नारदीगंज का द्वापरकालीन सूर्यनारायण मंदिर: रोगमुक्ति और आस्था का केंद्र।
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हंडिया सुर्य मंदिर |
सूर्योपासना का प्राचीन स्थल।
हंडिया के इस सूर्य मंदिर में भगवान सूर्य की काले पत्थर से निर्मित प्रतिमा स्थापित है, जिसमें भगवान भास्कर को सात घोड़ों के रथ पर विराजमान दिखाया गया है। इस प्रतिमा का दर्शन करने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं। मान्यता है कि द्वापर युग में मगध के सम्राट जरासंध की पुत्री राजकुमारी धन्यवाती इस मंदिर में सूर्योपासना करती थीं। कहा जाता है कि एक बार जब धन्यवाती कुष्ट रोग से पीड़ित हो गई थीं, तो वह मंदिर के पास स्थित सरोवर में स्नान कर सूर्यदेव की पूजा करती थीं, जिससे वह रोगमुक्त हो गईं।
छठ पर्व के दौरान श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब।
छठ महापर्व पर विशेष रूप से यहां भक्तों का भारी जमावड़ा होता है। कार्तिक और चैती छठ के अवसर पर श्रद्धालु हजारों की संख्या में यहां पहुंचते हैं। सूर्योपासना के लिए यह पर्व प्रकृति की पूजा का सर्वोत्तम उदाहरण है। यहां छठ व्रत करने वाले श्रद्धालुओं की सेवा के लिए स्थानीय लोग पूरी तैयारी करते हैं। छठव्रतियों की सुविधा के लिए स्थानीय प्रशासन से चलंत शौचालय और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग भी की गई है।
मनोरंजन और सुविधाओं का भी प्रबंध।
आयोजन के दौरान बच्चों के मनोरंजन के लिए झूले और अन्य सुविधाएं भी लगाई जाती हैं, ताकि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। यहां के लोग हर वर्ष छठ पर्व के दौरान आयोजन की जिम्मेदारी बखूबी निभाते हैं और छठव्रतियों को किसी प्रकार की दिक्कत न हो इसका विशेष ख्याल रखते हैं।
रोगमुक्ति की आस्था और मान्यता।
हर रविवार को विशेष रूप से यहां विभिन्न रोगों से पीड़ित लोग पहुंचते हैं, ताकि वे सरोवर में स्नान कर रोगों से मुक्ति प्राप्त कर सकें। मान्यता है कि इस पवित्र सरोवर में स्नान करने मात्र से ही कुष्ट रोग जैसे असाध्य रोग ठीक हो जाते हैं। इस प्रकार, हंडिया का सूर्यनारायण मंदिर आस्था और स्वास्थ्य लाभ के एक अद्भुत संगम का प्रतीक बन गया है।
नवादा जिले का यह प्राचीन मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है बल्कि यहां की मान्यताओं ने इसे एक अद्वितीय धार्मिक स्थल बना दिया है। छठ पर्व के दौरान यहां का माहौल धार्मिक और सांस्कृतिक उत्साह से भरपूर होता है, जो न केवल स्थानीय लोगों बल्कि दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी प्रेरणास्रोत है। इस मंदिर और इसके आसपास की सुविधाओं का विकास कर इसे और भी बेहतर धार्मिक स्थल के रूप में स्थापित किया जा सकता है।