बिहार सरकार ने राज्य भर में जमीन के सर्वेक्षण और रिकॉर्ड सुधार की प्रक्रिया को युद्ध स्तर पर शुरू कर दिया है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य पुराने खतियान और जमीन के रिकॉर्ड को आधुनिक तकनीकों के माध्यम से अपडेट करना और जमीन से जुड़े विवादों को कम करना है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत 22 स्तरों की जांच के बाद जमीन के वास्तविक मालिक की पहचान की जाएगी और नया खतियान जारी किया जाएगा। साथ ही, इन रिकॉर्ड्स को डिजिटल रूप से सुरक्षित करने के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं ताकि लोग अपनी जमीन के रिकॉर्ड ऑनलाइन देख सकें। इस लेख में, हम इस सर्वे प्रक्रिया, इसके उद्देश्यों, और इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझेंगे।
1. बिहार में भूमि सर्वेक्षण की आवश्यकता
बिहार में भूमि विवादों का इतिहास काफी पुराना है। राज्य में भूमि विवाद न केवल कानूनी समस्याओं को जन्म देते हैं बल्कि कई बार हिंसक घटनाओं का कारण भी बनते हैं। भूमि के असमंजसपूर्ण रिकॉर्ड, पुराने खतियान, और वंशावली के कारण यह समस्या और गंभीर हो गई है। पुराने खतियान, जो कि कई बार 1910, 1970 या 1980 के हैं, अब तक उपयोग में लाए जा रहे हैं। यह पुराने रिकॉर्ड न केवल अप्रासंगिक हो चुके हैं, बल्कि इनकी वजह से जमीन के मालिकाना हक के दावेदारों के बीच विवाद भी बढ़े हैं। परिवारों के बंटवारे के बाद, नए दावेदारों के नाम से खतियान नहीं होने के कारण जमीन को लेकर विवाद उत्पन्न हो जाता है।
बिहार सरकार ने इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए राज्य भर में भूमि सर्वेक्षण शुरू किया है। यह सर्वेक्षण आधुनिक तकनीकों, जैसे GIS मैपिंग, का उपयोग करके किया जा रहा है। इसके अलावा, ग्राम सभाओं की मदद से स्थानीय लोगों के दस्तावेजों की जांच की जा रही है ताकि जमीन के वास्तविक मालिक की पहचान हो सके और उनके नाम से खतियान जारी किया जा सके।
2. सर्वेक्षण प्रक्रिया: 22 स्तरों की जांच
इस भूमि सर्वेक्षण को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए 22 फॉर्म की प्रक्रिया को पूरा करना अनिवार्य है। प्रत्येक फॉर्म के माध्यम से अलग-अलग स्तरों पर जांच की जाती है, जो कि इस प्रकार है:
1. फॉर्म संख्या 1 : इस फॉर्म के तहत सरकारी अधिकारियों द्वारा यह घोषणा की जाती है कि वे गाँव में आकर जमीन की माप करेंगे। इसमें लोगों से आग्रह किया जाता है कि वे अपनी जमीन से जुड़े सुधार कार्य समय पर कर लें।
2. फॉर्म संख्या 2 : इस फॉर्म के तहत जमीन के मालिक स्वयं घोषणा करके अपनी जमीन का विवरण सरकारी अधिकारियों को प्रदान करते हैं।
3. फॉर्म संख्या 3 : इस स्तर पर जमीन के मालिकों से उनकी वंशावली की जानकारी मांगी जाती है ताकि जमीन के मालिकाना हक का सही रिकॉर्ड तैयार किया जा सके।
4. फॉर्म संख्या 4-22 : इन स्तरों पर विभिन्न जांचों के बाद, जमीन के वास्तविक मालिक की पहचान की जाती है और नए खतियान जारी करने की प्रक्रिया शुरू की जाती है।
3. ग्राम सभाओं की भूमिका
ग्राम सभाओं की इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका है। ग्राम सभाओं के माध्यम से स्थानीय लोगों के दस्तावेजों की जांच की जाती है और उनकी राय ली जाती है। इस प्रक्रिया के दौरान किसी भी प्रकार की असंगति को दूर करने के लिए ग्राम सभा में खुले तौर पर चर्चा की जाती है। ग्राम सभा द्वारा अनुमोदित दस्तावेजों के आधार पर ही अगले स्तर की जांच की जाती है।
4. डिजिटल रिकॉर्ड्स की आवश्यकता और लाभ
बिहार सरकार इस सर्वेक्षण के माध्यम से भूमि के सभी रिकॉर्ड्स को डिजिटल कृत करने की योजना बना रही है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत जमीन के मौजूदा और वास्तविक मालिक की पहचान के बाद, उसकी जानकारी को सरकारी वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा। इससे लोगों को अपनी जमीन के रिकॉर्ड को आसानी से देखने और आवश्यकतानुसार उसका उपयोग करने में मदद मिलेगी। यह डिजिटल रिकॉर्ड्स न केवल लोगों को सुविधा प्रदान करेंगे, बल्कि भूमि विवादों को भी काफी हद तक कम करने में सहायक होंगे।
5. सर्वे के दौरान लोगों की सहायता
जिन लोगों के पास अपने जमीन के दस्तावेज नहीं हैं, उन्हें इस प्रक्रिया के तहत दस्तावेज जमा कराने के लिए एक साल का समय दिया जाएगा। इस अवधि के दौरान, वे अपने संबंधित ब्लॉक में जाकर आवश्यक दस्तावेजों को बनवा सकते हैं। यह कदम उन लोगों के लिए विशेष रूप से लाभकारी होगा जिनके पास पुराने या गुम हुए दस्तावेज हैं, जिससे वे समय पर अपने दस्तावेज तैयार करा सकेंगे और सर्वे प्रक्रिया में भाग ले सकेंगे।
6. सर्वे के बाद आने वाले बदलाव
इस सर्वे के पूरा होने के बाद कई महत्वपूर्ण बदलाव होंगे। अब हर प्लॉट का अलग-अलग खसरा नंबर होगा, जिससे जमीन की पहचान और उसके रिकॉर्ड में सुधार होगा। इसके अलावा, इस सर्वे के पूरा होने के बाद दाखिल-खारिज कराने में भी लोगों को आसानी होगी। पहले कई लोग मिलकर एक बड़े प्लॉट को खरीदते थे और खसरा नंबर एक ही रह जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। इसके कारण भूमि विवाद में भी कमी आएगी।
7. प्रक्रिया में तेजी
बिहार सरकार इस सर्वेक्षण को समय पर पूरा करने के लिए पूरी गति से कार्य कर रही है। राज्य में भूमि का सर्वेक्षण बीते दो वर्षों से चल रहा है, लेकिन अब इसे तेजी से पूरा करने के लिए सरकार ने अतिरिक्त कदम उठाए हैं। सरकार का लक्ष्य है कि अगले एक वर्ष में इस प्रक्रिया को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाए, ताकि लोगों को इसका लाभ मिल सके और भूमि विवादों में कमी आ सके।
बिहार सरकार का यह कदम न केवल भूमि विवादों को समाप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह राज्य में भूमि से जुड़े सभी रिकॉर्ड्स को अधिकृतऔर डिजिटल कृत करने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद, राज्य में भूमि विवादों में 95 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है। साथ ही, डिजिटल रिकॉर्ड्स के माध्यम से लोग अपनी जमीन के रिकॉर्ड्स को ऑनलाइन देख सकेंगे, जिससे उन्हें कई प्रकार की परेशानियों से छुटकारा मिलेगा। यह सर्वेक्षण न केवल बिहार सरकार के लिए बल्कि राज्य के निवासियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।