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बिहार विधानसभा में मोबाइल बैन को लेकर सीएम नीतीश का गुस्सा, सदन में मोबाइल पर सख्ती की मांग

 बिहार विधानसभा में मोबाइल बैन को लेकर सीएम नीतीश का गुस्सा, सदन में मोबाइल पर सख्ती की मांग।

बिहार विधानसभा में गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उस वक्त भड़क उठे, जब उन्होंने सदन में एक विधायक को मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते देखा। इस पर उन्होंने कड़ा ऐतराज जताते हुए विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव से सदन में मोबाइल फोन के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की। मुख्यमंत्री की इस नाराजगी के बाद विधानसभा में हड़कंप मच गया और कई विधायकों ने जल्दी-जल्दी अपने मोबाइल फोन छिपाने शुरू कर दिए।


मोबाइल को लेकर क्यों भड़के सीएम नीतीश?

दरअसल, घटना उस समय हुई जब मंत्री लेसी सिंह विधानसभा में जवाब दे रही थीं और जदयू विधायक कुमार कृष्ण मोहन उर्फ सुदाय यादव मोबाइल फोन में आंकड़े देखकर अपनी बात रख रहे थे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जैसे ही यह दृश्य देखा, वे नाराज हो गए और तत्काल खड़े होकर विरोध जताया। उन्होंने सख्त लहजे में कहा,

मोबाइल पर बात कर रहा है… यह कोई बात नहीं है। अध्यक्ष जी, आप कहिए कि कोई मोबाइल लेकर नहीं आए। 10 साल नहीं, उससे पहले धरती खत्म हो जाएगी। पहले हम खूब देखते थे, अब हम छोड़ दिए। मोबाइल प्रतिबंधित है। जो लेकर आएगा, उसे बाहर निकाल दिया जाए।"

मुख्यमंत्री की इस प्रतिक्रिया के बाद विधानसभा में सन्नाटा पसर गया और कई विधायक अपने मोबाइल फोन छिपाते नजर आए। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि विधानसभा जैसे गरिमामय मंच पर मोबाइल फोन का इस्तेमाल अनुचित है और इससे सदन की मर्यादा भंग होती है।


विधानसभा में मोबाइल बैन की मांग क्यों?

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लंबे समय से टेक्नोलॉजी के अनावश्यक उपयोग के खिलाफ बोलते रहे हैं। उनका मानना है कि सदन में मोबाइल फोन का उपयोग सदस्यों का ध्यान भंग कर सकता है और बहस की गंभीरता को प्रभावित कर सकता है।

इसके अलावा, कई अन्य विधानसभाओं और संसद में भी मोबाइल फोन के उपयोग पर आंशिक या पूर्ण प्रतिबंध है। तकनीकी संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने और सदन की मर्यादा बनाए रखने के लिए नीतीश कुमार ने भी इसी दिशा में सख्त कदम उठाने की वकालत की है।


नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का पलटवार

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की टिप्पणी के बाद नेता प्रतिपक्ष और राजद नेता तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सीएम पर तंज कसते हुए लिखा,


मोबाइल से 10 साल में दुनिया खत्म हो जाएगी, माननीय श्री श्री नीतीश कुमार।"

तेजस्वी यादव ने आगे कहा कि पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए विधानसभा को पेपरलेस बनाने की दिशा में कदम उठाए गए हैं। ऐसे में विधायकों को प्रश्नों के ऑनलाइन उत्तर देखने और पूरक प्रश्न पूछने के लिए मोबाइल या टैबलेट का उपयोग करना आवश्यक हो सकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तकनीकी रूप से पिछड़े विचार रखते हैं और उनका यह कदम युवा, छात्र और महिला विरोधी है।


क्या होगा आगे?

मुख्यमंत्री की कड़ी चेतावनी के बाद अब यह संभावना जताई जा रही है कि बिहार विधानसभा में मोबाइल फोन के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जा सकता है। इसके लिए एक आधिकारिक आदेश भी जारी किया जा सकता है, जिसमें स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए जाएंगे।

इसके साथ ही यह भी देखना होगा कि इस मुद्दे पर अन्य राजनीतिक दलों और विधायकों की प्रतिक्रिया क्या रहती है। क्या मोबाइल बैन को लेकर विपक्षी दलों का विरोध बढ़ेगा, या फिर सदन में टेक्नोलॉजी के दुरुपयोग को रोकने के लिए सर्वसम्मति बनेगी?


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