प्रेम विवाह बना दहेज की बलि — नवादा के सिरदला से उठे कई सवाल
स्थान: सिरदला, नवादा, बिहार
तारीख: 5 अगस्त 2025
नवादा जिले के सिरदला थाना क्षेत्र से एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है जिसने प्रेम विवाह की पवित्रता और समाज में व्याप्त दहेज प्रथा की कड़वी सच्चाई को फिर से उजागर कर दिया है। कुशाहन गांव की युवती कल्पना कुमारी ने अपने पति दीपक कुमार और ससुरालवालों पर ₹10 लाख की दहेज मांग और धोखाधड़ी का गंभीर आरोप लगाया है।
चार साल पुराना प्रेम, सीतामढ़ी मंदिर में शादी
कल्पना और दीपक की प्रेम कहानी कोई सामान्य नहीं थी। गयाजी जिले के फरका गांव निवासी दीपक कुमार से कल्पना का प्रेम-प्रसंग 4-5 वर्षों से चल रहा था। दोनों स्वजातीय थे, समाज की सहमति भी मिल गई, और अंततः दोनों ने सीतामढ़ी के प्रसिद्ध मंदिर में धार्मिक रीति-रिवाजों से विवाह कर लिया।
गुजरात में गुज़ारे दिन, फिर घर वापसी पर हुआ अपमान
शादी के कुछ समय बाद दोनों गुजरात चले गए, जहां तीन महीने तक साथ रहे। लेकिन जब वे वापस लौटे और कल्पना अपने ससुराल पहुंची, तो वहां से बिना किसी मान-सम्मान के भगा दिया गया।
कल्पना बताती हैं, "जब हम ससुराल पहुंचे, तो हमें घर में घुसने नहीं दिया गया। साफ-साफ कहा गया कि ₹10 लाख दहेज नहीं देंगे तो घर में जगह नहीं मिलेगी। हमें मारा भी गया और घर से निकाल दिया गया।"
कोर्ट मैरिज की तैयारी, लेकिन पति बीच रास्ते से हुआ गायब
कल्पना ने जब इंसाफ की गुहार सिरदला थाना में लगाई, तो पुलिस की पहल पर दोनों को कोर्ट मैरिज के लिए भेजा गया। लेकिन इसी बीच दीपक कुमार बाथरूम जाने का बहाना बनाकर आधे रास्ते में ही भाग गया और अब तक फरार है।
कल्पना का कहना है, "हम लोग थाने से कोर्ट जा रहे थे, कोर्ट मैरिज करने, लेकिन पति रास्ते में ही हमें छोड़कर भाग गया। अब उसका फोन भी बंद है।"
पुलिस में मामला दर्ज, जांच शुरू
कल्पना की शिकायत पर सिरदला थाना में केस दर्ज कर लिया गया है। थाना प्रभारी ने बताया कि पूरे मामले की जांच शुरू कर दी गई है और दोषी पाए जाने पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
समाज में मची सनसनी — क्या प्रेम विवाह भी सुरक्षित नहीं?
इस घटना ने न केवल सिरदला क्षेत्र बल्कि पूरे नवादा जिले में चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया है। समाज में यह सवाल उठने लगा है कि जब प्रेम विवाह जैसी स्वतंत्र और स्वेच्छा से की गई शादी भी दहेज की बलि चढ़ रही है, तो फिर सामान्य विवाह का क्या होगा?
सामाजिक कार्यकर्ता शशिकांत झा कहते हैं, "यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज भी हमारे समाज में बेटियों को खरीदी गई संपत्ति की तरह देखा जाता है। कल्पना जैसी लड़कियों के साहस को सलाम है, लेकिन समाज को खुद से पूछना होगा — हम किस दिशा में जा रहे हैं?"
दहेज प्रथा — कानून से लेकर समाज तक, कब मिलेगा छुटकारा?
भारत में दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961 के तहत दहेज लेना और देना अपराध है, लेकिन आज भी यह कुरीति गांव से लेकर शहर तक फैली हुई है। इस तरह के मामलों से यह साबित होता है कि कानून के बावजूद लड़कियों को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक शोषण से गुजरना पड़ता है।
कल्पना की उम्मीद – इंसाफ और सम्मान
वर्तमान में कल्पना न्याय की गुहार लगा रही है। उसने कहा, "मैंने प्रेम किया, शादी की, परिवार बसाने का सपना देखा। लेकिन मुझे धोखा मिला। अब मैं चाहती हूं कि दोषियों को सजा मिले और मुझे इंसाफ मिले।"
प्रेम, विवाह और समाज – तीनों की परीक्षा
यह मामला सिर्फ कल्पना का नहीं, बल्कि उन हजारों लड़कियों का प्रतीक है जो प्यार में विश्वास कर विवाह करती हैं, लेकिन समाज और दहेज की बुरी सोच उन्हें तोड़ देती है। अब वक्त आ गया है कि समाज दहेज प्रथा को पूरी तरह नकारे और हर विवाह को समान मान-सम्मान दे।
📌 मुख्य बिंदु संक्षेप में:
कुशाहन गांव की युवती कल्पना ने दीपक कुमार से सीतामढ़ी मंदिर में विवाह किया
शादी के बाद गुजरात में तीन महीने साथ रहे
ससुराल वालों ने ₹10 लाख दहेज की मांग कर घर से निकाला
कोर्ट मैरिज के रास्ते में पति फरार
सिरदला थाने में एफआईआर दर्ज, पुलिस जांच जारी
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