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नवादा में डायरिया का कहर: अस्पताल की व्यवस्था चरमराई, एक ही बेड पर 2-3 मरीज

 नवादा में डायरिया का कहर: अस्पताल की व्यवस्था चरमराई, एक ही बेड पर 2-3 मरीज

नवादा, बिहार – नवादा जिले में डायरिया के प्रकोप ने गंभीर स्थिति उत्पन्न कर दी है। जिले में डायरिया का संक्रमण तेजी से फैल रहा है, जिससे सैकड़ों लोग प्रभावित हो रहे हैं। नवादा के कई क्षेत्रों में इस महामारी ने कहर बरपाया है, जिसके कारण जिले के अस्पतालों में हालात बेकाबू हो गए हैं। स्थिति इतनी विकट हो गई है कि नवादा सदर अस्पताल में एक ही बेड पर दो से तीन मरीजों को भर्ती करने की नौबत आ गई है। 

डायरिया का विस्फोट: 30 से अधिक मरीज अस्पताल में भर्ती

नवादा जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र और हिसुआ के गांधी टोला में डायरिया का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। इन क्षेत्रों में अचानक से डायरिया के मरीजों की संख्या में भारी वृद्धि देखी गई है। नवादा सदर अस्पताल में करीब 30 मरीजों को भर्ती कराया गया है, जिनमें से कईयों की स्थिति गंभीर बताई जा रही है। मरीजों की इतनी बड़ी संख्या को संभालने में अस्पताल प्रशासन की व्यवस्थाएं फेल होती नजर आ रही हैं। 

अस्पताल में बेड की कमी: जमीन पर सोने को मजबूर मरीज

नवादा सदर अस्पताल में 300 बेड का दावा किया गया था, लेकिन हकीकत में यहां मात्र 72 बेड उपलब्ध हैं। डायरिया के बढ़ते मरीजों के कारण अस्पताल की व्यवस्था चरमरा गई है। मरीजों को बेड उपलब्ध नहीं हो पाने के कारण कई मरीजों को जमीन पर सोने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। अस्पताल प्रशासन की इस असमर्थता ने जनप्रतिनिधियों की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। 

गांधी टोला में डायरिया का कहर: बारिश के बाद से बिगड़ने लगी तबीयत**

हिसुआ के गांधी टोला में डायरिया के कारण हड़कंप मच गया है। स्थानीय लोगों के अनुसार, कल रात हुई बारिश के बाद से ही गांव में लोगों की तबीयत बिगड़ने लगी। लगभग 30 से 35 लोग डायरिया की चपेट में आ गए हैं। इनमें से कुछ लोग प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती हो गए हैं, जबकि अन्य सरकारी अस्पताल में इलाज करा रहे हैं। गांधी टोला के निवासी इस स्थिति से बेहद चिंतित हैं और प्रशासन से तत्काल मदद की गुहार लगा रहे हैं।

अस्पताल प्रशासन की सफाई: बेड की कमी दूर करने के प्रयास

नवादा सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. अजय कुमार ने इस स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, "हमारे पास फिलहाल 29 मरीज भर्ती हैं। अस्पताल में बेड की कुछ कमियां हैं, लेकिन हम स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रयासरत हैं। हमने दूसरे वार्ड में भर्ती पुराने मरीजों को स्थानांतरित करने का निर्णय लिया है ताकि नए मरीजों को बेड उपलब्ध कराए जा सकें।"

समस्या की जड़: पानी की गुणवत्ता और सफाई का अभाव

डायरिया के इस विस्फोट के पीछे पानी की गुणवत्ता और सफाई के अभाव को मुख्य कारण माना जा रहा है। नवादा जिले के कई क्षेत्रों में साफ पेयजल की समस्या पहले से ही बनी हुई है। बारिश के बाद दूषित पानी पीने से डायरिया का संक्रमण तेजी से फैला है। इसके अलावा, सफाई व्यवस्था में कमी के कारण भी यह महामारी नियंत्रण से बाहर होती जा रही है। 

प्रशासन की सुस्ती: समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं

स्थानीय प्रशासन की ओर से इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। जिला प्रशासन ने इस मामले में सुस्ती दिखाई है, जिससे आम जनता में आक्रोश बढ़ रहा है। लोग प्रशासन से तत्काल मदद और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग कर रहे हैं। 

जनप्रतिनिधियों की भूमिका पर सवाल: वादे और हकीकत में अंतर

नवादा जिले के जनप्रतिनिधियों द्वारा किए गए वादे और हकीकत में बड़ा अंतर नजर आ रहा है। 300 बेड का दावा करने वाले इस अस्पताल में जब वास्तविकता में केवल 72 बेड ही उपलब्ध हैं, तो यह स्थिति जनप्रतिनिधियों की भूमिका पर सवाल खड़े करती है। अस्पताल में बेड की कमी और चिकित्सा सुविधाओं की कमी के चलते मरीजों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

आवश्यक कदम: तत्काल मदद और भविष्य के लिए योजना

डायरिया के इस विकट प्रकोप से निपटने के लिए प्रशासन को तुरंत कदम उठाने की जरूरत है। पानी की गुणवत्ता में सुधार और साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है। इसके अलावा, अस्पतालों में बेड की संख्या बढ़ाना और अतिरिक्त चिकित्सा कर्मियों की तैनाती करना भी जरूरी है। 

नवादा जिले में इस समय जो स्थिति है, वह केवल एक चेतावनी नहीं, बल्कि एक गंभीर समस्या है, जिसे नजरअंदाज करना किसी भी सूरत में संभव नहीं है। यह आवश्यक है कि प्रशासन इस समस्या का त्वरित और प्रभावी समाधान निकाले, ताकि आम जनता को इस महामारी से निजात मिल सके और भविष्य में ऐसी समस्याओं से बचाव के उपाय सुनिश्चित किए जा सकें। 

नवादा जिले में डायरिया का संक्रमण गंभीर समस्या बन चुका है, जिससे निपटने के लिए तत्काल प्रयासों की आवश्यकता है। अस्पतालों में बेड की कमी और प्रशासन की सुस्ती ने इस स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है। अब समय आ गया है कि प्रशासन और जनप्रतिनिधि अपनी जिम्मेदारी समझें और इस समस्या का समाधान निकालें, ताकि आम जनता को राहत मिल सके और भविष्य में ऐसी समस्याओं का सामना न करना पड़े

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