अकबरपुर में बिहार स्टेट हाईवे 103 के सुदृढ़ीकरण कार्य का व्यापक विरोध: मुआवजा भुगतान को लेकर भारी प्रदर्शन
अकबरपुर (नवादा) – बिहार स्टेट हाईवे 103, जो मंझवे से ककोलत तक फैला है, के सुदृढ़ीकरण और चौड़ीकरण कार्य के दौरान मंगलवार को पैजुना गांव में भारी विरोध प्रदर्शन हुआ। स्थानीय रैयत जिन्होंने अपनी जमीन अधिग्रहित कराई थी, वर्षों बाद भी मुआवजे के भुगतान की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए। उन्होंने निर्माण कार्य को बाधित किया और जोरदार नारेबाजी के साथ अपनी आवाज़ प्रशासन तक पहुंचाने का प्रयास किया।
भूमि अधिग्रहण और मुआवजा विवाद का ऐतिहासिक पहलू
भूमि अधिग्रहण के दौरान सरकार द्वारा अधिभोज लिए गए जमीन मालिकों को उचित मुआवजा भुगतान करना कानूनन आवश्यक है। लेकिन अकबरपुर के पैजुना गांव के रैयत बताते हैं कि उनकी जमीन अधिग्रहण के बाद भी वर्षों से मुआवजा राशि नहीं दी गई है। इससे ग्रामीण चिंतित एवं आक्रोशित हैं। उनके अनुसार मुआवजा मिलने की उम्मीद में वे कई बार प्रशासन से मिले, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला।
इस भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया और मुआवजा भुगतान की लचर व्यवस्था की वजह से इलाके के विकास कार्य बाधित हो रहे हैं और ग्रामीणों को आर्थिक व सामाजिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। उनकी मांग है कि सरकार बिना देर किए अधिभोज की राशि निर्धारित कर भुगतान करे।
प्रदर्शन का स्वरूप और इसका असर
प्रदर्शनकारियों ने पैजुना गांव के मुख्य हाईवे मार्ग को पूर्णतः जाम कर दिया, जिससे उस मार्ग से गुजरने वाले वाहन अवरुद्ध हो गए। अधिकांश ग्रामीण सड़क पर बैठ गए और जोरदार नारेबाजी करते हुए अपनी मांगों को जोर दिया।
इस कारण सड़क निर्माण कार्य पूरी तरह से ठप रहा। बड़ी संख्या में स्थानीय लोग भी प्रदर्शन में शामिल हुए और धरना-प्रदर्शन में एकजुटता दिखाई। इस प्रदर्शन की वजह से इलाके में आवागमन प्रभावित हुआ, जिससे स्थानीय लोगों को दैनिक कार्यों में दिक्कत हुई।
प्रदर्शन के नेता और उनका वक्तव्य
इस आंदोलन का नेतृत्व सुबोध कुशवाहा, शैलेन्द्र कुमार, रंजीत कुमार तथा सामाजिक कार्यकर्ता मसीहुद्दीन कर रहे हैं। इन नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा है कि उनकी मांग मुआवजा राशि के स्पष्ट निर्धारण और तत्काल भुगतान की है। वे शांति पूर्वक हक की मांग कर रहे हैं और यदि आवश्यक हुआ तो आंदोलन को और व्यापक रूप से तेज करेंगे।
"सरकार और प्रशासन को हमारे धैर्य की परीक्षा लेना बंद कर देना चाहिए। जमीन अधिग्रहण के बाद मुआवजा भुगतान हमारी बुनियादी अपेक्षा है। मुआवजा भुगतान बिना सड़क निर्माण की अनुमति नहीं होगी।"
स्थानीय प्रशासन और सरकार की भूमिका
प्रशासन ने फिलहाल सड़क निर्माण कार्य को अस्थायी रूप से रोक दिया है तथा समस्या के समाधान के प्रयास में जुटा हुआ है। स्थानीय अधिकारियों ने कहा है कि वे जल्द से जल्द मुआवजा भुगतान प्रक्रिया को शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, प्रभावित ग्रामीण इस पर विश्वास जताने में हिचकिचा रहे हैं।
यह समस्या बिहार सहित कई अन्य राज्यों में आम तौर पर देखने को मिलती है जहां भूमि अधिग्रहण के बाद मुआवजे की देरी रहती है। विशेषकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए यह समस्या गंभीर रूप ले लेती है, क्योंकि उनकी आजीविका इसी जमीन से जुड़ी होती है।
