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नवादा जिला प्रशासन द्वारा बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त अभियान में रैयतों के लिए दिशा-निर्देश।

 नवादा जिला प्रशासन द्वारा बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त अभियान में रैयतों के लिए दिशा-निर्देश।

बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अंतर्गत अभिलेख एवं परिमाप निदेशालय द्वारा विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त के अंतर्गत रैयतों के लिए कुछ सामान्य अनुदेश जारी किए गए हैं। ये अनुदेश रैयतों द्वारा आवश्यक कागजात प्रस्तुत करने और सर्वेक्षण प्रक्रिया के दौरान अपनाई जाने वाली सावधानियों से संबंधित हैं। इन अनुदेशों का उद्देश्य प्रक्रिया को सुगम और पारदर्शी बनाना है ताकि जमीन संबंधित विवादों का सही समाधान हो सके और रैयतों को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।

आवश्यक कागजात:

रैयतों और उनके वंशजों को विशेष सर्वेक्षण के दौरान निम्नलिखित दस्तावेज जमा करने की आवश्यकता होगी:

1. स्वघोषणा का प्रपत्र 2

   रैयत या रैयत के वंशज द्वारा धारित भूमि के बारे में सूचना प्रदान करने हेतु स्वघोषणा प्रपत्र-2 भरना आवश्यक है। इसे अपने संबंधित अंचल के शिविर में जमा किया जा सकता है या भू-अभिलेख एवं परिमाप की वेबसाइट [dlrs.bihar.gov.in](http://dlrs.bihar.gov.in) पर अपलोड किया जा सकता है। इस प्रपत्र के माध्यम से रैयत को यह सुनिश्चित करना होता है कि जो भूमि वे दावा कर रहे हैं, वह उन्हीं की है।

2. वंशावली तैयार करना (प्रपत्र-3 (i))  

   यदि रैयत या उनके वंशज खतियानी रैयत या जमाबंदी रैयत हैं, तो उन्हें वंशावली तैयार कर अपने अंचल के शिविर में जमा करनी होगी। वंशावली में उन सभी वंशजों का उल्लेख होगा, जिन्होंने भूमि पर अधिकार किया है। इस वंशावली को भी निदेशालय की वेबसाइट [dlrs.bihar.gov.in](http://dlrs.bihar.gov.in) पर अपलोड किया जा सकता है।

3. राजस्व रसीद की छायाप्रति:  

   रैयतों को अपनी स्वघोषणा के साथ राजस्व रसीद की छायाप्रति भी संलग्न करनी होगी। यह प्रमाणित करता है कि वे भूमि का नियमित कर अदा कर रहे हैं और भूमि का स्वामित्व उनके पास है।

4. दस्तावेजों की छायाप्रति (यदि क्रय/बदलैन/दान की भूमि हो):  

   यदि रैयत द्वारा भूमि को खरीदकर, बदलैन (विनिमय) या दान के माध्यम से प्राप्त किया गया है, तो संबंधित दस्तावेजों की छायाप्रति प्रस्तुत करनी आवश्यक होगी। इन दस्तावेजों से भूमि के हस्तांतरण का प्रमाण मिलता है और यह सुनिश्चित होता है कि भूमि कानूनी रूप से उनके पास आई है।

5. न्यायालय का आदेश (यदि हो):  

   यदि भूमि विवादित रही हो और उस पर सक्षम न्यायालय का आदेश पारित हुआ हो, तो न्यायालय के आदेश की छायाप्रति प्रस्तुत करना आवश्यक है। इससे यह स्पष्ट होगा कि न्यायालय ने भूमि पर रैयत का अधिकार सुनिश्चित किया है।

6. बंदोबस्त भूमि/भूदान प्रमाण पत्र/वासगीत पर्चा:  

   यदि भूमि बंदोबस्त की हो, भूदान के अंतर्गत आई हो, या वासगीत पर्चा जारी किया गया हो, तो उसके प्रमाण पत्र या पर्चा की छायाप्रति प्रस्तुत करनी होगी। इससे यह सिद्ध होता है कि भूमि सरकारी योजनाओं के अंतर्गत प्राप्त की गई है।

