सीतामढ़ी में संस्कृति और आस्था का आज होगा महासंगम, तैयारियां पूरी
आस्था, संस्कृति और किसानों की समृद्धि का प्रतीक जिले का सुप्रसिद्ध सीतामढ़ी मेला इस वर्ष और भी भव्यता के साथ आयोजित होने जा रहा है। मेसकौर प्रखंड स्थित माता सीता की निर्वासन स्थली और लव-कुश की जन्मभूमि माने जाने वाले इस ऐतिहासिक स्थल पर मार्गशीर्ष यानी अगहन पूर्णिमा के पावन अवसर पर गुरुवार को मेले का विधिवत उद्घाटन होगा।
उद्घाटन को लेकर सारी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं। डीएम मेले का उद्घाटन करेंगे। सीतामढ़ी और आसपास के क्षेत्रों में अभी से ही उत्सव का माहौल बन गया है।
इस बार मेले में बड़े बदलाव
इस बार मेले के आयोजन में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। जिला प्रशासन इस ऐतिहासिक और पौराणिक मेले को एक विशिष्ट स्वरूप देने में जुटा है। सुरक्षा व सुविधाओं के साथ इस बार मेले की अवधि तीन दिनों से बढ़ाकर सात दिन रखी गई है। इससे व्यापारियों और आमजनों में काफी उत्साह है।
सबसे खास बात यह है कि मेले के दौरान पहली बार सीतामढ़ी महोत्सव का आयोजन होगा, जिसमें स्थानीय कलाकार अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे।
मेला स्थल पर उपलब्ध सुविधाएँ
मेसकौर अंचल अधिकारी अभिनव राज ने बताया कि मेला स्थल पर चलंत शौचालय, पेयजल आपूर्ति, स्वास्थ्य जांच, बिजली, साफ-सफाई आदि की पूरी व्यवस्था की गई है।
मेला: आस्था और व्यापार का अनूठा संगम
सीतामढ़ी मेला सदियों पुरानी ग्रामीण संस्कृति और किसानों की समृद्धि से जुड़ा हुआ उत्सव है। अगहन पूर्णिमा तक धान की फसल घर आने के बाद किसान खुशियां मनाने और साल भर के जरूरी सामानों की खरीदारी करने यहां पहुंचते हैं। इसी कारण इसे फसल उत्सव भी कहा जाता है।
मनोरंजन का विशेष आकर्षण
मेले में हर आयु वर्ग के लिए मनोरंजन के कई साधन रखे गए हैं। आसमानी झूला, ब्रेक डांस, काठघोड़ा, खेल-खिलौनों की दुकानें, और मीना बाजार महिलाओं व बच्चों के लिए विशेष आकर्षण होंगे।
इसके अलावा जादूगर और विभिन्न ग्रामीण तमाशों की तैयारी भी पूरी कर ली गई है।
स्थानीय कलाकारों के लिए बड़ा मंच
सीतामढ़ी महोत्सव जिला प्रशासन की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य मेले को धार्मिक और व्यापारिक गतिविधियों से आगे बढ़ाकर स्थानीय कला, संस्कृति और प्रतिभा के प्रदर्शन का एक बड़ा मंच बनाना है।
महोत्सव में स्थानीय कलाकार लोकगीत, मगही गीत, वाद्य संगीत, लोकनृत्य और आधुनिक प्रस्तुतियां देंगे। ढोलक, हारमोनियम, बांसुरी और अन्य वाद्य यंत्रों से लोक संगीत की खूबसूरती देखते बनेगी।
सात दिनों तक चलने वाला यह आयोजन सीतामढ़ी में संस्कृति, आस्था और उल्लास का एक अनोखा संगम पेश करेगा।

