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नवादा में पुलिस कस्टडी में किशोर की मौत पर एक्शन, थानेदार समेत 4 पर हत्या का केस

नवादा में पुलिस कस्टडी में किशोर की मौत पर एक्शन, थानेदार समेत 4 पर हत्या का केस

नवादा (बिहार): बिहार के नवादा जिले से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। काशीचक थाना क्षेत्र में पुलिस कस्टडी में एक 17 वर्षीय किशोर की संदिग्ध मौत के मामले ने पूरे जिले में हड़कंप मचा दिया है। प्रेम प्रसंग के एक मामले में हिरासत में लिए गए इस किशोर की मौत के बाद परिजनों ने थानेदार और अन्य पुलिसकर्मियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। घटना के बाद प्रशासन हरकत में आया और थानेदार समेत चार पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या (IPC 302) का मामला दर्ज किया गया है।

क्या है पूरा मामला?

मृतक की पहचान बौरी गांव निवासी अशोक पंडित के पुत्र सन्नी कुमार (17 वर्ष) के रूप में की गई है। बताया जा रहा है कि सन्नी दो दिन पहले प्रेम प्रसंग के चलते थाना क्षेत्र की एक नाबालिग लड़की के साथ घर से भाग गया था। दोनों बुधवार शाम को घर लौटे, जिसके बाद लड़के के परिजनों ने खुद ही इस मामले की जानकारी पुलिस को दी।

सूचना मिलने पर डायल 112 की पुलिस टीम मौके पर पहुंची और प्रेमी युगल को हिरासत में लेकर थाने ले गई। कुछ ही घंटों बाद देर रात पुलिस मृतक सन्नी का शव लेकर उसके घर पहुंची और बताया कि उसने थाने में शॉल से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।


परिजनों ने लगाए गंभीर आरोप

मृतक के पिता अशोक पंडित ने पुलिस के दावे को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि यह आत्महत्या नहीं, बल्कि हत्या है। परिजनों का आरोप है कि लड़की के परिजन और उसका भाई, जो खुद बिहार पुलिस में जवान है, काशीचक थाने पहुंचे थे। वहीं लड़की के परिजनों ने पुलिस की मौजूदगी में सन्नी की बेरहमी से पिटाई की, जिससे उसकी मौत हो गई।

परिजनों का कहना है कि पुलिस ने सच्चाई छिपाने के लिए इस पूरी घटना को आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की है। उन्होंने मांग की है कि मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को सख्त सजा दी जाए।

पुलिस का पक्ष — “फांसी लगाकर की खुदकुशी”

दूसरी ओर, पुलिस ने इस मामले में कहा है कि किशोर ने थाने के लॉकअप में ही अपनी शॉल से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस का दावा है कि किसी प्रकार की मारपीट नहीं की गई थी। हालांकि परिजनों की शिकायत के बाद एसपी ने तत्काल कार्रवाई की है।

एसपी अभिनव धीमान की कार्रवाई

नवादा के एसपी अभिनव धीमान ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल काशीचक थानाध्यक्ष, एएसआई और एक चौकीदार को निलंबित कर दिया है। इसके साथ ही मामले की जांच डीएसपी स्तर के अधिकारी को सौंपी गई है।

एसपी ने कहा कि, “यह मामला अत्यंत संवेदनशील है। पुलिस अभिरक्षा में किसी की मौत होना बहुत गंभीर बात है। निष्पक्ष जांच की जा रही है और जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”

हत्या का केस दर्ज

नवादा पुलिस ने अब इस मामले में चार लोगों के खिलाफ हत्या का केस (धारा 302 IPC) दर्ज कर लिया है। इनमें निलंबित थानेदार और अन्य पुलिसकर्मी शामिल हैं। फिलहाल सभी आरोपी पुलिसकर्मी जांच के घेरे में हैं और उनसे पूछताछ की जा रही है।

गांव में गुस्सा और तनाव का माहौल

घटना के बाद बौरी गांव और आसपास के इलाकों में गुस्से का माहौल है। ग्रामीणों ने पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की और शव का अंतिम संस्कार करने से इंकार कर दिया। ग्रामीणों की मांग है कि जब तक सभी दोषी पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी नहीं होती, तब तक अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा।

स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की है। वहीं जिला प्रशासन ने शांति बनाए रखने के लिए मौके पर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया है।