7. जमाबंदी रैयत जीवित होने की स्थिति:

   यदि जमाबंदी रैयत स्वयं जीवित हैं, तो उन्हें केवल स्वघोषणा प्रपत्र-2 जमा करना होगा। वंशावली तैयार करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वे स्वयं भूमि के स्वामी हैं और उनके वंशजों की जानकारी की जरूरत नहीं होती।


जिन कागजातों की आवश्यकता नहीं है:

विशेष सर्वेक्षण और बंदोबस्त प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कुछ कागजातों की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है। ये निम्नलिखित हैं:

1. वंशावली पर शपथ करने की आवश्यकता नहीं है 

   प्रपत्र-3 (i) में तैयार की गई वंशावली पर कार्यपालक दंडाधिकारी या नोटरी पब्लिक के समक्ष शपथ लेने की कोई आवश्यकता नहीं है। इसका उद्देश्य रैयतों के लिए प्रक्रिया को कम जटिल बनाना है।

2. वंशावली पर ग्राम पंचायत के प्रतिनिधि का हस्ताक्षर आवश्यक नहीं 

   वंशावली को संबंधित ग्राम पंचायत के प्रतिनिधि से हस्ताक्षरित कराने की भी कोई अनिवार्यता नहीं है। इससे रैयतों को ग्राम पंचायत में अतिरिक्त दौड़-धूप से बचाया गया है।

3. खतियान की सच्ची प्रतिलिपि की आवश्यकता नहीं  

   रैयतों को खतियान की सच्ची प्रतिलिपि प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है। यह भी एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे रैयतों को अनावश्यक दस्तावेजों के संग्रहण से बचाया जा सके।

4. भू-खण्ड की किस्तवार प्रक्रिया में उपस्थिति  

   किस्तवार प्रक्रिया के दौरान रैयतों की भूमि पर उनकी उपस्थिति अनिवार्य नहीं है। हालांकि, यह सुझाव दिया गया है कि यदि रैयत स्वयं या उनका कोई विश्वस्त प्रतिनिधि भूमि पर उपस्थित रहता है, तो सर्वेक्षण कर्मियों को भूमि की पहचान करने में आसानी होगी। लेकिन इसे अनिवार्य नहीं बनाया गया है, जिससे रैयतों को भूमि पर उपस्थित होने के लिए बाध्य न किया जाए।

5. राजस्व रसीद की अद्यतन/ऑनलाइन प्रति की आवश्यकता नहीं  

   रैयतों को स्वघोषणा के साथ अद्यतन या ऑनलाइन राजस्व रसीद की प्रति संलग्न करने की आवश्यकता नहीं है। यह कदम रैयतों की सुविधा के लिए उठाया गया है ताकि उन्हें राजस्व रसीद का त्वरित इंतजाम करने में कठिनाई न हो।

बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त के तहत रैयतों को जागरूक और सक्रिय रहने की आवश्यकता है। सरकार द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार, रैयतों को अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझते हुए आवश्यक दस्तावेज जमा करने चाहिए। इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य भूमि विवादों का सही समाधान और सभी भूमि धारकों के अधिकारों को सुरक्षित करना है। नवादा जिला प्रशासन ने इस संबंध में जागरूकता फैलाने के लिए प्रयास किए हैं, ताकि रैयत बिना किसी असुविधा के इस प्रक्रिया में भाग ले सकें।  

जिला सूचना जनसंपर्क कार्यालय, नवादा, द्वारा इस दिशा में आवश्यक जानकारी प्रदान की जा रही है। नवादा के सभी रैयतों को इन दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए और अपनी भूमि संबंधित दस्तावेजों को सही ढंग से प्रस्तुत करना चाहिए, जिससे कि विशेष सर्वेक्षण अभियान सफल हो सके।

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