फिल्म अभिनेता मनोज कुमार का निधन: भारतीय सिनेमा ने खोया 'भारत कुमार'
बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता और निर्देशक मनोज कुमार का शुक्रवार को 87 वर्ष की उम्र में मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में निधन हो गया। देशभक्ति से ओतप्रोत फिल्मों के लिए पहचाने जाने वाले मनोज कुमार को 'भारत कुमार' के नाम से जाना जाता था। उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है।
सिनेमा में योगदान और करियर की शुरुआत
24 जुलाई 1937 को जन्मे मनोज कुमार का असली नाम हरिकृष्ण गिरि गोस्वामी था। उन्होंने अपने फिल्मी सफर की शुरुआत 1957 में फिल्म 'फैशन' से की। शुरुआती वर्षों में उन्होंने 'सहारा' (1958), 'चांद' (1959) और 'हनीमून' (1960) जैसी फिल्मों में सहायक भूमिकाएं निभाईं। 1961 में उन्हें 'कांच की गुड़िया' में पहली बार मुख्य भूमिका निभाने का मौका मिला, लेकिन 1962 में आई 'हरियाली और रास्ता' में माला सिन्हा के साथ उनकी जोड़ी को खूब सराहा गया और उन्होंने व्यापक पहचान हासिल की।
देशभक्ति फिल्मों की ओर रुझान
1965 में आई फिल्म 'शहीद' में उन्होंने क्रांतिकारी भगत सिंह की भूमिका निभाई, जिससे उनकी छवि एक देशभक्त अभिनेता की बनी। इसके बाद उन्होंने 1967 में 'उपकार' का निर्देशन और अभिनय किया, जो तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के 'जय जवान जय किसान' नारे से प्रेरित थी। इस फिल्म की सफलता के बाद उन्होंने 'पूरब और पश्चिम' (1970), 'रोटी कपड़ा और मकान' (1974) और 'क्रांति' (1981) जैसी देशभक्ति से भरपूर फिल्मों का निर्देशन और अभिनय किया, जो भारतीय सिनेमा में मील का पत्थर साबित हुईं।
प्रमुख फिल्में और यादगार भूमिकाएं
मनोज कुमार ने कई यादगार फिल्मों में अभिनय किया, जिनमें शामिल हैं:
वो कौन थी? (1964): राज खोसला निर्देशित इस रहस्य थ्रिलर में साधना के साथ उनकी जोड़ी को खूब सराहा गया।
गुमनाम (1965): एक रहस्यमय द्वीप पर आधारित इस फिल्म में उन्होंने सीआईडी इंस्पेक्टर आनंद की भूमिका निभाई।
नील कमल (1968): इस फिल्म में उन्होंने वहीदा रहमान और राज कुमार के साथ अभिनय किया।
शोर (1972): इस फिल्म में एक पिता की भूमिका निभाई, जो अपने बेटे की आवाज़ वापस पाने के लिए संघर्ष करता है।
संन्यासी (1975): धार्मिक और सामाजिक विषयों पर आधारित इस फिल्म में उन्होंने राम राय की भूमिका निभाई।
सम्मान और पुरस्कार
मनोज कुमार को उनके शानदार अभिनय और निर्देशन के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया। 1992 में उन्हें पद्मश्री सम्मान मिला, और 2015 में उन्हें भारतीय सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया।
राजनीति में योगदान
फिल्म इंडस्ट्री में अपार सफलता पाने के बाद मनोज कुमार ने राजनीति में भी कदम रखा। 2004 के आम चुनाव से पहले उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्यता ग्रहण की और सक्रिय राजनीति में भाग लिया।
शोक संदेश और श्रद्धांजलि
मनोज कुमार के निधन पर फिल्म जगत से लेकर राजनीति तक हर क्षेत्र में शोक व्यक्त किया गया। फिल्म निर्माता अशोक पंडित ने कहा, "दादा साहब फाल्के पुरस्कार विजेता, हमारे प्रेरक और भारतीय फिल्म उद्योग के 'शेर' मनोज कुमार जी अब हमारे बीच नहीं रहे। यह इंडस्ट्री के लिए बहुत बड़ा नुकसान है। पूरी इंडस्ट्री उन्हें याद करेगी।"
मनोज कुमार के निधन से भारतीय सिनेमा ने एक ऐसा कलाकार खो दिया, जिसने देशभक्ति की भावना को बड़े पर्दे पर जीवंत कर दिया। उनकी फिल्मों और उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।