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नवादा जिला में बालू माफिया का आतंक: हिसुआ थाना क्षेत्र के लटावर गांव में।

 नवादा जिला में बालू माफिया का आतंक: हिसुआ थाना क्षेत्र के लटावर गांव में।

अखिलेश सिंह गोली चलाते हुए
गोलीबारी की घटना नवादा जिले से एक सनसनीखेज खबर सामने आ रही है, जिसमें एक बार फिर बालू माफिया का आतंक देखने को मिला है। हिसुआ थाना क्षेत्र के अंतर्गत लटावर गांव में शुक्रवार की सुबह बालू माफिया अखिलेश सिंह ने खुलेआम गोलीबारी की। गांव में गोली चलने की यह घटना लोगों के लिए चौंकाने वाली रही, जिसे गांव वालों ने अपने मोबाइल से रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।

बालू माफिया की ताकत: अवैध व्यापार का नतीजा 

बिहार के कई जिलों की तरह नवादा में भी बालू माफिया का अत्याचार जारी है। खासकर हिसुआ और इसके आसपास के इलाकों में बालू माफिया का दबदबा बढ़ता जा रहा है। अवैध बालू खनन और इसकी तस्करी से जुड़े माफिया न केवल नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, बल्कि किसी भी प्रकार की अवरोधक कार्रवाई का हिंसक रूप से सामना कर रहे हैं। शुक्रवार की गोलीबारी की घटना इसका ताजा उदाहरण है, जिसमें बालू माफिया अखिलेश सिंह ने अपनी ताकत का प्रदर्शन करते हुए गांव में डर का माहौल पैदा किया।

घटना की पृष्ठभूमि: पुलिस द्वारा पकड़े गए थे बालू लदे ट्रैक्टर

घटना की शुरुआत गुरुवार की  हुई, जब पुलिस ने अखिलेश सिंह के चार ट्रैक्टरों को अवैध रूप से बालू ले जाते हुए पकड़ लिया था। इन ट्रैक्टरों को जब्त कर पुलिस ने माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई की थी। कहा जा रहा है कि अखिलेश सिंह को जब इस बात की जानकारी मिली कि गांव के एक युवक, नीतीश कुमार, ने पुलिस को इस अवैध बालू खनन की सूचना दी थी, तो वह आग-बबूला हो गया। इसके बाद उसने नीतीश कुमार को सबक सिखाने का फैसला किया, और शुक्रवार की सुबह नीतीश के घर पहुंचकर ताबड़तोड़ फायरिंग की।

गोलीबारी का माहौल: गांव में दहशत का आलम

लटावर गांव में सुबह-सुबह हुई इस गोलीबारी ने पूरे इलाके को दहशत में डाल दिया। नीतीश कुमार के घर पर पहुंचकर माफिया के गुंडों ने अंधाधुंध गोलियां चलाईं, जिससे घर में मौजूद लोग दहशत में आ गए। हालांकि, इस घटना में नीतीश और उसके परिवार के सदस्य किसी तरह बाल-बाल बच गए। गोलियों की आवाज सुनकर गांव के अन्य लोग भी सहम गए और घरों में छिप गए। इस पूरी घटना का वीडियो गांव के ही कुछ युवकों ने अपने मोबाइल से रिकॉर्ड किया और इसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया, जिससे मामले ने तूल पकड़ लिया है।

पुलिस की भूमिका पर सवाल

इस घटना के बाद से पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं। गांव वालों का कहना है कि पुलिस को पहले से ही बालू माफिया की गतिविधियों की जानकारी थी, लेकिन इसके बावजूद वे समय पर उचित कार्रवाई नहीं कर पाए। जबकि गुरुवार को माफिया के ट्रैक्टर पकड़े जाने के बाद, पुलिस को अतिरिक्त सुरक्षा के इंतजाम करने चाहिए थे, क्योंकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति की संभावना बनी रहती है। गांव वालों का आरोप है कि पुलिस की निष्क्रियता के कारण ही माफिया ने इतनी बड़ी घटना को अंजाम दिया।


सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो: ग्रामीणों का विरोध

इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद गांव वालों में आक्रोश फैल गया है। गांव के लोग अब खुलकर बालू माफिया के खिलाफ बोल रहे हैं और उन्होंने प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में साफ दिख रहा है कि माफिया के गुंडे गांव में खुलेआम गोलियां चला रहे हैं और कानून का कोई डर नहीं है। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक प्रशासन इन माफियाओं पर लगाम नहीं लगाएगा, तब तक गांव में शांति बहाल नहीं हो सकती।

प्रशासन की प्रतिक्रिया: जांच के आदेश 

घटना की गंभीरता को देखते हुए नवादा पुलिस ने तुरंत कार्रवाई शुरू की है। पुलिस अधीक्षक ने इस मामले की जांच के लिए एक विशेष टीम का गठन किया है, जो बालू माफिया अखिलेश सिंह और उसके साथियों की तलाश में जुट गई है। पुलिस का कहना है कि जल्द ही दोषियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा और उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही, पुलिस ने नीतीश कुमार और उनके परिवार को सुरक्षा प्रदान करने का भी आश्वासन दिया है।

बालू माफिया के खिलाफ कार्रवाई की जरूरत

यह घटना केवल नवादा जिले तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे बिहार में बालू माफिया का आतंक व्याप्त है। अवैध बालू खनन और तस्करी से जुड़े माफिया न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं, बल्कि आम लोगों की जान-माल की भी हानि कर रहे हैं। इस तरह की घटनाओं से साफ है कि बालू माफिया न केवल आर्थिक रूप से मजबूत हैं, बल्कि राजनीतिक संरक्षण के चलते भी इनकी ताकत बढ़ रही है।  लटावर गांव की यह घटना बिहार में कानून व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े करती है। जब माफिया बिना किसी डर के खुलेआम गोलीबारी कर सकते हैं, तो यह साफ है कि स्थानीय प्रशासन और पुलिस बल के ऊपर इनका कितना प्रभाव है। यदि समय रहते ऐसे माफियाओं पर काबू नहीं पाया गया, तो आने वाले दिनों में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। अब देखना यह है कि पुलिस और प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाते हैं और बालू माफिया के खिलाफ किस प्रकार की कार्रवाई होती है। ग्रामीणों को न्याय और सुरक्षा की आस अब पूरी तरह से प्रशासन की कार्रवाई पर निर्भर है।

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