भूमि अधिग्रहण कानून और मुआवजे की प्रक्रियाएँ
2013 में लागू भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन कानून (LARR Act) प्रभावितों को उचित मुआवजा, उसकी गणना के मानक, पुनर्वास व पुनर्स्थापन के प्रावधान देता है। इसका उद्देश्य प्रभावितों के हितों की रक्षा के साथ विकास कार्यों को आगे बढ़ाना है। परन्तु राज्य स्तर पर इस कानून के क्रियान्वयन के दौरान कई चुनौतियां आती हैं, जिनमें मुआवजे की रकम का निर्धारण, समय पर भुगतान और पुनर्वास की गारंटी शामिल हैं। इस विवाद के जरिये भी इन्हीं मुद्दों पर प्रकाश डाला गया है।
स्थानीय लोगों की आशंकाएँ और अपेक्षाएँ
स्थानीय ग्रामीण चाहते हैं कि उनकी जमीन के बदले न्यायपूर्ण मुआवजा मिले ताकि वे अपने जीवन को सुधार सकें। वे विकास कार्यों का विरोध नहीं करते, किंतु मुआवजा भुगतान में पारदर्शिता और समयबद्धता चाहते हैं। इस आंदोलन से क्षेत्र में सामाजिक एकता के साथ-साथ विकास निर्माण कार्य प्रभावित हो रहा है।
ग्रामीणों की कोशिश है कि वे शांतिप्रिय होकर अपना हक मांगें, ताकि प्रशासन उनका दर्द समझे और समाधान करवाए।
आने वाले दिनों में संभावित कार्रवाई और समाधान
आंदोलनकारी स्पष्ट कर चुके हैं कि जब तक मुआवजा भुगतान प्रारंभ नहीं होगा, तब तक सड़क निर्माण कार्य नहीं चालू होगा। ऐसे में प्रशासन के लिए संवाद के जरिये मामला सुलझाना और प्रभावितों की मांगें पूरी करना आवश्यक हो गया है।
स्थानीय सरकार भी चाहती है कि लोगों को न्याय दिलाते हुए विकास कार्य शीघ्र पूरा किया जाए ताकि क्षेत्र में परिवहन व सांस्कृतिक गतिविधियाँ प्रभावित न हों। इसलिए गतिशील वार्ता और निष्पक्ष मुआवजा भुगतान की आवश्यकता है।
अन्य क्षेत्रों में भी मौजूद समान चुनौतियाँ
बिहार के अलावा देश के कई अन्य राज्यों में भी भूमि अधिग्रहण और मुआवजा विवाद आम हैं। भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था में ज़मीन की अहमियत के कारण ये विवाद कागजी प्रक्रियाओं और प्रशासनिक देरी के कारण और जटिल होते गए हैं। प्रभु प्रशासन की भूमिका होती है कि वे प्रभावितों और विकास के बीच संतुलन स्थापित करें। इस मामले में मिली सीखें भविष्य के लिए उपयोगी साबित होंगी।
निष्कर्ष
अकबरपुर (नवादा) के पैजुना गांव में बिहार स्टेट हाईवे 103 विस्तार एवं सुदृढ़ीकरण कार्य के विरोध से स्पष्ट है कि भूमि अधिग्रहण के बाद प्रभावित रैयतों के मुआवजे से जुड़ी समस्याओं का समाधान आवश्यक है। न्यायिक मुआवजा न मिलने से न केवल गरीब ग्रामीणों का जीवन प्रभावित होता है, बल्कि व्यापक विकास कार्यों में भी बाधा आती है।
सरकार एवं प्रशासन को चाहिए कि वे निष्पक्ष, पारदर्शी और शीघ्र मुआवजा भुगतान व्यवस्था लागू करें ताकि विकास कार्य सुचारु रूप से चलते रहें और प्रभावितों का भरोसा बना रहे। साथ ही, प्रभावित ग्रामीणों को भी शांति बनाकर संवाद के रास्ते अपना हक मांगना चाहिए। इस संतुलन के बिना किसी भी क्षेत्र का सतत विकास संभव नहीं है।
स्थानीय लोग उम्मीद लगाए हुए हैं कि जल्द ही प्रशासन उनके भुगतान की प्रक्रिया शुरू करेगा और सड़क निर्माण कार्य पुनः शुरु होगा, जिससे इलाके का विकास और स्थानीय लोगों का जीवन स्तर सुधरेगा।

