बिहार के नवादा जिले से एक रूह कंपा देने वाली घटना सामने आई है। तिलैया रेलवे स्टेशन के पास रेलवे ट्रैक पर चल रही एक महिला को पीछे से आ रही गया–किऊल पैसेंजर ट्रेन ने कुचल दिया। इस दर्दनाक हादसे में महिला की मौके पर ही मौत हो गई। घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने पूरे जिले को झकझोर कर रख दिया है।
पटरी पर चल रही थी महिला
जानकारी के अनुसार, महिला रेलवे ट्रैक के किनारे नहीं बल्कि सीधे पटरी के ऊपर चल रही थी। इसी दौरान पीछे से तेज रफ्तार में आ रही गया–किऊल पैसेंजर ट्रेन ने उसे अपनी चपेट में ले लिया। ट्रेन चालक ने लगातार हॉर्न बजाया, लेकिन महिला किसी कारणवश ट्रैक से नहीं हट सकी।
स्थानीय लोगों का कहना है कि उस समय इलाके में भीषण ठंड और कोहरा था। आशंका जताई जा रही है कि ठंड के कारण महिला की सुनने की क्षमता प्रभावित हुई या वह ट्रेन की आवाज को समझ नहीं पाई।
मृतका की पहचान
हादसे में जान गंवाने वाली महिला की पहचान नवादा जिले के नरहट प्रखंड के बड़ी पाली गांव निवासी रामस्वरूप यादव की पत्नी शकुंती देवी के रूप में हुई है। शकुंती देवी एक साधारण गृहिणी थीं और रोजमर्रा के काम से कहीं जा रही थीं।
गांव में पसरा मातम
घटना की सूचना मिलते ही बड़ी पाली गांव में मातम छा गया। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। ग्रामीणों का कहना है कि शकुंती देवी बेहद शांत और सरल स्वभाव की महिला थीं।
रील बनाते समय या सफर में कैमरे में कैद हुआ हादसा
इस पूरे हादसे का सबसे चौंकाने वाला पहलू इसका वीडियो है। बताया जा रहा है कि दूसरी पटरी से गुजर रही किसी ट्रेन में सवार यात्री या रील बना रहे युवक के मोबाइल कैमरे में यह हादसा रिकॉर्ड हो गया।
वीडियो वायरल होने के बाद लोग स्तब्ध हैं। कई लोगों ने इसे संवेदनहीन बताया है, तो कुछ का कहना है कि ऐसे वीडियो लोगों को सतर्क करने का काम करते हैं।
मुखिया का बयान
बड़ी पाली गांव के मुखिया धनंजय कुमार ने बताया कि गांव वालों को घटना की जानकारी पहले ही मिल गई थी, लेकिन वीडियो सामने आने के बाद हादसे की भयावहता का अहसास हुआ।
रेलवे ट्रैक पर चलना क्यों है जानलेवा?
- ट्रेन की गति का सही अंदाजा नहीं लग पाता
- पीछे से आने वाली ट्रेन की आवाज सुनाई नहीं देती
- ठंड, कोहरा और शोर खतरे को बढ़ा देते हैं
- आपात स्थिति में बचने का समय नहीं मिलता
प्रशासन और रेलवे पर सवाल
इस हादसे के बाद स्थानीय प्रशासन और रेलवे की जिम्मेदारी पर भी सवाल उठ रहे हैं। लोगों की मांग है कि रेलवे ट्रैक के आसपास रहने वाले ग्रामीणों के लिए जागरूकता अभियान और सुरक्षा इंतजामों को मजबूत किया जाए।
सबक और अपील
नवादा की यह घटना हम सभी के लिए एक कड़ा सबक है। रेलवे ट्रैक को शॉर्टकट समझना भारी पड़ सकता है। सावधानी ही जीवन की सबसे बड़ी सुरक्षा है।

