पटना में जेडीयू मंत्री अशोक चौधरी के खिलाफ भूमिहार समाज का गुस्सा, पोस्टरों में बताया 'रावण'।
बिहार की राजनीति में हाल के दिनों में जातीय मुद्दों को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। यह विवाद उस समय और भी अधिक बढ़ गया जब बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने जहानाबाद में भूमिहार जाति पर एक विवादित बयान दिया। इस बयान ने न केवल विपक्षी दलों बल्कि खुद उनकी पार्टी के भीतर भी असंतोष की लहर पैदा कर दी है। इस मामले में पटना शहर में अशोक चौधरी के खिलाफ जगह-जगह पोस्टर लगाए गए हैं, जिसमें उन्हें 'रावण' के रूप में दर्शाया गया है।
पोस्टर वार की शुरुआत
पटना शहर के जेडीयू दफ्तर के बाहर और अन्य प्रमुख स्थानों पर अशोक चौधरी के खिलाफ पोस्टर लगाए गए हैं। इन पोस्टरों में अशोक चौधरी को "रावण रूपी अहंकारी" बताया गया है और भूमिहार समाज को उनका घमंड तोड़ने का आवाहन किया गया है। पोस्टरों में लिखा गया है, "रावण रूपी अहंकारी अशोक चौधरी का घमंड तोड़ेगा बिहार का भूमिहार समाज। जब तक बर्खास्त नहीं, तब तक बर्दाशत नहीं।" ये पोस्टर स्वर्ण सेना नामक संगठन की ओर से लगाए गए हैं, जो अशोक चौधरी के हालिया बयान के खिलाफ आंदोलनरत है।
विवादित बयान और उसकी पृष्ठभूमि
अशोक चौधरी ने हाल ही में जहानाबाद में आयोजित एक सभा के दौरान भूमिहार समुदाय पर जेडीयू के उम्मीदवार चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी को वोट न देने का आरोप लगाया था। चौधरी का कहना था कि भूमिहार जाति ने जेडीयू उम्मीदवार को समर्थन नहीं दिया, जिसके कारण पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। इस बयान ने भूमिहार समुदाय के बीच गहरी नाराजगी पैदा कर दी है।
भूमिहार नेताओं की प्रतिक्रिया
अशोक चौधरी के बयान के बाद भूमिहार समुदाय के नेताओं ने उन पर तीखा हमला बोला। विभिन्न दलों के भूमिहार नेताओं ने इस बयान की कड़ी आलोचना की और इसे जातीय विद्वेष को बढ़ावा देने वाला करार दिया। खास बात यह है कि जेडीयू के भीतर भी अशोक चौधरी के खिलाफ असंतोष पनपने लगा है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने भी अशोक चौधरी के बयान की निंदा की और इसे अनुचित बताया।
जेडीयू दफ्तर के बाहर पोस्टर और माहौल
पटना में जेडीयू के दफ्तर के बाहर लगाए गए पोस्टर विशेष रूप से चर्चा का विषय बने हुए हैं। पोस्टरों में अशोक चौधरी को दस सिर वाले रावण के रूप में दर्शाया गया है। इस प्रकार के प्रतीकात्मक विरोध ने न केवल पटना के लोगों का ध्यान आकर्षित किया है, बल्कि राज्यभर में राजनीतिक हलचल भी बढ़ा दी है। जेडीयू दफ्तर के अलावा पटना के अन्य प्रमुख स्थानों पर भी ऐसे पोस्टर लगाए गए हैं, जो इस विवाद को और भी गर्मा रहे हैं।
स्वर्ण सेना का विरोध
स्वर्ण सेना, जो कि एक भूमिहार समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाला संगठन है, इस पूरे मामले में सबसे अधिक मुखर है। स्वर्ण सेना ने पटना में प्रदर्शन किए और मांग की कि अशोक चौधरी को तुरंत बर्खास्त किया जाए। संगठन के नेताओं का कहना है कि जब तक अशोक चौधरी को बर्खास्त नहीं किया जाएगा, तब तक उनका विरोध जारी रहेगा। स्वर्ण सेना के इस कदम ने राज्य की राजनीति में नई जान फूंक दी है और इसे आगामी चुनावों से भी जोड़कर देखा जा रहा है।
जेडीयू के भीतर असंतोष
अशोक चौधरी के बयान ने जेडीयू के भीतर भी विवाद को जन्म दिया है। पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने चौधरी के बयान की निंदा की है और इसे अनुचित करार दिया है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने भी अशोक चौधरी के बयान की आलोचना की और कहा कि ऐसे बयान से पार्टी की छवि को नुकसान पहुंच सकता है। इस विवाद के चलते जेडीयू के भीतर असंतोष की स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिससे पार्टी के लिए नए संकट का सामना करना पड़ रहा है।
विपक्ष का हमला
अशोक चौधरी के बयान पर विपक्षी दलों ने भी जमकर हमला बोला है। भाजपा और राजद दोनों ने अशोक चौधरी के बयान की कड़ी आलोचना की है। विपक्ष ने इसे जेडीयू की विफलता का प्रतीक बताया है और कहा है कि अशोक चौधरी का बयान राज्य में जातीय तनाव को बढ़ावा देने वाला है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि जेडीयू के मंत्री अपने बयानों से राज्य की सामाजिक सद्भावना को नुकसान पहुंचा रहे हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ऐसे नेताओं पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
कटिहार चुनाव पर उठे सवाल
जहानाबाद के साथ-साथ कटिहार में भी जेडीयू उम्मीदवार की हार को लेकर सवाल उठे हैं। कटिहार में अशोक चौधरी पार्टी के प्रभारी थे, लेकिन पार्टी को वहां हार का सामना करना पड़ा। इस हार के लिए भी कई नेता अशोक चौधरी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। पार्टी के भीतर से ही आवाजें उठने लगी हैं कि अशोक चौधरी की रणनीति के कारण पार्टी को नुकसान हुआ है। इस प्रकार, अशोक चौधरी पर पार्टी के भीतर और बाहर दोनों ओर से दबाव बढ़ता जा रहा है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की स्थिति
इस पूरे विवाद में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की स्थिति भी काफी जटिल हो गई है। एक ओर जहां अशोक चौधरी उनके करीबी माने जाते हैं, वहीं दूसरी ओर पार्टी के भीतर और बाहर से चौधरी के खिलाफ बढ़ते विरोध के चलते नीतीश कुमार पर उन्हें बर्खास्त करने का दबाव बढ़ता जा रहा है। अगर नीतीश कुमार चौधरी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करते हैं, तो इससे पार्टी के भीतर असंतोष और बढ़ सकता है। वहीं, अगर वे चौधरी को बर्खास्त करते हैं, तो इससे उनके करीबी नेताओं के बीच असंतोष पनप सकता है।
बिहार की राजनीति में जातीय विवादों का इतिहास पुराना रहा है, लेकिन अशोक चौधरी के बयान ने एक बार फिर से इस मुद्दे को गर्मा दिया है। पटना में लगे पोस्टरों ने इस विवाद को और भी तूल दे दिया है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर राजनीतिक हलचल और तेज हो सकती है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाते हैं और क्या अशोक चौधरी के खिलाफ कार्रवाई की जाती है या नहीं। वहीं, भूमिहार समाज के गुस्से और स्वर्ण सेना के विरोध ने इस मामले को एक नए मोड़ पर ला खड़ा किया है। राज्य की राजनीति में यह विवाद किस दिशा में जाता है, यह देखना अब शेष है।