पटना में दो मासूमों की नृशंस हत्या से सनसनी: जानीपुर के नगवां गांव में भाई-बहन को जलाकर मार डाला गया, पुलिस पर भारी दबाव
1. प्रस्तावना:
पटना के जानीपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत नगवां गांव में गुरुवार को दो मासूम बच्चों की निर्मम हत्या और फिर उनके शवों को जलाने की कोशिश ने पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया है। इस जघन्य घटना के बाद पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है और लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर है। पीड़ित परिजन और ग्रामीण अब पुलिस प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। शुक्रवार की सुबह लोगों ने दुकानों को बंद कर सड़क जाम कर दी और एसएसपी को मौके पर बुलाने की मांग की।
2. वारदात का पूरा घटनाक्रम:
गुरुवार की दोपहर लगभग तीन बजे नगवां गांव स्थित एक घर में 15 वर्षीय अंजलि कुमारी और 10 वर्षीय अंशु कुमार की हत्या कर दी गई। आरोपियों ने हत्या के बाद दोनों शवों को जलाने की कोशिश की ताकि पहचान न हो सके।
पिता ललन गुप्ता, जो चुनाव आयोग के कॉल सेंटर में कार्यरत हैं, और मां शोभा कुमारी, जो पटना एम्स में एक निजी कंपनी के अधीन गार्ड हैं — दोनों उस समय अपने-अपने कार्यस्थलों पर थे।
सुबह करीब 7:30 बजे दोनों बच्चे स्कूल गए थे और दोपहर 2 बजे के करीब वापस लौटे। तीन बजे के आसपास जब मां ड्यूटी से लौटीं तो उन्होंने घर का मुख्य दरवाजा खुला पाया। अंदर जाने पर दोनों बच्चों के शव जले हुए हालत में मिले।
3. मां की आंखों से देखा गया नरसंहार:
शोभा कुमारी ने जब घर के अंदर कदम रखा, तो पूरे घर में सन्नाटा पसरा था। बच्चों को पुकारा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। जैसे ही उन्होंने एक कमरे का दरवाजा खोला, तो उनकी आंखें फटी की फटी रह गईं — बेटी अंजलि बिस्तर पर मृत पड़ी थी और उसका शरीर आंशिक रूप से जल चुका था।
बदहवास होकर जब वह बेटे अंशु को ढूंढती दूसरे कमरे में पहुंचीं, तो उसका शव भी जली हुई हालत में बेड पर पड़ा था। यह दृश्य इतना भयावह था कि वह वहीं चीखने-चिल्लाने लगीं और पड़ोसियों की भीड़ जुट गई। इसके बाद पति और रिश्तेदारों को सूचना दी गई।
4. गांव में छाया मातम और गुस्सा:
घटना की खबर पूरे गांव में आग की तरह फैल गई। लोग आक्रोशित हो गए और शुक्रवार की सुबह दुकानों को बंद कर दिया गया। हजारों की संख्या में ग्रामीण सड़क पर उतर आए और टायर जलाकर जाम कर दिया। उनका साफ कहना था कि जब तक एसएसपी मौके पर नहीं आते, आंदोलन जारी रहेगा।
5. पुलिस की कार्रवाई और असफलता:
घटना की सूचना मिलते ही सिटी एसपी पश्चिमी भानु प्रताप सिंह, फुलवारी शरीफ डीएसपी, और आसपास के थाना की पुलिस मौके पर पहुंच गई।
पुलिस ने एफएसएल (Forensic Science Laboratory) की टीम और डॉग स्क्वॉड को बुलाया, लेकिन लोगों का गुस्सा कम नहीं हुआ।
एफएसएल टीम को कुछ देर के लिए स्थानीय लोगों ने बंधक बना लिया और मांग की कि डॉग स्क्वॉड से पूरे क्षेत्र की सघन जांच कराई जाए। दो घंटे बाद श्वान दस्ते को बुलाया गया, जिसने घर के अंदर सूंघने के बाद गांव के पश्चिमी दिशा की ओर बढ़ना शुरू किया।
6. जांच की दिशा और चुनौतियां:
अब तक पुलिस आरोपितों की पहचान नहीं कर सकी है। पुलिस तकनीकी जांच के साथ-साथ स्थानीय लोगों से इनपुट जुटा रही है।
बच्चों के माता-पिता से जुड़े किसी व्यक्तिगत विवाद, रंजिश या दुश्मनी की भी जांच की जा रही है।
पुलिस सीसीटीवी फुटेज, कॉल डिटेल्स और आसपास के संदिग्धों से पूछताछ कर रही है। लेकिन अभी तक कोई ठोस सुराग हाथ नहीं लगा है।
7. ग्रामीणों का आक्रोश:
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह घटना पहले से योजनाबद्ध साजिश हो सकती है। घटना के समय घर में केवल बच्चे ही मौजूद थे, और मुख्य दरवाजा खुला था जबकि अंदर के कमरे बाहर से बंद थे — यह संदेह को गहरा करता है।
ग्रामीणों की मांग है कि दोषियों की तुरंत पहचान कर सख्त सजा दी जाए, ताकि भविष्य में कोई मासूम इस तरह की बर्बरता का शिकार न हो।
8. प्रशासन पर दबाव:
एसएसपी कार्तिकेय के शर्मा ने बयान दिया है कि शवों को देखने से यह स्पष्ट हो रहा है कि बच्चों की पहले हत्या की गई और फिर उन्हें जलाने का प्रयास किया गया।
यह बात पोस्टमार्टम रिपोर्ट और एफएसएल जांच से पूरी तरह से स्पष्ट हो सकेगी।
सिटी एसपी पश्चिमी की अगुवाई में एक विशेष जांच टीम बनाई गई है जो मामले की गहराई से जांच कर रही है।
9. सवाल जो अभी भी अनुत्तरित हैं:
क्या हत्यारों को बच्चों के स्कूल से लौटने का समय पता था?
क्या यह कोई घरेलू विवाद था या किसी बाहरी दुश्मनी का परिणाम?
क्या किसी ने पहले से घर की रेकी की थी?
क्या यह लूट या यौन शोषण से जुड़ा मामला तो नहीं?
10. निष्कर्ष और अपील:
यह घटना बिहार में कानून व्यवस्था की स्थिति पर बड़ा सवाल खड़ा करती है।
भाई-बहन की इस दर्दनाक हत्या ने समाज की संवेदनाओं को झकझोर दिया है।
जरूरत है कि इस मामले की निष्पक्ष, तेज़ और पारदर्शी जांच हो ताकि दोषी जल्द से जल्द सलाखों के पीछे पहुंचे और परिवार को न्याय मिल सके।
सरकार और प्रशासन को चाहिए कि पीड़ित परिवार को न सिर्फ न्याय दिलाए, बल्कि उनकी सामाजिक, मानसिक और आर्थिक सहायता भी सुनिश्चित करे।
📌 यह रिपोर्ट S BIHAR NEWS 12 के विशेष सहयोग से तैयार की गई है।
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