सरकार, जिला प्रशासन और पुलिस के संयुक्त प्रयास से इस रोक का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सकेगा। हालाँकि, इस रोक से निर्माण कार्यों पर असर पड़ सकता है, लेकिन पर्यावरण और कानून व्यवस्था के दृष्टिकोण से यह एक आवश्यक और स्वागत योग्य कदम है।