प्रेम प्रसंग बना मौत की वजह

इस पूरे मामले की जड़ में प्रेम प्रसंग है। मृतक सन्नी का संबंध थाना क्षेत्र की एक नाबालिग लड़की से था। दोनों के बीच लंबे समय से दोस्ती थी। दो दिन पहले दोनों घर से भाग गए थे, जिससे दोनों परिवारों में तनाव बढ़ गया था। जब दोनों वापस लौटे तो मामले की जानकारी पुलिस को दी गई। परिजनों का आरोप है कि इसी प्रेम संबंध की वजह से लड़की के परिवार ने पुलिस से मिलकर बदले की भावना से यह साजिश रची।

पुलिस हिरासत में मौत — एक पुरानी समस्या

भारत में पुलिस हिरासत में मौत के मामलों पर बार-बार सवाल उठते रहे हैं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के आंकड़ों के अनुसार, हर साल देशभर में सैकड़ों लोग पुलिस या न्यायिक अभिरक्षा में अपनी जान गंवाते हैं। इनमें से कई मामलों में टॉर्चर या पुलिस की लापरवाही का आरोप लगाया जाता है।

कानून के अनुसार, किसी भी व्यक्ति की अभिरक्षा में मौत होने पर मजिस्ट्रेट जांच कराना अनिवार्य है। इस मामले में भी नवादा प्रशासन ने न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं।

मृतक का परिवार और उनका दर्द

मृतक के पिता अशोक पंडित ने रोते हुए कहा, “हमने ही पुलिस को बुलाया था ताकि दोनों बच्चों को समझाया जा सके। लेकिन हमें क्या पता था कि मेरा बेटा जिंदा नहीं लौटेगा। पुलिस ने हमारे बेटे को मार डाला और अब झूठ बोल रही है कि उसने आत्महत्या कर ली।”

परिवार के अन्य सदस्यों का कहना है कि सन्नी बिल्कुल सामान्य था और थाने ले जाते वक्त भी डर नहीं रहा था। उन्होंने पुलिस से न्याय की गुहार लगाई है।

जांच की निगरानी में डीएम और एसपी

इस संवेदनशील मामले को देखते हुए जिला प्रशासन ने जांच की निगरानी खुद करने का निर्णय लिया है। नवादा के डीएम और एसपी ने संयुक्त रूप से कहा है कि पूरे मामले में पारदर्शिता रखी जाएगी। सभी बयानों, मेडिकल रिपोर्ट और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की बारीकी से जांच की जा रही है।

राजनीतिक हलचल तेज

घटना के बाद जिले की राजनीति भी गरमा गई है। विपक्षी दलों ने सरकार और पुलिस प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह “कस्टोडियल मर्डर” का मामला है। वहीं सत्तारूढ़ दल के नेताओं ने कहा कि सरकार इस तरह की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं करेगी और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

मानवाधिकार संगठन भी सक्रिय

इस घटना के बाद कुछ मानवाधिकार संगठनों ने भी संज्ञान लिया है। उन्होंने कहा है कि यदि पुलिस पर लगे आरोप सही पाए जाते हैं, तो यह न केवल मानवाधिकार उल्लंघन है बल्कि पुलिस व्यवस्था पर भी सवाल उठाता है।

क्या कहता है कानून?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत हर व्यक्ति को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है। पुलिस हिरासत में किसी व्यक्ति की मौत या मारपीट इस अधिकार का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने भी कई बार कहा है कि पुलिस अभिरक्षा में होने वाली मौतें “राज्य प्रायोजित अपराध” के समान हैं और इसके लिए संबंधित पुलिसकर्मियों को सख्त सजा दी जानी चाहिए।

अब आगे क्या?

फिलहाल मामला न्यायिक जांच के अधीन है। निलंबित पुलिसकर्मियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद यह स्पष्ट होगा कि सन्नी की मौत फांसी से हुई या किसी और कारण से।

एसपी अभिनव धीमान ने कहा है कि जांच पूरी पारदर्शिता से की जा रही है। किसी भी दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा, चाहे वह पुलिसकर्मी ही क्यों न हो।

नवादा में शांति की अपील

प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि अफवाहों पर ध्यान न दें और जांच पूरी होने तक धैर्य बनाए रखें। स्थानीय लोगों ने भी कहा है कि यह घटना दुखद है, लेकिन कानून को अपना काम करने देना चाहिए।

निष्कर्ष: नवादा की यह घटना फिर एक बार पुलिस हिरासत में सुरक्षा और मानवाधिकारों पर सवाल खड़ा करती है। जांच पूरी होने के बाद ही सच सामने आएगा कि यह आत्महत्या थी या हत्या। लेकिन एक बात तय है — एक परिवार ने अपना इकलौता बेटा खो दिया है और न्याय की उम्मीद में प्रशासन की ओर देख रहा है।

                  S BIHAR NEWS 12 रिपोर्ट 

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