नाबालिग से दुष्कर्म मामले में पूर्व RJD विधायक राजबल्लभ यादव बरी — पटना हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला
पटना, 14 अगस्त 2025 — नाबालिग से दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के तहत आजीवन कारावास की सजा काट रहे राजद के पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव को पटना हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस मामले में राजबल्लभ यादव सहित सभी छह दोषियों को बरी कर दिया। कोर्ट ने अभियुक्तों की अपील स्वीकार करते हुए निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला 6 फरवरी 2016 का है, जब नवादा जिले में राजबल्लभ यादव पर आरोप लगा कि उन्होंने अपने बिहारशरीफ स्थित आवास पर एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार किया।
तत्कालीन विशेष एमएलए/एमपी कोर्ट के जज परशुराम यादव ने भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार), 120बी (आपराधिक साजिश) और पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी ठहराते हुए 15 दिसंबर 2018 को उन्हें आजीवन कारावास और ₹50,000 जुर्माने की सजा सुनाई थी।
इस मामले में सह-अभियुक्त सुलेखा देवी और उनकी मां राधा देवी को भी उम्रकैद और ₹20,000 जुर्माने की सजा हुई थी, जबकि छोटी देवी, संदीप सुमन और तुसी देवी को 10-10 वर्ष के कठोर कारावास और ₹10,000 जुर्माने से दंडित किया गया था।
निचली अदालत के फैसले के बाद असर
सजा सुनाए जाने के बाद राजबल्लभ यादव की विधानसभा सदस्यता समाप्त हो गई।
उन्हें जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत अयोग्य घोषित कर दिया गया।
इस केस को लेकर बिहार की राजनीति में लंबे समय तक हलचल रही और राजद को राजनीतिक नुकसान भी उठाना पड़ा।
पटना हाईकोर्ट में अपील
सभी दोषियों ने निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए पटना हाईकोर्ट में अपील दायर की।
अपीलकर्ताओं की ओर से वरीय अधिवक्ता सुरेंद्र सिंह और अधिवक्ता अजय कुमार ठाकुर ने पैरवी की।
राज्य सरकार का पक्ष सरकारी अधिवक्ता दिलीप सिन्हा ने रखा।
पीड़िता की ओर से कोर्ट ने अधिवक्ता अनुकृति जयपुरियार को एमिकस क्यूरी (न्यायालय द्वारा नियुक्त अधिवक्ता) बनाया, जिन्होंने अपना पक्ष रखा।
हाईकोर्ट का फैसला
खंडपीठ के न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह ने 7 मई 2025 को सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
14 अगस्त 2025 को कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सभी दोषियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।
फैसले में कहा गया कि अभियोजन पक्ष पीड़िता के आरोपों को संदेह से परे सिद्ध करने में विफल रहा।
राजनीतिक और सामाजिक असर
यह फैसला न सिर्फ कानूनी बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि राजबल्लभ यादव नवादा से राजद के प्रभावशाली नेता थे।
इस केस ने एक समय में बिहार की राजनीति में भूचाल ला दिया था, लेकिन अब बरी होने के बाद उनके राजनीतिक पुनर्वास की संभावना पर चर्चा शुरू हो गई है।
हालांकि, पीड़िता और उसके पक्षधर इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने पर विचार कर सकते हैं।
मुख्य तिथियां
6 फरवरी 2016 — कथित घटना की तारीख
15 दिसंबर 2018 — निचली अदालत से उम्रकैद की सजा
7 मई 2025 — पटना हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
14 अगस्त 2025 — हाईकोर्ट से सभी आरोपियों की बरी